पशुओं कोे हरा चारा खिलाने बन रहे 228 चारागाह, नेपियर घास और चारा फसलों की बोआई जारी गोठानों में आने वाले 66 हजार से अधिक पशुओं को मिलेगा हरा चारा मक्के को चारागाह में उगाकर बेचने से महिला स्व सहायता समूह भी हो रहे लाभान्वित

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कोरबा@M4S:सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत गोठानों में चारागाह विकसित किये जा रहे हैं। पशुओं को हरा चारा देने के लिए कोरबा जिले में 228 चारागाह स्वीकृत किए गये हैं। जिसमें से 93 चारागाह पूर्ण हो चुके हैं। पशुपालन को ध्यान में रखते हुए ताजे और हरे चारे की व्यवस्था करने के लिए गोठानों के समीप लगी भूमि पर चारागाह विकसित किये जा रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा पशुओं के लिए पौष्टिक चारे उपलब्ध कराने के लिए गोठानों में तीन से पांच एकड़ में नेपियर घास के साथ-साथ ज्वार और मक्का की फसल भी लगाई गई है। चारागाह विकास के लिए मनरेगा मद से 17 करोड़ 81 लाख रूपये तथा अन्य मद से 28 लाख रूपये की राशि भी स्वीकृत की गई है। चारागाह में पशुओं को पर्याप्त मात्रा में चारा मिलने से क्षेत्र में किसानों को दुध उत्पादन के लिए बेहतर सुविधा मिल रही है। इन चारागाहों की पूरी देखरेख और संरक्षण गोठान समिति के सदस्यों द्वारा की जा रही है। चारागाह में उगाने वाले चारा फसल जैसे मक्का के पत्ता, तना को पशुओं के लिए चारा के रूप में उपयोग किया जाता है। मक्का के पौधे से निकलने वाले भुट्टे को स्वसहायता समूह की महिलाएं बाजार में बेचकर मुनाफा भी कमा रही हैं। जिले के गोठानों में विकसित चारागाह में पानी की व्यवस्था के लिए बोर भी कराये गये हैं जो सौर उर्जा चलित है जिससे बिजली बिल का खर्चा भी नहीं आता है। चारागाह में उगाने वाले घास की कटाई महिला स्व सहायता समूह की सदस्यों द्वारा की जाती है। कटाई किए गए घास को चरवाहा कक्ष में सुरक्षित रखा जाता है। जिससे घास की पौष्टिकता बनी रहती है और आवश्यकतानुसार पशुओं को खिलाया जाता है।
जिला पंचायत के सीईओं कुंदन कुमार ने बताया कि जिले में नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत कुल तीन चरणों में चारागाह का निर्माण किया जा रहा है। कुल 228 चारागाह निर्माण की स्वीकृति हुई है। कुल 93 चारागाह का निर्माण पूर्ण हो चुका है तथा शेष का कार्य भी तेजी से पूर्ण हो रहे हैं। जिले में एक हजार 407 एकड़ का रकबा चारागाह निर्माण के लिए चयनित किया गया हैं। सभी पांचों जनपद पंचायत में पशुओं का विकास एवं संवर्धन में चारागाह सहायक साबित होगी। जिले में 228 चारागाह निर्मित हो जाने से 66 हजार से अधिक पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता हो पायेगी।

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