कोरबा@M4S:जन्मजात झटके की समस्या से बच्ची जूझती रही। परिजन भी एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल इलाज को लेकर भटकते रहे। लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई। जन्म से लेकर चार माह के बीच कई डॉक्टरों ने उसका इलाज भी किया। गत दिनों तबीयत बिगडऩे पर उसे एनटीपीसी के एक निजी अस्पताल से एनकेएच रिफर किया गया। जहां गहन उपचार के बाद मासूम की सेहत में काफी सुधार हुआ ।
बालको अंतर्गत शिवनगर रूमगरा में धन्नूरामअपनी पत्नी दुलारी के साथ निवासरत है। चार माह पहले उनके घर एक बच्ची का जन्म हुआ था। जन्म के दौरान से ही मासूम को झटके आने की समस्या थी। जब वह दो माह की थी तब उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान माता पिता को उसकी बीमारी के बारे में पता चल पाया । वे इसे लाइलाज बीमारी मानकर स्वस्थ्य होने की उम्मीद छोड़ चुके थे। कुछ दिन पहले बच्ची की तबीयत एक बार फिर अचानक बिगड़ी तो परिजन उसे लेकर एक निजी हॉस्पिटल एनटीपीसी पहुंचे। जहां मासूम को भर्ती कर उसका उपचार शुरू किया गया। इलाज के बाद भी उसकी सेहत में सुधार नहीं हुआ बल्कि उसकी स्थिति और बिगडऩे लगी। तत्काल उसे उच्च चिकित्सा की आवश्यकता को देखते एनकेएच हॉस्पिटल कोरबा में एडमिट कराने की सलाह परिजनों को दी गई। एनकेएन में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नागेन्द्र बागरी ने मासूम का सघन परीक्षण कर तत्काल उसे वेंटिलेटर में शिफ्ट किया । तीन दिनों तक मासूम को बड़ी वेंटिलेटर मशीन में रखकर इलाज किया । बच्ची के आहार आवश्यकताओं को पूरा करने गले की नली का सहारा लेना पड़ा। डॉ. बागरी ने मासूम की गंभीर हालत को देखते हुए स्टेप बाई स्टेप दवाओं की खुराक दी। धीरे धीरे स्थिति में सुधार होने लगा । अब वह खेलने कूदने के साथ मां का दूध भी ले रही है। मासूम का अस्पताल से छूटी हो गया है। बच्ची के परिजनों ने डॉ. बागरी और एनकेएच अस्पताल प्रबंधन को धन्यवाद ज्ञापित किया है।
जन्मजात झटके की बीमारी से मासूम को मिला निदान
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