डेढ़ सौ से अधिक स्व सहायता समूहों के मशरूम   से संवर रही शहरवासियों की सेहत

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कलेक्टोरेट परिसर में खुला मशरूम   आउटलेट, कलेक्टर ने किया शुभारंभ
कोरबा@M4S:कोरबा जिले के डेढ़ सौ से अधिक स्व सहायता समूहों की लगभग आठ सौ महिलाओं द्वारा उत्पादित मशरूम   से पिछले एक महीने से शहरवासियों को प्रोटीनयुक्त भोजन मिल रहा है और उनकी सेहत संवर रही है। कोरबा जिले में मशरूम   उत्पादन में शहर के आसपास के गांवों और शहर की स्लम बस्तियों की महिलायें मशरूम   उत्पादन कर रही हैं और उसे स्थानीय बाजार में बेंचकर अपनी आजीविका चला रही हैं। स्व सहायता समूहों से जुड़ी इन महिलाओं को केन्द्रीयकृत बिक्री सेंटर के रूप में कलेक्टोरेट परिसर में आजीविका मिषन की दुकान आबंटित की गई है। इस उन्नति मषरूम आउटलेट का आज कलेक्टर किरण कौशल ने शुभारंभ किया। उन्होंने स्व सहायता समूहों की महिलाओं को इस अवसर पर बधाई और शुभकामना दी। इस दौरान अपर कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल सहित उद्यानिकी एवं आजीविका मिषन से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी तथा स्व सहायता समूहों की मशरूम   उत्पादन करने वाली सदस्य महिलायें भी मौजूद रहीं।
कलेक्टोरेट परिसर में शुरू हुये इस मषरूम आउटलेट से ताजे मषरूम के साथ-साथ मषरूम के अचार, पापड़ और अन्य उत्पाद भी जन सामान्य को बिक्री के लिये उपलब्ध होंगे। यहाॅं मषरूम को सूखाकर बनाये गये पाउडर की भी बिक्री की जायेगी। सोनपुरी, बेला, जामबहार, चुईया, भटगांव, दोंदरो गांवों के साथ-साथ नगरीय क्षेत्रों में परसाभांठा, बेलगिरी बस्ती, रूमगरा, षिवनगर, नेहरूनगर जैसे स्लम क्षेत्रों से उत्पादित मषरूम इस आउटलेट पर बिक्री के लिये उपलब्ध रहेगा। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी श्री दिनकर ने बताया कि मषरूम उत्पादन में शहरी क्षेत्र और उससे लगे कोरबा विकासखण्ड के लगभग दस गांवों की 800 महिलायें रोज दो से ढाई क्विंटल ताजे मषरूम का उत्पादन कर रही हैं। श्री दिनकर ने बताया कि मषरूम की फुटकर बाजार में दो सौ रूपये प्रति किलो कीमत है। मषरूम उत्पादन में उपयोग होने वाले एक बैग की लागत 45 से 50 रूपये आती है और एक बैग से बीस-पच्चीस दिन के अंतराल पर तीन बार लगभग एक-एक किलो मषरूम उत्पादित होता है। श्री दिनकर ने बताया कि इस उत्पादित मषरूम को आउटलेट में स्व सहायता समूहों द्वारा दो सौ रूपये किलो की दर पर लोगों को बेचा जा रहा है। इससे इन महिलाओं को प्रतिमाह लगभग तीन से चार हजार रूपये का फायदा हो रहा है। श्री दिनकर ने बताया कि आजीविका मिषन के तहत् स्व सहायत समूह की इन महिलाओं को पैरा फुटू और आयस्टर मषरूम उत्पादन का प्रषिक्षण दिया गया है। इसके साथ ही व्यवसायिक रूप से मषरूम उत्पादन के लिये जरूरी मार्गदर्षन शुरूआती स्पाॅन और अन्य तकनीकी सलाह भी दी जा रही है।
श्री दिनकर ने बताया कि मषरूम के एन्टी आॅक्सिडेंट गुणों, रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की तासीर के साथ-साथ विटामिन-डी के भरपूर स्त्रोत के कारण इस ताजे मषरूम की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि मषरूम के सेवन से बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने और वनज घटाने में सहायक होता है। उन्होंने बताया कि भोजन में मषरूम का नियमित रूप से उपयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों के होने की संभावना कम होती है। मषरूम विटामिन-डी का भी एक बहुत अच्छा माध्यम है। यह हड्डियांे की मजबूती के लिये आवष्यक होता है तथा नियमित रूप से मषरूम खाने से हमारे शरीर की आवष्यकता का 20 प्रतिषत विटामिन-डी भी मिलता है। मषरूम मंे बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो शरीर के वजन को नियंत्रित रखता है। मषरूम मधुमेह के रोगियों के लिये भी फायदेमंद होता है इसके नियमित सेवन से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। मषरूम में बहुत कम मात्रा में कोलेस्ट्राॅल होता है और इसके नियमित सेवन से हृदय रोग की संभावना कम होती है। मषरूम एन्टीबैक्टिरियल, एन्टीवायरल तथा बालों और त्वचा के लिये भी काफी फायदेमंद माना जाता है। मषरूम में पाये जाने वाले तत्व किषोरी बालिकाओं तथा महिलाओं में खून की कमी को नियंत्रित करता है।

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