नई दिल्ली(एजेंसी):दिल्ली पुलिस अब सॉफ्टवेयर के जरिये यह पता लगाएगी कि राजधानी के किस इलाके में किस तरह का अपराध कब हो सकता है। इतना ही नहीं डेटा के एल्गोरिदम पर आधारित विश्लेषण के जरिये यह सॉफ्टवेयर (प्रिडिक्टिव पुलिसिंग) पुलिस को पहले से ही आगाह कर देगा कि आने वाले समय में बदमाश किस इलाके में अपराध को अंजाम दे सकते हैं। इसका प्रयोग दिल्ली पुलिस अगले कुछ महीने में करने लगेगी।
यूरोप और यूके में इस्तेमाल : एल्गोरिदम और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के आधार पर काम करने वाले इस सॉफ्टवेयर पर अभी यूरोप और यूके में कुछ जगहों पर प्रिडिक्टिव पुलिसिंग के लिए इस्तेमाल हो रहा है। देश में दिल्ली पुलिस पहली ऐसी पुलिस होगी जो इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगी। इसके लिए सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत कैमरों से राजधानी के अपराधग्रस्त थाना इलाकों को लैस करने जैसे संसाधनों पर काम चल रहा है।
यह होगी खासियत : यह सॉफ्टवेटर पूर्वानुमान पर आधारित पुलिसिंग में बेहद मददगार है। राजधानी के अपराध ग्रस्त इलाकों में लगाए गए एचडी सीसीटीवी कैमरे में कैद आपराधिक घटनाओं, टाइमिंग, अंजाम देने के तरीके और शिकार होने वाले लोगों के डेटा के आधार पर यह उसका विश्लेषण करेगा। साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित आगामी दिनों में होने वाले अपराध के पैटर्न, टाइमिंग और इलाके के बारे में भी एक पूर्वानुमान पर आधारित जानकारी मुहैया कराएगा।
अपराधी पर कसेगा शिकंजा : इस तकनीक से न सिर्फ अपराध के पूर्वानुमान का फायदा होगा, बल्कि वारदातों को अंजाम देने वाले बदमाशों की पहचान करने में मदद मिलेगी। दरअसल, इसमें चूंकि वारदात की फुटेज उपलब्ध होगी, जिससे उस तरीके से वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों के डोजियर खंगालकर उनकी पहचान करने में आसानी हो जाएगी। यह केंद्रीय कमांड रूम से सीधे जुड़ा रहेगा तो मौके की वीडियो फुटेज भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी और पुलिस के पास साक्ष्य भी मौजूद होंगे। इसके आधार पर वैज्ञानिक और सटीक तरीके से जांच बढ़ेगी और बदमाशों को पकड़ने में आसानी होगी।
10 हजार एचडी कैमरे लगाने की तैयारी
राजधानी में अब तक दिल्ली पुलिस ने करीब 4800 कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों की मदद से विभिन्न इलाकों पर नजर रखने में पुलिस को आसानी होती है। दिल्ली पुलिस अब सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी में करीब और 10 हजार एचडी कैमरे लगाने जा रही है। कैमरे लगाने के काम पर बकायदा एक नामी निजी कंपनी जोर-शोर से जुटी है। इन कैमरों को सीधे दिल्ली पुलिस के केंद्रीय कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा। कंट्रोल रूम में लगे सॉफ्टवेयर में विभिन्न इलाकों में घटित अपराध को लेकर आने वाले वीडियो के आधार पर डेटा फीड होगा और उसके आधार पर क्राइम पैटर्न का विश्लेषण तैयार होगा।