नई दिल्ली@(एजेंसी):पिछले महीने भले ही देश के कुछ स्थानों पर टाइप-2 पोलियो वैक्सीन वायरस मिले हों, लेकिन इससे देश में पोलियों के दोबारा लौटने का खतरा नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ ने एक बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ ने जारी बयान में कहा है कि भारत में नियमित टीकाकरण के दौरान पूरे देश में बच्चों को इनएक्टीवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन (आईपीवी) और बीओपीवी दिए जाते हैं।
ऐसे में इस वैक्सीन के कारण बच्चों के पोलियो की चपेट मे आने की गुंजाइश न के बराबर है। बयान में कहा गया है कि भारत मार्च 2014 में आधिकारिक तौर पर पोलियोमुक्त हो गया था। इसके बाद भारत ने सभी तीन प्रकार के पोलियो विषाणुओं की रोकथाम के लिए कदम उठाना जारी रखा।
भारत में पोलियो का अंतिम मामला 2011 में सामने आया था। टाइप-2 पोलियो वायरस युक्त वैक्सीन को भारत और दुनिया से अप्रैल 2016 में हटा लिया गया था। इसके बाद भारत में ट्राइवेलेंट ओवर पोलियोवायरस वेक्सीन (टीओपीवी) का स्थान बाइवेलेंट ओरल पोलियोवायरस वेक्सीन (बीओपीवी) ने ले लिया और इसका उपयोग सभी तरह के पोलियो उन्मूलन अभियानों तथा भारत में नियमित पोलियो टीकाकरण के लिए किया जाने लगा।
हाल ही में कुछ नालों और मल के सैम्प्लस में टाइप-2 पोलियो वैक्सीन वायरस पाए गए थे। टाइप-2 वैक्सीन वायरस का पता लगाया जाना भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय, डब्ल्यूएचओ और भागीदारों की सक्रियता को दर्शाता है। बयान में आगे कहा गया है कि जांच में पता कि दवा निर्माता द्वारा तैयार किए गए बीओपीवी की एक खेप में टाइप-2 पोलियो वैक्सीन वायरस के अंश पाए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए भारत के उन सभी राज्यों से वैक्सीन को वापस ले लिया है, जहां इस कंपनी द्वारा इसकी आपूर्ति की गई थी। इस वैक्सीन से पोलियो के फैलने का जोखिम नहीं के बराबर था, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने तत्काल प्रभाव से हरकत में आते हुए इसे वापस ले लिया।
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