नई दिल्ली@एजेंसी:रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि राफेल सौदे से असहमति जताने वाले अधिकारी ने ही इस सौदे के बारे में कैबिनेट को भेजे गए नोट पर हस्ताक्षर किये थे। इसके आधार पर मंत्रिमंडल ने सौदे को मंजूरी दी थी। उन्होंने इस बात को गलत बताया कि उक्त अधिकारी को छुट्टी पर भेज दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि राफेल सौदे के बारे में फ्रांस के साथ बातचीत करने वाली समिति के सदस्य रहे संयुक्त सचिव और खरीद प्रबंधक राजीव वर्मा ने राफेल की बेंचमार्क कीमत को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने अपनी लिखित असहमति दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाद में महानिदेशक खरीद ने इस असहमति को खारिज कर दिया था।
सीतारमण ने एक चैनल से कहा कि किसी भी सौदे पर सभी संबंधित अधिकारियों के मत दर्ज किए जाते हैं और बाद में सामूहिक निर्णय लिया जाता है। अधिकारी ने अपनी टिप्पणी भले ही लिखी हो लेकिन मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजे गए नोट पर भी इसी अधिकारी ने हस्ताक्षर किए थे।
उन्होंने इसे गलत बताया कि उक्त अधिकारी को छुट्टी पर भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि अधिकारी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रशिक्षण के लिए विदेश गए थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि अब तो विपक्ष नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के पास राफेल सौदे को ले गया है तो कैग क्या कहता है, यह उसकी रिपोर्ट में सबके सामने आ जाएगा।
एचएएल ने मानव-घंटे बताने की वजह से गंवाया सौदा: सुप्रियो
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने गुरुवार को कहा कि एचएएल ने संभवत: इसलिए राफेल विमान सौदा गंवा दिया क्योंकि उसने इसे बनाने में दसॉल्ट के मुकाबले 2.57 गुना अधिक मानव-घंटे लगने की बात कही।
सुप्रियो ने एक कार्यक्रम में कहा कि एचएएल ने विमान बनाने को लेकर 257 मानव श्रम घंटे लगने की बात कही थी। वहीं दसॉल्ट का कहना था कि यह 100 मानव श्रम घंटे में किया जा सकता है। इसलिये वास्तव में यह एक बड़ा कारक था।
राफेल विवाद: असहमति जताने वाले अफसर ने ही किए थे हस्ताक्ष:सीतारमण रक्षा मंत्री
- Advertisement -