प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी तिथि के ही नाम से जाना जाता है। लेकिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का अपना विशेष महत्व है। चतुर्थी तिथि ले अनन्त चतुर्दशी तक की जाने वाली गणेश पूजा का अपना एक विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में साकार ब्रह्म और निराकार ब्रह्म दोनों को पूजने की प्रथा है । विशेष रूप से सनातन धर्म के लोग साकार ब्रह्म की पूजा अर्चना करते हैं और इनमें से प्रमुख हैं गणेश की पूजा । गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है । हम आम मानव ही नहीं अपितु देवता भी गणेश को प्रथम पूज्य के रूप में पूजते हैं।
गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ल पक्ष के चतुर्थी) 2 सितंबर 2019 दिन सोमवार
गणेश चतुर्थी तिथि आरंभ- 04:56, चतुर्थी तिथि समाप्त- 01:53 (3 सितंबर 2019)
गणेश पूजा के लिए अभिजित मुहुर्त –
2 सितंबर 11:05 से 13:36 दोपहर तक प्रारंभ कर लेना चाहिए ।
विशेष मुहूर्त –
अमृत चैघड़िया – प्रातः 6.10 से 7.44 तक,
शुभ चैघड़िया- प्रातः 9.18 से 10.53 तक
लाभ चैघड़िया- दोपहर बाद 3.35 से 5.09 तक।
रुद्राष्टाध्यायी का प्रारंभ भी गणेश के मंत्रों से
विघ्नहर्ता गणेश जी को अनेक नामों से जाना जाता है और सभी नामों का धर्म शास्त्रों में व्याख्या दी गयी है । भगवान गणेश की पूजा वैदिक काल से ही चली आ रही है। वेदों में गणेश भी गणेश की पूजा अर्चना बतायी गयी है यहां तक की रुद्राष्टाध्यायी का प्रारंभ भी गणेश के मंत्रों से ही होता है साथ ही पंचदेव (गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव एवं दूर्गा) में इनका स्थान प्रमुख है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गणेश की महिमा जितनी गायी जाय कम है।
महाराष्ट्र में गणेश की पूजा की होती है जबरदस्त धूम
हमारे देश में कई देवताओं का अलग-अलग क्षेत्रों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है जैसे कोलकाता में माँ दूर्गा की विशेष पूजा होती है और बिहार में छठ व्रत जिसमें विशेष रूप से सूर्य की पूजा की जाती है उसी तरह महाराष्ट्र में गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है । वैसे तो गणेश जी वैदिक काल से लेकर आजतक सर्वविदित एवं पूजित हैं।
10 दिनों तक पूजा अर्चना
प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी तिथि के ही नाम से जाना जाता है लेकिन शिव पुराण के अनुसार ऋद्धि-सिद्धि के दाता गणेश जी का जन्म भाद्रशुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को कहा गया है । महाराष्ट्र एवं आस-पास के प्रान्तों में इसे गणेश जयन्ती के रूप में मनाया जाता है और एक दिन से लेकर 10 दिनों तक इनकी पूजा अर्चना की जाती है । पारिवारिक, सामाजिक एवं आर्थिक उन्नत्ति के लिए इस त्योहार का बहुत महत्व है ।
अनन्त चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन
महाराष्ट्र में तो घर-घर में इनकी पूजा विशेष की जाती है और गणेश जयन्ती के अवसर पर सभी अपने घरों में गणपति को बुलाते हैं और श्रद्धा के साथ पूजन करते हैं अपने सामथ्र्य एवं परम्पराओं के अनुकुल 1 दिन से लेकर 10 दिनों तक इनका पूजन किया जाता है । गणपति का पूजन सामाजिक स्तर पर भी किया जाता है जहां बड़े-बड़े पंडाल आदि लगाकर इनकी पूजा अर्चना की जाती है और पंडाल में विशेष कर इनकी दस दिनों तक पूजा की जाती है और अनन्त चतुर्दशी के दिन इनका विसर्जन किया जाता है ।
एक उदघोष जो गणपति के लिए लगाया जाता है उसका भावानात्मक संबंध भी है ।
गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तु जल्दी आ।… विसर्जन के समय यह उद्घोष सभी के आंखों को नम कर जाता है इससे यह प्रतीत होता है कि लोग बप्पा से कितना प्रेम करते हैं।
ज्योतिष की दृष्टि में इस बर्ष गणेश चतुर्थी में चतुर्ग्रही योग बन रहा है जो कालपुरूष के पत्रिका के अनुसार पंचम भाव में बन रहा है । सिंह राशि में सूर्य, बुध, मंगल एवं शुक्र का योग होना निश्चय ही शुभ फलदायी है । पंचम स्थान से बुद्धि और विवेक की बात की जाती है इसलिए जो भी इस वर्ष पुरी श्रद्धा से इनकी पूजा अर्चना करेंगे उनको विशेष लाभ प्राप्त होगा । धन चाहने वालों को शुक्र विपुल धन की प्राप्ति करा सकते हैं । यश संतान एवं आंखों की रोशनी की कामना रखने वालों को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होगी । सामर्थ्य, साहस एवं बल चाहने वालों को मंगल का आशीष मिल सकता है और विद्या एवं बुद्धि चाहने वालों को बुध देव की कृपा प्राप्त हो सकती है। इसलिए इस वर्ष बुद्धि के दाता गणेश जी की जयन्ती का बहुत महत्व है ।
राशि के अनुसार कैसे करें गणेश जी का पूजन
सभी लोगों को अपने सामर्थ्य एवं श्रद्धा से गणेश जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए । फिर भी विशेष राशि स्वामी के अनुसार यदि पूजन करते हैं तो विशेष लाभ प्राप्त होगा ।
– यदि आपकी राशि मेष एवं बृश्चिक हो तो आप अपने राशि स्वामी का ध्यान करते हुए लड्डु का विशेष भोग लगावें आपके सामथ्र्य का विकास होगा ।
– यदि आपकी राशि बृष एवं तुला हो तो आप भगवान गणेश को मोदक का भोग विशेष रूप से अवश्य लगावें आपको ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी ।
– मिथुन एवं कन्या राशि वाले को गणेश जी को पान अवश्य अर्पित करना चाहिए आपको विद्या एवं बुद्धि की प्राप्ति होगी ।
– धनु एवं सिंह राशि वालों को फल का भोग अवश्य लगाना चाहिए ताकि आपको जीवन में सुख, सुविधा एवं आनन्द की प्राप्ति हो सके।
– मकर एवं कुंभ राशि वालों को सुखे मेवे का भोग लगाना चाहिए जिससे आप अपने कर्म के क्षेत्र में तरक्की कर सकें।
– सिंह राशि वालों को केले का विशेष भोग लगाना चाहिए जिससे जीवन में तीव्र गति से आगे बढ़ सकें।
– कर्क राशि वालों को सफेद बताशे, खील एवं धान के लावा का भोग लगना चाहिए जिससे आपका जीवन सुख-शांति से भरपूर हो