कोरबा@M4S: सोच और तकनीक जब मिल जाएं तो आविष्कार होना लाजमी है। अब तक वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक बाइक नहीं आई है, लेकिन दो दोस्तों ने यह कमाल कोरबा में ही कर दिखाया है। उन्होंने घर पर बेकार पड़ी कंडम हो चुकी राजदूत को इलेक्ट्रिक बाइक बना दिया, जो अब फर्राटे से दौड़ती है। कबाड़ से जुगाड़ का यह नायाब नमूना अब प्रचलन की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
यह कमाल एनटीपीसी प्लांट रोड, लाटा-अगारखार में रहने वाले इंजीनियर पुरुषोत्तम मरावी व उनके दोस्त राजेश पोर्ते ने मिलकर किया है। आईटी में इंजीनियरिंग की डिग्री ले चुके पुरुषोत्तम व उनके ब्रांड प्रमोटर राजेश अब तक दो ऐसी बाइक बना चुके हैं, जो बिजली से चलते हैं। दो साल पहले उनके मन में यह विचार आया और अपनी थीम को धरातल पर लाने वे जुट गए। दिन-रात मेहनत की और तब जाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने वे प्रयोग में जुट गए। करीब छह माह पहले ही उन्होंने सैंपल के तौर पर घर पर पड़ी पुरानी व कंडम राजदूत को मॉडिफाई किया और उनका प्रयोग सफल रहा। अब हालात यह है कि लोग उनके पास अपनी-अपनी पुरानी व कबाड़ में तब्दील बाइक लेकर उसे इलेक्ट्रिक रूप में कंवर्ट करने पहुंच रहे हैं।
बनाई टू इन वन स्कूटी
इस इनोवेशन में अहम भूमिका निभाने वाले ब्रांड प्रमोटर राजेश पोर्ते ने बताया कि उन्होंने घर पर पड़ी एक स्कूटी को भी मॉडिफाई किया है। पर बाइक से थोड़ा अलग, इसमें टू इन-1 फायदे हैं। बाइक का इंजन निकाल बैटरी फिट किया जाता है, जो पूरी तरह बिजली और बैटरी पर निर्भर होता है। पर स्कूट्रेट में दोनों विकल्प मौजूद हैं। बैटरी फिट कर उसमें क्षमता अनुसार 120 से 130 किलोमीटर की यात्रा की जा सकती है। बैटरी का पावर खत्म हो गया, तो उसके बाद पेट्रोल ऑन कर पुन: यात्रा जारी रख सकते हैं। इसमें दो चाबियां होती हैं, जिसमें एक बैटरी के लिए तो दूसरी पेट्रोल आधारित है।
बाइक लेकर कंवर्ट कराने पहुंच रहें लोग
इंजीनियर पुरुषोत्तम ने कहा कि आज इस महंगाई के दौर में महंगे पेट्रोल का खर्च हर वर्ग के लिए काफी भारी पड़ता है। ऐसे में अपनी बाइक को इलेक्ट्रिक में कंवर्ट कर उसे बिजली से परिचालन करने और वही रफ्तार प्राप्त करने में हर कोई रूचि दिखा रहा है। इसमें एक ओर पेट्रोल की बचत व महंगाई से राहत मिलती है, तो दूसरी ओर प्रदूषण की रोकथाम को भी बल मिल रहा है। बाजार में अभी इलेक्ट्रिक बाइक उपलब्ध नहीं है। लिहाजा लोग लगातार उनके पास अपनी बाइक लेकर कंवर्ट कराने पहुंच रहे हैं।