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कोरबा@M4S: गेवरारोड रेलवे स्टेशन सात माह से यात्रियों की हलचल से दूर है, जहां पूरे दिन 12 एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों की आवाजाही हुआ करती थी। इस स्टेशन में सिर्फ मालगाड़ी ही दौड़ती नजर आती है। क्षेत्र के लोगों द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि बंद यात्री ट्रेनों को शुरू करें, लेकिन रेलवे प्रशासन यात्रियों की परेशानी से अनजान बना हुआ है।
मजेदार बात यह है कि रेलवे की ओर से सिर्फ 3 यात्री गाडिय़ों को रद्द करने की अधिकृत सूचना 15 और 16 अप्रैल 2022 को जारी की गई है, जबकि इन 3 गाडिय़ों के साथ 9 अन्य गाडिय़ों का फेरा भी रद्द कर दिया है, जिसे अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। यही कारण है कि पश्चिम क्षेत्र से ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए एक भी सवारी गाड़ी गेवरारोड स्टेशन से उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यात्री ट्रेनों के नहीं चलने से क्षेत्र के यात्रियों को सफर करने 12 से 25 किमी सडक़ से होकर कोरबा रेलवे स्टेशन पहुंचने को मजबूर होना पड़ रहा है। इससे उन्हें अतिरिक्त समय लगता है। साथ ही खर्च भी बढ़ जाता है। माकपा ने समस्या को देखते हुए लगातार मांग और धरना-प्रदर्शन किया। बावजूद इसके मांग पूरी नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें काम के सिलसिले में रोज सुबह की पैसेंजर से अकलतरा जाना पड़ता है। गेवरारोड से गाड़ी चल रही थी तो उन्हें किराया के अलावा अधिकतम 50 रुपए खर्च करने पड़ रहे थे, लेकिन अभी उसी गाड़ी को कोरबा से पकडऩा पड़ रहा है। इसके लिए कभी ऑटो तो कभी स्वयं के साधन से आना पड़ता है। 100 रुपए का पेट्रोल, 20 पार्किंग के या डेढ़ सौ का ऑटो किराया देकर आने से चार गुना खर्च हो रहा है।
साधन की हो रही परेशानी
अक्सर वापसी में सवारी गाड़ी लेट रहती है। कभी-कभी तो रात के 11 भी बज जाते हैं। इस स्थिति में जब स्वयं की बाइक नहीं होती है, तो ऑटो का किराया देना काफी महंगा साबित होता है, क्योंकि अधिक रात होने पर ऑटो का किराया दो गुना से अधिक हो जाता है। कुसमुंडा तक तो साधन मिल भी जाता है, लेकिन उसके आगे बांकीमोंगरा, सुराकछार, दीपका, भिलाईबाजार, हरदीबाजार जाने वालों को अपने परिजनों को पिकअप करने परेशान करना पड़ता है।