कोरबा@M4S: जिले के 98 हजार हेक्टेयर भूमि में रबी के दौरान धान की खेती होती है। इतने बड़े रकबे का केवल 45 प्रतिशत रकबा ही सिंचित है। शेष 55 प्रतिशत रकबा में मानसून आश्रित खेती होती है। खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए जिले में 44 जलाशयों का निर्माण किया गया है। स्वीकृत नौ करोड़ की राशि में चार करोड़ छुरीकला के जलाशय में खर्च होगा शेष ढाई-ढाई करोड़ की राशि केराकछार और लाफा बांध में खर्च किया जाएगा।
खेतों में सिंचाई सुविधा विस्तार करने के लिए जिले के तीन महत्वपूर्ण जलाशयों का जीर्णोद्धार होगा। जल संसाधन को शासन ने नौ करोड़ की स्वीकृति बजट में दी थी। संभवत: सप्ताह भर के अंदर राशि जारी हो जाएगी। जिन जलाशयों का जीर्णोद्धार होना है उनमें छुरीकला, लाफा और केराकछार के जलाशय शामिल है। स्वीकृत रशि से जलाशयों का गहरीकरण, बंधान क्षेत्र का मजबूतीकरण और नहर का विस्तार किया जाना है। तीनों बांध से अब तक 900 हेक्टेयर खेतों को सिंचाई सुविधा मिल रही है। जीर्णोंद्वार होने से इनकी सिंचाई क्षमता 400 हेक्टेयर बढ़ जाएगी।बताना होगा कि छुरीकला के जलाशय का निर्माण वर्ष 1983 में हुआ था। तब से लेकर अब तक यहां कोई सुधार कार्य नहीं हुआ हैं। यही दशा केराकछार और लाफा बांध की भी है। सभी बांध वर्षा आश्रित जल पर निर्भर हैं। बरसाती पानी के साथ बहकर आने वाली मिट्टी से बांध का जलधारण क्षमता कम हो गया है।जल संसाधन विभाग की ओर से कटघोरा के आमाखोखरा, रामपुर जलाशय का निर्माण तो कर लिया गया है लेकिन नहर निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ है। दोनों ही जलाशयों से लगभग 13 गांव के 1200 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करना है। राजस्व विभाग को भू-अधिग्रहण का प्रकरण सौंपा गया है। मामले का निराकरण नहीं होने से किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा।
बढ़ेगी बांध की जलधारण क्षमता
स्वीकृत राशि से बांध में पट चुकी मिट्टी को बाहर किया जाएगा। इसे बांध जलधारण क्षमता बढ़ेगी। स्वीकृत राशि से बांध के बंधान क्षेत्र में उखड़ चुके पत्थरों को फिर से स्थापित किया जाएगा। बांध से निकलने वाली नहर जगह-जगह से टूट चुका है। छुरीकला के भेलवाडबरा जलाशय के नहर की बात करें तो इसके निर्माण के समय से अब तक इसमें किसी तरह का सुधार नहीं किया गया है। बांध किनारे नगर उद्यान के लिए भी जमीन स्वीकृत है, लेकिन निर्माण अभी तक शुरू नहीं हुआ है। जीर्णोद्धार के लिए स्वीकृत राशि से काम पूरा होने की संभावना है। तीनों बांध के पानी का उपयोग केवल खरीफ सीजन के लिए होता है। गहरीकरण होने से पानी का उपयोग रबी फसल के लिए भी होगा।