दिल्ली@एजेंसी : पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि आईएनएक्स मीडिया मामले में जांच एजेंसियां हर रोज उनकी छवि “धूमिल” कर रही हैं। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ किए जाने की जरूरत है। चिदंबरम के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि ईडी आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उनकी स्थानापन्न रूप से संलिप्तता दर्शाना चाहती है क्योंकि वह कार्ति चिदंबरम के पिता हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार कार्ति चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के सदस्यों को प्रभावित करने का प्रयास किया था।
न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने धन शोधन मामले में चिदंबरम को गिरफ्तारी से मिले संरक्षण की अवधि मंगलवार तक के लिए बढ़ा दी क्योंकि उनकी याचिका पर (सोमवार) सुनवाई पूरी नहीं हो पाई।
चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, “एक बार जैसे ही आप किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते हैं तो लोगों की राय ऐसी बन जाती है कि आप दोषी हैं। यह एक व्यक्ति की छवि को धूमिल कर देता है। सीबीआई और ईडी द्वारा रोजाना मेरी छवि धूमिल की जा रही है और मेरे पास अपने बचाव के लिए कोई उपाय नहीं है।”
ईडी का आरोप है कि 2007-2008 में आईएनएक्स मीडिया को 4.62 करोड़ की एफआईपीबी मंजूरी दी गई थी। लेकिन जो पैसा निवेश के लिए आया वो 305 करोड़ रुपये आईएनएक्स न्यूज के नाम से आया था। यह मंजूरी उस वक्त दी गई थी जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे।
विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी के बारे में सिब्बल ने कहा कि बोर्ड में भारत सरकार के छह सचिव होते हैं और उनकी मंजूरी के बाद ही वित्त मंत्री होने के नाते चिदंबरम ने सिर्फ उस पर हस्ताक्षर किए थे।
उन्होंने कहा कि निदेशालय का आरोप है कि इस मामले में छद्म कंपनियों का इस्तेमाल किया गया परंतु ऐसी कोई भी कंपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चिदंबरम से संबंधित नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि निदेशालय की प्राथमिकी में चिदंबरम का नाम नहीं था और प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाए गए थे।
सिब्बल ने कहा, “पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में स्थानापन्न रूप से शामिल दर्शाया जा रहा है क्योंकि वह कार्ति चिदंबरम के पिता हैं। उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनाया गया है।” उन्होंने कहा, “एफआईपीबी के किसी भी सचिव ने यह नहीं कहा कि कार्ति ने उनसे संपर्क किया था या अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था।”
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अदालत सीलबंद लिफाफे में पेश एक गोपनीय दस्तावेज को देखे और अपने अंत:करण को संतुष्ट करे कि उनकी हिरासत में पूछताछ की जरूरत है या नहीं।
इस पर पीठ ने कहा कि वह भोजनावकाश के दौरान दस्तावेजों को देखेगी।
सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा, “कोई मामला नहीं बनाया गया है और आईएनएक्स मीडिया से कोई लेना-देना नहीं है। दस्तावेजों को एक सीलबंद लिफाफे में सौंपने का प्रयास अनुचित है और उन्हें अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह उनके खिलाफ पूर्वाग्रह पैदा करेगा और सुनवाई सनसनीखेज बनेगी।”
क्या है चिदंबरम पर आरोप
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया था कि आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में अनियमितताएं की गईं। यह मंजूरी उस वक्त दी गई थी जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे।
इसके बाद, 2017 में ही प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया।