दस हजार से अधिक मरीजों का हाट-बाजार चलित अस्पताल में हुआ ईलाज

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झोला छाप डाक्टरों की दुकानदारी बंद, ग्रामीण अब हाट-बाजारों में ही करा रहे ईलाज
कोरबा@M4S:योग दिवस 21 जून से शुरू हुई हाट-बाजार चलित अस्पताल योजना के तहत कोरबा जिले में अब तक 106 हाट-बाजारों में दस हजार से अधिक मरीजों का ईलाज हो गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने हाट-बाजारों में ग्रामीणों को शिविर लगाकर ईलाज की निःशुल्क सुविधा देने की योजना दंतेवाड़ा जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की थी। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल की पहल पर मुख्यमंत्री श्री बघेल की सहमति से यह योजना कोरबा जिले में भी शुरू की गई थी। योजना के तहत अब तक जिले के पांचों विकासखंडों में लगने वाले 106 साप्ताहिक हाट-बाजारों में दस हजार से अधिक ग्रामीणों की जांच और ईलाज किया जा चुका है। हाट-बाजारों में साग-भाजी और दैनिक उपयोग की जरूरी चीजें खरीदने आने वाले ग्रामीणजनों को इन चलित अस्पतालों में रक्तचाप, मधुमेह, सिकलसेल, एनीमिया-हीमोग्लोबिन, मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियों के लिए खून की जांच करने पैथोलोजी की सुविधा मिल रही है। इन यूनिटों के साथ हाट बाजारों में डाक्टर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें आवश्यक दवाईयां आदि भी दे रहे हैं।
इन हाट-बाजार चलित अस्पतालों ने गांवों में घूम-घूम कर ग्रामीणों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डाक्टरों की दुकानदारी भी बहुत हद तक बंद कर दी है। ग्रामीण अब हाट-बाजार में ही अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराकर अच्छे और डिग्रीधारी प्रशिक्षित डाक्टरों से सटीक ईलाज करा रहे हैं। कटघोरा विकासखंड के जवाली गांव की श्रीमती सुशीला मिरी दाये पैर में घुटने के उपर गांठ होने से परेशान थी। झोलाछाप डाक्टर से ईलाज लेने पर भी गांठ का आकार लगातार बढ़ता जा रहा था। श्रीमती सुशीला ने बताया कि ढेलवाडीह हाट-बाजार में चलित अस्पताल में उन्होंने चिकित्सक को अपनी समस्या बताई और अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया। डाक्टरों ने श्रीमती मिरी को खून की कमी होना बताया और दवाईयां दीं। गांठ के ईलाज के लिए डाक्टरों ने श्रीमती सुशीला मिरी को रायपुर मेडिकल कालेज में उच्चस्तरीय जांच कराने की सलाह दी। श्रीमती सुशीला ने डाक्टरों की सलाह मानकर रायपुर मेडिकल कालेज में गांठ की जांच कराई। मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने इस गांठ को फाइब्रोसारकोमा रोग के रूप में पहचाना और सुशीला का आपरेशन कर गांठ को निकाल दिया। इसके बाद सुशीला ने जवाली आकर ढेलवाडीह के हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के डाक्टरों की देखरेख में स्वास्थ्य लाभ लिया। श्रीमती सुशीला बतातीं हैं कि हाट-बाजार के चलित अस्पताल के डाक्टरों की सलाह पर सही समय पर मेडिकल कालेज रायपुर के डाक्टरों ने आपरेशन कर गांठ का ईलाज कर बड़ी बीमारी होने से बचा लिया। उन्होने कहा कि हाट-बाजार में ही ईलाज की सुविधा हो जाने से गांव में अब छोलाछाप डाक्टरों से ईलाज कराना धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।
जिले में अब तक 106 हाट-बाजारों में चलित अस्पताल शिविरों के माध्यम से एक हजार तीन लोगों का ईलाज और स्वास्थ्य जांच की गई है। इन चलित अस्पतालों के माध्यम से सिकिलसेल जैसी घातक बीमारी की 470 लोगों में मौके पर ही जांच की जा चुकी है। डायबिटीज के लिए तीन हजार 195 मरीजों के खून की त्वरित जांच कर उन्हें सात दिन की निःशुल्क दवाई भी दी जा चुकी है। ब्लडपे्रशर संबंधित समस्याओं के लिए तीन हजार 875 लोगों की जांच कर उन्हें सात दिन की दवाई निःशुल्क दी गई है। डायबिटीज और ब्लडपे्रशर से पीड़ित मरीजों की जानकारी संबंधित गांव की मीतानीन और स्वास्थ्य कार्यकर्ता को भी इस चलित अस्पताल में दी जाती है ताकि वे गांवों में जाकर मरीज का लगातार ध्यान रखते हुए बीमारी से संबंधित फालोअप कर सकें। एक हजार 292 लोगों की मलेरिया जांच और उपचार, 297 लोगों की एचआईवी जांच, 190 लोगों की टीबी जांच, एक हजार 220 लोगों की खून की कमी की जांच और जरूरी उपचार तथा दवाईयां हाट-बाजारों के चलित अस्पतालों में दी जा चुकी है। चलित अस्पतालों में एक सौ लोगों के कुष्ट रोग की जांच, एक हजार 264 लोगों का नेत्र विकार संबंधी उपचार और आवश्यकता अनुसार अनुकूल नंबर के चश्में वितरण के साथ-साथ महिला चिकित्सकों द्वारा 265 गर्भवती महिलाओं की जांच और टीकाकरण भी किया जा चुका है। हाट-बाजारों में लगने वाले इन चलित अस्पतालों में दो हजार 891 लोगों की सामान्य रोगों के लिए जांच और 211 लोगों का मौसमी डायरिया से पीड़ित होने पर सफल ईलाज भी किया जा चुका है।

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