पत्रकारिता की दूसरी पीढ़ी का सशक्त हस्ताक्षर पत्रकार रमेश पासवान नहीं रहे, प्रेस जगत में शोक की लहर

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कोरबा@M4S:पत्रकारिता की दूसरी पीढ़ी का सशक्त हस्ताक्षर ब्रम्हलीन हो गया, समाचारों के प्रति गूढ संवेदनशीलता , गरीबों के प्रति अतिसंवेदनशील रहे पत्रकार रमेश पासवान का दुखद निधन हो गया।
निधन की खबर ने कोरबा के पत्रकारिता जगत को झकझोर कर रख दिया। प्रेस क्लब के सदस्य व वरिष्ठ पत्रकार रमेश पासवान के आकस्मिक निधन की खबर से पत्रकारिता सहित श्रमिक जगत में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी। सांस लेने में तकलीफ की शिकायत पर मंगलवार सुबह उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी सांसें थम गई। हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। रमेश पासवान सहज, सरल और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। रमेश पासवान ने समाचार खोजने और उसे पकड़ने की अद्भुत क्षमता थी। शांत,सरल स्वभाव किसी से बैर वैमनस्यता नहीं रखते थे। सम्मान के प्रति सजग रहते हुए आवश्यक पड़े तो शांत रहकर ही खरा-खरा जवाब देते थे। यही उनके व्यक्तित्व की पूंजी थी। लंबे समय तक देशबंधु में सेवा देने के बाद स्व. पासवान ने हरिभूमि (10 वर्ष), पत्रिका (2 वर्ष) व नवभारत (3 वर्ष) में अपनी उत्कृष्ट लेखनी का लोहा मनवाया। उनकी स्कूली शिक्षा एनसीडीसी स्कूल में हुई थी। केएन कॉलेज से उन्होंने एम.ए. किया था। रमेश पासवान युवाओं के पथप्रदर्शक रहे। औद्योगिक बीट पत्रकारिता में रमेश पासवान को महारत हासिल थी। यहां तक कि श्रमिक नेता भी रमेश पासवान को प्रेम से कामरेड ही पुकारते थे। पत्रकारिता जगत के अलावा श्रमिकों के बीच भी रमेश पासवान का अपना अलग ही नाम था। उनके अचानक अलविदा कह दिए जाने से पत्रकार व श्रमिक जगत स्तब्ध है।

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