राम विलास पासवान: जेल से छूटे और बना दिया चुनाव में जीत का विश्व रिकार्ड

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नई दिल्ली(एजेंसी):रामविलास पासवान वर्ष 1969 में पहली बार विधायक चुने गए थे। विधायक बनने के 8 साल बाद ही उन्होंने लोकसभा चुनाव में परचम लहरा दिया। साल 1977 के लोकसभा चुनाव में वह रिकार्ड वोटों से जीतकर सांसद बने। हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को इस चुनाव में सवा चार चार लाख मतों से हराया था।

रामविलास पासवान ने यह जीत तब हासिल की थी जब वह इमरजेंसी के दौरान लम्बे समय तक जेल में बंद होने के बाद रिहा हुए थे। वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर से जनता पार्टी के उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने सवा चार चार लाख वोटों से इस चुनाव में जीत हासिल की। इस जीत ने उन्हें देश-विदेश में मशहूर कर दिया, क्योंकि यह विश्व में किसी भी चुनाव में सबसे बड़े अंतराल से हुई जीत थी। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में इसके लिए उनके नाम दर्ज हुआ।
रामविलास पासवान की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में उसी हाजीपुर सीट ने अपने ही रिकार्ड को तोड़ते हुए करीब 5 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।

लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान का दिल्ली में निधन
लोजपा के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार देर शाम दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में निधन हो गया। उनके पुत्र और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा… पापा अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है, आप जहां भी हैं, हमेशा मेरे साथ हैं।
रामविलास पासवान लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शनिवार को उनके हार्ट की सर्जरी हुई थी। वे बिहार की राजनीति में चार दशक से एक मजबूत स्तंभ बने रहे।
खगड़िया के शहरबन्नी गांव में एक साधारण परिवार में जन्मे श्री पासवान ने छात्रसंघ से राजनीति में कदम रखा था। वह जेपी आंदोलन में भी बिहार में मुख्य किरदार थे। वे देश के दलितों की हित के लिए संघर्ष करते रहे। मृदुभाषी होने के कारण सभी के दिल में उनके लिए जगह थी।

पहली बार वर्ष 1969 में वह विधायक बने। वर्ष 1977 में पहली बार मतों के विश्व रिकॉर्ड के अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। केंद्र में एनडीए की सरकार हो या यूपीए की, उनका महत्व समान रूप से बना रहा। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

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