नई दिल्ली(एजेंसी):आपने देश में कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में सुना होगा, जहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। लेकिन क्या आपने किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां महिलाएं ही भगवान की पूजा और अराधना करती हैं। ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित फ्यूंलानारायण मंदिर देश का इकलौता मंदिर है, जहां महिला पुजारी पूजा करती हैं। उत्तराखंड के चमोली-गढ़वाल जिले में स्थित यह मंदिर कई रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है।
इस मंदिर के कपाट हर साल सावन महीने में खोले जाते हैं। मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही भगवान नारायण की पूजा के लिए एक पुरुष पुजारी के साथ एक महिला पुजारी का चयन किया जाता है। महिला पुजारी ही भगवान विष्णु का डेढ़ महीने तक श्रृंगार करती हैं। कहा जाता है कि यह अनोखी परंपरा को सदियों से चली आ रही है।
सावन माह में कपाट खुलने के बाद करीब डेढ़ महीने बाद नंदा अष्टमी के दिन मंदिर को कपाट एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। बताया जाता है कि मंदिर के कपाट खुलने के बाद हर रोज महिला पुजारी ही दूध, दही और सत्तू का भगवान नारायण को भोग लगाती हैं।
महिला पुजारी के पीछे है रोचक कहानी
फ्यूंलानारायण मंदिर में महिला पूजारी के पीछे की कहानी काफी रोचक है। ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग की अप्सरा ऊर्वशी ऊर्गम घाटी में फूल लेने पहुंची थी, तो वहां उन्हें भगवान विष्णु विचरण करते हुए दिखे थे। अप्सरा ने भगवान विष्णु को रंग-बिरंगे फूलों की माला भेंटकर उनका फूलों से श्रृंगार भी किया था। तभी से यहां की महिलाएं ही भगवान विष्णु का श्रृंगार करती हैं।