कोरबा@M4S: बिलासपुर-कटघोरा राष्ट्रीय राज्यमार्ग क्रमांक-130 का निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला जहां विवादों में रहा है और जमीनों की हेरफेर कर अनेक लोगों ने फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल भी किया । अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एसडीएम के गार्ड पर वसूली का आरोप लगा है। एसडीएम कार्यालय के लेखापाल रहे मनोज गोविल पर भी गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने दूसरे का मुआवजा दूसरे के खाते में ट्रांसफर कर दिया। इस काम में मिलते-जुलते नाम अथवा उपनाम का भरपूर उपयोग किया गया है। लापरवाही का खामियाजा अब पीडि़त किसान और उसके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है।
पीडि़तों ने कलेक्टर संजीव झा से इसकी शिकायत सोमवार को की है। शिकायत करने आए किसान बाबूलाल एवं मुछुराम ने बताया कि उनकी फोरलेन में अधिग्रहित की गई दो खाते की कुल 78 डिसमिल जमीन का लगभग 45 लाख रुपए मुआवजा निर्धारित हुआ था। इसके भुगतान के एवज में 8 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। पहली किस्त 22 लाख 76हजार 623 में से भू-अर्जन अधिकारी कटघोरा के गार्ड दिलीप केवट के द्वारा 4 लाख रुपये की रिश्वत उनके किसान के घर आकर लिया गया। शिकायत कर्ताओं के मुताबिक 13 तारीख को उन्होंने रुपए निकाले थे। बैंक में जाने पर बैंक अधिकारी ने 900000 रुपये निकाल कर दिया। बैंक से 900000 रुपये निकालने के बाद 400000 लाख रुपये गार्ड को दिया गया। इसके बाद शेष रह गए 23 लाख रुपए को प्राप्त करने के लिए भटक रहे हैं। मांगी गई रिश्वत की राशि 800000 रुपये में से 400000 रुपये बकाया 2300000 रुपये का भुगतान होने के बाद देना है। लेकिन यह मुआवजा राशि एसडीएम कार्यालय के तत्कालीन लेखापाल मनोज गोविल के द्वारा गड़बड़ी करते हुए दूसरे के खाते में डाल दिया गया है।पीडि़तों के मुताबिक यह राशि बुधराम पिता शंभू राम उर्फ डोकरा निवासी ग्राम सगुना के खाता में डाली गई है जबकि पीडि़त के पिता का नाम रंभउ उर्फ डोकरा है। नाम के साथ जुड़े डोकरा के कॉमन होने का फायदा लेखापाल के द्वारा उठाया गया और मुआवजा की राशि दूसरे के खाते में डाल दी गई है।