रायपुर@M4S:ऐसी नारकोटिक्स दवा जिनका उपयोग नशे के तौर पर भी किया जाता है, उन पर रोक लगाने के लिए प्रदेश स्तर पर स्वास्थ्य विभाग ने नया फरमान जारी किया है। इसके तहत अब मेडिकल स्टोर में इस प्रकार की दवा बेचने से पहले डॉक्टर द्वारा लिखित दवा पर्ची के साथ ही मरीज के आधार कार्ड की छायाप्रति लेनी होगी। इससे पहचान होने के डर से दवा के दुरुपयोग पर रोक लगेगी और अवैध ब्रिकी नहीं हो पाएगी।
जिले में नशीली दवाओं से नशा करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। सख्ती नहीं होने और मुनाफा कमाने के लिए मेडिकल स्टोर संचालक भी युवाओं को यह दवा आसानी से उपलब्ध करा देते हैं और नारकोटिक्स दवाओं की अवैध बिक्री पर लगाम नहीं लग पाता है। पूर्व में इस तरह की अवैध बिक्री रोकने के लिए शासन ने डॉक्टरों द्वारा लिखी गई पर्ची के आधार पर ही दवा बेचने का आदेश दिया था, लेकिन इससे दवाओं की अवैध बिक्री पर रोक नहीं लग पाई। लोग पर्ची में कुछ न कुछ गड़बड़ी कर दवा खरीद लेते हैं। इसी तरह कई मेडिकल स्टोर ऐसे भी हैं, जो कमाई के लिए इन दवाओं को बिना पर्ची के बेच देते हैं। वहीं अब आधार कार्ड की अनिवार्यता से ऐसा करना मुश्किल होगा। इस नई व्यवस्था से मेडिकल स्टोर द्वारा किसे दवा बेची जा रही है इसकी भी जानकारी विभाग को रहेगी। साथ ही युवाओं की पहुंच से ये दवाएं दूर रहेंगी।
टीबी की दवा के लिए भी लगेगी पर्ची
टीबी के मरीजों के लिए नि:शुल्क दवा उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल स्टोर में व्यवस्था की गई है। अब मरीज समय पर दवा ले रहे हैं और दवाओं का लगातार सेवन कर रहे हैं, इसकी जानकारी लेने के लिए भी पर्ची के साथ आधार कार्ड लेने की अनिवार्यता कर दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग को देंगे तमाम जानकारी
आदेश के मुताबिक जितने भी लोग मेडिकल स्टोर से दवा ले रहे हैं, इसकी जानकारी विभाग को देनी होगी। इससे जिम्मेदार अधिकारियों को यह पता चलता रहेगा कि शहर में इस तरह की दवा किस अनुपात में खपता है। साथ ही स्टॉक के अवलोकन से यह जानकारी लगती रहेगी कि दवा गलत हाथों में तो नहीं जा रही है।
नारकोटिक्स दवा के लिए क्या है जरुरी पढ़े पूरी ख़बर
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