कोरबा:कोरोना महामारी विकराल रूप लेता जा रहा है,कोरबा जिला में नियमों को अपने काम और जरूरत के अनुसार बनाया और तोड़ा जा रहा है। इससे भय, आक्रोश और दुविधा के हालात बन रहे हैं, जब किसी परिवार में एक भी सदस्य के संक्रमित आने पर उसे अलग कर दूसरे सदस्यों को भी आइसोलेट ही रहना है, बाहर नहीं निकलना है और कोई निकल गया तो एफआईआर हो रही है तब ऐसे में शिक्षा विभाग अपना अलग ही मौखिक निर्देश जारी कर रहा है,सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारी रोज स्कूल आने के दिए निर्देश, जबकि ऐसा कोई निर्देश राज्य सरकार द्वारा नहीं जारी किया गया है,
वर्चुवल (VIRTUAL MEETING)बैठक के बाद शिक्षकों को भेजे जा रहे आवश्यक सूचना में जिला शिक्षा अधिकारी व विकास खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा दिए गए निर्देश के हवाले से कहा जा रहा है कि —
1.जिन शिक्षकों की अन्य कार्यों में ड्यूटी लगी है उन्हें छोड़कर बचे हुए सारे शिक्षक/ व्याख्याता प्रतिदिन नियमित रूप से विद्यालय आएंगे।
2.विद्यालय आकर एक्टिव सर्विलेंस के कार्य में सहयोग करेंगे।
3.प्रतिदिन लगभग 50 घरों का एक्टिव सर्विलेंस करना है, दिए गए प्रपत्र में जानकारी जमा की जानी है।
4.NO WORK NO PAY के सिद्धांत पर कार्य किया जाएगा। प्रत्येक शिक्षक को ड्यूटी करना आवश्यक है। उपस्थिति पत्रक के हस्ताक्षर के आधार पर ही वेतन आहरण किया जाएगा।
5.केवल कोविट पॉजिटिव शिक्षकों को ही 14 दिन का अवकाश दिया जाएगा। घर में किसी के पॉजिटिव आने के कारण शिक्षकों को होम आइसोलेशन नहीं मिलेगा। शासकीय कर्मचारियों को कर्तव्य स्थल पर आना ही है।
6.Medical leave की application देने वाले सभी शिक्षकों को मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होकर मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा,इधर लॉक डाउन लगा है,लोगो को ज़्यादा बाहर नहीं निकलने कहा जा रहा है,ऐसे में अगर कोई कर्मी पसान में रहता है उसे अपने जिला मुख्यालय आने जाने और कोरोना के चपेट में आएगा तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा,बल्कि ये सुविधा सभी ब्लॉक में होनी चाहिए, 7 राष्ट्रीय विपदा की इस घड़ी में सभी शासकीय कर्मचारियों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूर्ण इमानदारी से किए जाने की अपेक्षा की जाती है।
बेशक शिक्षक वर्ग भी अपना काम बखूबी निभा रहा है जबकि न तो उसे फ्रंट लाइन वर्कर नहीं माना जा रहा है,ना बीमा की सुविधा दी जा रही है, टीकाकरण से भी वंचित रखे गए हैं, तब इस तरह का फरमान सवाल मिश्रित भय पैदा कर रहा है, खासकर पांचवां बिंदु। फिर होम आइसोलेशन के बने नियम-कायदे से शिक्षकों को क्यों और कैसे पृथक किया जा रहा है?
तो क्या कानून बदल देंगे ?
हम आपको बता दे की कल ही होम क्वारेंटाइन रहने के बाद भी बाहर निकलने वाले एक व्यक्ति पर कटघोरा पुलिस ने जुर्म दर्ज किया है, वार्ड नंबर 10 के निगरानी दल द्वारा 29 अप्रैल को सत्या श्रीवास एवं विजय श्रीवास का कोरोना टेस्ट पॉजीटिव आने पर विजय को सीपेट के क्वारेंटाइन सेंटर भेजा गया है। घर के सभी सदस्यों को 12 मई तक होम आइसोलेट किया गया लेकिन 3 मई को चेक करने पर राजू श्रीवास घर में नहीं मिला और बाहर घूमने जाना बताया गया। उसके विरूद्ध कटघोरा नगर पालिका के सीएमओ जितेन्द्र बहादुर सिंह की रिपोर्ट पर महामारी अधिनियम की धारा 269, 270 के तहत जुर्म दर्ज कर लिया गया है। अब कानून तो सबके एक समान ही होगा न, या कि संक्रमित परिवार के शिक्षकों के लिए अलग ? यह सवाल जिले के शिक्षक उठा रहे हैं।
ये कैसा कोविड19 का नियम-निर्देश: परिवार में कोई पॉजिटिव हो तो फिर भी आना होगा ड्यूटी पर, नहीं मिलेगा होम आइसोलेशन
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