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कोरबा@M4S: पहली छमाही में जिले की तीनों मेगा परियोजना टारगेट से पीछे चल रही हैं। जिसकी वजह से जिले की खदानों से 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन भी पूरा नहीं हो सका है। अब आगामी छह माह में 92.91 मिलियन टन की कठिन चुनौती है।
एसईसीएल को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 182 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। कोरबा जिले की खदानों से इस लक्ष्य में से 142.52 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया जाना है। वित्तीय वर्ष के अप्रेल से सितंबर तक की स्थिति में जिले की खदानें इस लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन कर पाने में नाकाम रही है। पहली छमाही में लगभग 63 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो जाना था। इसके मुकाबले 49.61 मिलियन टन कोयला उत्पादन ही किया जा सका है। अब शेष बचे छह महीनों में 90 मिलियन टन से ज्यादा कोयला उत्पादन करना होगा। जिले की तीनों मेगा परियोजना गेवरा, दीपका और कुसमुंडा लक्ष्य से पीछे चल रही हैं। कुसमुंडा एरिया को 45 मिलियन टन का टारगेट दिया गया है। छह माह में 19 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन कर लेना था। लेकिन कुसमुंडा से लगभग 14 मिलियन टन कोयला उत्पादन ही पूरा हो सका है। गेवरा भी 52 मिलियन टन के मुकाबले छह माह में लगभग साढ़े 21 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर पाया है। दीपका की स्थिति ठीक नहीं है। 38 मिलियन टन लक्ष्य के मुकाबले इस अवधि में लगभग 9.90 मिलियन टन ही कोयला उत्पादन किया जा सका है। हालांकि कोरबा एरिया ने जरूर छमाही में लक्ष्य से अधिक उत्पादन किया है। कोरबा एरिया को 7.52 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। छह माह में लक्ष्य पूरा करने 3.42 मिलियन टन कोयला खनन किया जाना था, जिसके मुकाबले एरिया से 3.88 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो चुका है। अब शेष बचे छह महीनों में जिले की खदानों को हर माह औसतन 15 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना होगा।
अक्टूबर में 14.57 एमटी का लक्ष्य
सितंबर में भी एसईसीएल लक्ष्य अनुरूप उत्पादन करने में कामयाब नहीं रहा। माह के अंतिम दिनों में हुई झमाझम बारिश के कारण कोयला उत्पादन व परिवहन प्रभावित रहा। अक्टूबर में एसईसीएल को 14.57 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। इसे पूरा करने रोजाना लगभग 4 लाख 70 हजार टन कोयला का उत्पादन करना है। माह के पहले दिन इसके मुकाबले लगभग तीन लाख 42 हजार टन कोयला उत्पादन किया गया।
राजस्व कमाई पर पड़ेगा असर
गत वित्तीय वर्ष में भी जिले की कोयला खदान लक्ष्य अनुरूप कोयला उत्पादन नहीं कर पाई थी। जिसका असर राजस्व कमाई पर पड़ा था। इस वित्तीय वर्ष में भी जिले की खदानें टारगेट के अनुरूप कोयला उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। आगामी छह माह में भारी भरकम टारगेट पूरा करने का दबाव है। ऐसे में कोयला उत्पादन में कमी आई तो इसका सीधा असर राजस्व कमाई पर होगा। जिले से सर्वाधिक राजस्व की कमाई कोयला खनन से ही होती है। उत्पादन में कमी आने से राजस्व विभाग भी लक्ष्य के अनुरूप राजस्व कमाई में पिछड़ जाता है। जिसका असर जिले में होने वाले विकास कार्यों पर भी पड़ सकता है।