कोरबा@M4S: सहकारी बैंक के कर्मियों को जुलाई से वेतन वृद्धि न मिलने के साथ-साथ मार्च 2022 से अब तक महंगाई भत्ता (डीए) का लाभ नहीं मिल रहा है। इस तरह बीते आठ माह से कर्मचारी अपने डीए की सुविधा से भी वंचित हैं। इंक्रीमेंट और डीए का लाभ नहीं जुड़ पाने से प्रत्येक कर्मी को अपनी मासिक आय में प्रतिमाह करीब एक हजार रुपये का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
रसोई गैस हो या रसोई पकाने के लिए जरूरी राशन का सामान, साल-दर-साल बढ़ती महंगाई और जरूरतों के बीच महंगाई भत्ता कर्मचारियों के लिए उनके परिवार का भरण पोषण सरल बनाने महत्वपूर्ण है, जिससे वे वंचित हो रहे। बैंककर्मी इंक्रीमेंट से वंचित किए जा रहे हैं। बात जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की है। जहां के कर्मियों को इस वर्ष जुलाई से मिलने वाली वेतन वृद्धि का लाभ अब तक नहीं दिया गया है।विशेषकर कृषक वर्ग के लिए सहकारी बैंकों की भूमिका और सेवाएं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जिनके माध्यम से किसानों को हर साल अपने खेती के सीजन में आने वाली आर्थिक मुश्किलों का समाधान मिलता है। शासन की ओर से विभिन्न ऋण योजनाओं व बोनस की राशि भी इन्हीं के माध्यम से किसानों तक पहुंचाई जाती है। कोरबा की बात करें तो जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर मुख्यालय के अधीन पुराना बस स्टैंड स्थित प्रधान शाखा समेत कुल सात बैंक संचालित हैं। इनकी लोन शाखाओं में जिला सहकारी बैंक बरपाली, कटघोरा, मुख्य शाखा कोरबा, पोड़ी-उपरोड़ा और पाली शामिल हैं। इनके अलावा दो डिपॉजिट शाखाएं बाल्को और दर्री-जमनीपाली में संचालित हैं। इन बैंक शाखाओं में कार्यरत कर्मियों को इस वर्ष जुलाई में मिलने वाला इंक्रीमेंट नहीं मिला है। यानि वेतन वृद्धि का लाभ उन्हें अब तक नहीं दिया गया है, जिससे उन्हें न केवल आर्थिक हानि हो रही, अपने हक से वंचित होने के कारण चिंतित कर्मियों को मानसिक रूप से भी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
एक बैंकर पर करीब दस हजार ग्राहकों का दायित्व
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर मुख्यालय के अंतर्गत बिलासपुर के अलावा मुंगेली, जांजगीर-चांपा व कोरबा जिले की शाखाओं को शामिल किया गया है। बैंक के आंकड़ों पर नजर डालें तो पांच लाख से अधिक केवल किसान ग्राहक हैं, जो प्रतिवर्ष खेती किसानी के मौसम में कृषि ऋण लेकर खेती बाड़ी करते हैं। कृषि कार्य में किसानों को ऋण व नगद राशि के अलावा खाद-बीज की मदद तो दी ही जाती है, किसानों के अतिरिक्त भी सामान्य वर्ग के ग्राहकों को भी लेन-देन व बचक योजनाओं का लाभ यहां मिलता है। ग्राहकों की इन बड़ी संख्या के लिए बैंकिंग सेवाएं निरंतर व निर्बाध बनाए रखने वाले बैंककर्मियों की संख्या करीब 515 है। इस लिहाज से देखा जाए तो सहकारी बैंकों में कार्यरत प्रत्येक कर्मी पर करीब दस हजार ग्राहकों को संतुष्ट करने का दबाव है, जिसे वे बड़ी जिम्मेदारी से निभा रहे।
7 शाखा में 50 का अमला
जिले में सहकारी बैंकों की पांच लोन व दो डिपॉजिट बैंक समेत कुल सात शाखाएं संचालित हैं। प्रत्येक ब्रांच में शाखा प्रबंधक, कैशियर, लिपिक, भृत्य व अन्य पद समेत छह से सात कर्मी कार्यरत हैं। इस तरह कोरबा जिले की सात शाखाओं में करीब 50 बैंककर्मी कार्यरत हैं, जो इस साल अपनी वेतन वृद्धि का लाभ मिलने के इंतजार में पिछले चार माह से चिंतित हैं। इसी तरह उन्हें मार्च 2022 से मिलने वाले डीए का लाभ भी नहीं मिल सका है, जिससे आर्थिक नुकसान उठाने उन्हें विवश होना पड़ रहा है।