कोरबा@M4S: प्रदेश में बिजली की डिमांड बढ़ती जा रही है। बिजली की डिमांड पूरा करने सेंट्रल ग्रिड से अतिरिक्त बिजली खरीदने की तैयारी की जा रही है। छत्तीसगढ़ डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने सेंट्रल सेक्टर से 1000 मेगावाट बिजली खरीदने के लिए नेशनल पॉवर ग्रिड से एमओव्यू किया है। यह लाइन एक से डेढ़ साल मेें तैयार हो जाएगी।
पॉवर ग्रिड के धरमयजगढ़(भैसमा) स्टेशन में लगेंगे ।220 केवी क्षमता के दो ट्रांसफार्मर नेशनल ग्रिड की प्रदेश में मुख्य लाइन झारसुगढ़ा से धरमयजगढ़(भैसमा) और रांची से धरमयजगढ़(भैसमा) के बीच पॉवर ग्रिड की 765 केवी क्षमता वाली दो लाइनें हैं। इसके अतिरिक्त चार अन्य लाइन हैं। इन्हीं लाइनों से स्टेशन तक सेंट्रल सेक्टर से बिजली पहुंचती है। छत्तीसगढ़ डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने नेशनल पॉवर ग्रिड से धरमजयगढ़ (भैसमा) स्टेशन में 220 केवी वाले दो ट्रांसफार्मर लगाने के लिए अनुबंध किया है। इन स्टेशन से 500-500 मेगावाट क्षमता की बिजली सभांग के छह बड़े सबस्टेशन को सीधे जाएगी। जहां से डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी अपने उपभोक्ताओं को सप्लाई करेगी। एक से दो महीने में इसका काम शुरु होने वाला है। करीब एक साल में यह लाइन तैयार हो जाएगी।
क्षमता से ज्यादा है डिमांड
डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने आने वाले वर्षों में बिजली की डिमांड को देखते हुए तैयारी शुरु कर दी है। दरअसल कंपनी के संयत्रों की उत्पादन की क्षमता 2980 मेगावाट है, जबकि डिमांड 5300मेगावाट तक जा रही है। आने वाले दो वर्षों में बिजली की डिमांड साढ़े 6 हजार के पार जा सकती है। ऐसे में गहराते बिजली संकट को देखते हुए 1000 मेगावाट बिजली खरीदी की जाएगी।
खरीदी से कंपनी पर पड़ेगा भार
कंपनी ने एचटीपीपी में 1320 मेगावाट क्षमता के नए संयंत्र की घोषणा की है। इस प्लांट को उत्पादन में आने में कम से कम छह साल का समय लगेगा। इन छह वर्षों में बिजली की कमी का सामना करना पड़ सकता है। एक हजार मेगावाट की बिजली खरीदने में कंपनी पर आर्थिक बोझ भी पड़ेगा। अभी सामान्य सीजन में ही 1600 मेगावाट बिजली ली जा रही है, जबकि पीक में 2800सौ मेगावाट तक ली जाती है। ऐसे में सेंट्रल सेक्टर से साढ़े तीन हजार मेगावाट बिजली लेने पर आर्थिक बोझ भी अधिक पड़ेगा।
ले रहे अधिक, दे रहे कम बिजली
बिजली की उपलब्धता में प्रदेश को 2016 में सरप्लस का तमगा मिला था। तब सेंट्रल सेक्टर से बिजली कम ले रहे थे और सप्लाई अधिक थी। वर्तमान स्थिति में अप्रैल, मई, जून के महीने में प्रति दिन ग्रिड की लाइन से औसत दो हजार मेगावाट बिजली ले रहे थे, जबकि 1180 मेगावाट के करीब बिजली दूसरे प्रदेश में भेजी जा रही थी।