कोरबा@M4S. घोटालों और भ्रष्टाचार के विरुद्ध शासन और प्रशासन कितनी गंभीर है। इसका पता इस बात से चलता है कि जिले के कटघोरा विकासखण्ड के शासकीय हाई स्कूल गोपालपुर में पदस्थ प्राचार्य सीमा भारद्वाज पर सरकारी राशि गबन करने संबंधी आरोपों की जांच में पुष्टि हो चुकी है। जिसपर ठोस कार्रवाई करने के बजाय जिला प्रशासन मामले की तह तक पहंचने के लिए जांच प्रतिवेदन की जांच कर रहा है। बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भारद्वाज को फिर से उसी लोक शिक्षा समिति के परियोजना अधिकारी के पद पर प्रतिनियुक्ति दे दी है। जहां उसने पूर्व में भी कई घोटालों को अंजाम दिया था।
वर्तमान में मामला सीमा भारद्वाज को प्रभार सौंपने के दौरान फंस गया है। दरअसल भारद्वाज पूर्व में भी इसी पद पर रह चुकी है, और इसी दौरान लाखों रुपये के घोटालों को अंजाम दिया था। अब प्रभार छोडऩे के पहले अब तक डीपीओ का पदभार संभाल रहे सतीश प्रकाश ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। उक्त पत्र में लिखा गया है कि वर्ष 2013 में सीमा भारद्वाज और सहायक ग्रेड- 2 निरंजन गोभिल द्वारा जिले के 352 लोक शिक्षा केन्द्रों में पोताई का कार्य कराया गया था। इस कार्य की शिकायत के बाद जांच में इन दोनो के द्वारा संयुक्त रूप से मिलीभगत कर नियम विरूद्ध ढंग से फर्जी व्यक्तियों के नाम पर कोटेशन पारित किया था। लोक शिक्षा केन्द्रों मे पोताई कार्य के एवज में फर्जी व्यक्तियों को भुगतान किया गया। जिनके नाम व पते का कोई विवरण कहीं भी उल्लेखित नहीं है। इसलिए इस कार्य में कुल मिलाकर तीन लाख 46 हजार 460 रुपए का, कूटरचना कर गबन किया गया है। प्रतिवेदन में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है। आगे पत्र में उल्लेख किया गया है कि इस घोटाले के समस्त दस्तावेज आज भी लोक शिक्षा समिति, कार्यालय में मौजूद है। ऐसी स्थिति में सीमा भारद्वाज को प्रभार देने के उपरांत जांच के दस्तावेज और अभिलेखों से छेड़छाड़ की संभावना है। प्राचार्य सीमा भारद्वाज जांच के दस्तावेज गायब भी करवा सकती है। अंत: घोटाले के दस्तावेजों को डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को सौंपने के संबंध में मार्गदर्शन मांगा गया है। ताकि जांच के दस्तावेज सुरक्षित रहें।
-भ्रष्टाचार के विरूद्ध शासन के दावे खोखले
जांच प्रतिवेदन में कूटरचना और गबन की पुष्टि होने के बावजूद सीमा भारद्वाज पर कार्यवाही नहीं हुई। बल्कि ऐसे अधिकारी को संरक्षण देते हुए शासन से उन्हें गोपालपुर से प्रतिनियुक्ति पर फिर से साक्षरता मिशन का डीपीओ बना दिया है। इस मामले में तुमान निवासी फिरत पटेल ने एफआईआर दर्ज करने के लिए एसपी को भी ज्ञापन सौंपा था। यह पूरा मामला सन 2012-13 का है। जब सीमा भारद्वाज साक्षरता मिशन में जिला परियोजना अधिकारी के पद पर पदस्थ थीं। जिसके विरूद्ध प्रेरक फिरत राम पटेल ने पोताई के नाम पर दस्तावेजों में कूटरचना कर फर्जी तरीके सरकारी राशि आहरित कर लेने की शिकायत कलेक्टर से की थी। जिसकी जांच कलेक्टर कोरबा का पत्र क्रमांक/10107/शिकायत/स्था./पंजी//क्रमांक/141/2015 के आदेश पर साक्षरता मिशन के तत्कालीन डीपीओ सतीश प्रकाश ने की थी। जांच रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने उल्लेख किया है कि पूर्व जिला परियोजना अधिकारी सीमा भारद्वाज(प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल गोपालपुर) और निरंजन गोभिल लेखापाल/ सहायक-2(संविदा) जिला लोक शिक्षा समिति कोरबा के विरूद्ध शिकायत के आधार पर जांच के दौरान पाया गया कि विकासखण्ड परियोजना अधिकारियों एवं प्रेरकों के अभिकथन द्वारा स्पष्ट रूप से सिद्ध होता है कि कोरबा जिले के 352 लोक शिक्षा केंद्रों में पोताई कार्य करवाने के लिए कागजातों में हेराफेरी कर फर्जी कोटेशन के द्वारा अनाम व्यक्तियों के नाम पर रंगाई पोताई करवाने के लिए राशि आहरित कर ली गई है। नस्ती में उल्लेखित जिन व्यक्तियों के नाम पर न्यूनतम दर पर कोटेशन पारित किया गया है। उन व्यक्तियों का पूर्ण विवरण, पता, संपर्क नंबर अभिलेखों में मौजूद ही नहीं है। जांच में पाया गया कि कार्य के लिए किसी भी समाचार पत्र में निविदा का प्रकाशन नहीं कराया गया है। निविदा तथा कोटेशन पारित करने के लिए क्रय/पुताई समिति का नियमानुसार अनुमोदन नहीं लिया गया है। इस संबंध में यह बिंदु भी उल्लेखित है कि कोरबा जिले के 352 लोक शिक्षा केंद्र में से लगभग 200 लोक शिक्षा केन्द्र ग्राम पंचायत भवन में, लगभग 50 आंगनबाड़ी/सामुदायिक भवन तथा लगभग 100 लोक शिक्षा केंद्र प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला में संचालित होते हैं। इन सभी भवनों की पुताई संबंधित विभाग द्वारा भी पृथक से कराई जाती है। इसलिए प्रकरण की जांच से स्पष्ट होता है कि जिले के कुछ लोक शिक्षा केंद्रों में सामग्री बांटकर बहुत से लोक शिक्षा केंद्रों में कोई भी सामग्री प्रदान नहीं की गई है। प्रकरण की जांच करने के उपरांत स्पष्ट तौर पर सिद्ध होता है कि निरंजन गोहिल लेखापाल/सहायक ग्रेड-2(संविदा)लोक शिक्षा समिति कोरबा के द्वारा पूर्व जिला परियोजना अधिकारी डॉ सीमा भारद्वाज(प्राचार्य, शासकीय हाई स्कूल गोपालपुर) के निर्देश पर दोनो के द्वारा संयुक्त रूप से मिलीभगत कर नियम विरुद्ध तरीके से फर्जी व्यक्तियों के नाम पर कोटेशन पारित कर स्वयं लोक शिक्षा केंद्रों की पोताई का ठेका लेकर, प्रेरकों को कुछ राशि तथा पुताई का सामान देकर, खुद ही लोक शिक्षा केंद्रों में पोताई का कार्य कराया गया है। जिसमें प्रेरकों को भी राशि का भुगतान नहीं किया गया है। प्रकरण की जांच कर सारे दस्तावेजों सहित संलग्न कर पूर्व जिला परियोजना अधिकारी डॉ सीमा भारद्वाज और निरंजन गोहिल लेखापाल सहायक ग्रेड 2 के विरुद्ध नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई किए जाने हेतु सादर संप्रेषित है। जांच में कूटरचना और सरकारी राशि को गबन करने की पुष्टि होने के बाद इस जांच प्रतिवेदन की जांच के लिए एसडीएम कोरबा को पत्र लिख गया था। जोकि अब तक जिला प्रशासन की शिकयत शाखा को नहीं मिली है।
पांच चेक जारी किसी में पूरा विवरण नहीं, व्यक्तियों के नाम का मतदाता सूची में भी नहीं है उल्लेख
पोताई कार्य के एवज में मनमोहन, दिलीप, रामखिलावन, शिव व कृष्णा नामक व्यक्तियों को कुल मिलकार तीन लाख 46 हजार 460 रूपए का चेक जारी किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इन सभी से जो कोटेशन मंगाए गए हैं। उनमें से किसी भी लेटरपैड पर उपरोक्त व्यक्तियों का संपूर्ण नाम, पता व विवरण मौजूद नहीं है। इनमें से एक लैटरपैड की पड़ताल करने पर बेहद चौंकाने वाली बात का पता चला है। जिस मनमोहन नामक व्यक्ति का सिर्फ पता सुराकछार लिखा गया है। जिसके नाम पर लोक शिक्षा समिति द्वारा चेक भी जारी किया गया है। उसी मनमोहन का नाम जब सुराकछार क्षेत्र की मतदाता सूची में खंगाला गया तब इस नाम का सूची में कोई भी उल्लेख नहीं मिला। जिस व्यक्ति का नाम बताए गए पते की मतदाता सूची में भी नहीं है। उसके नाम पर चेक जारी किया गया है। और प्रशासन जांच पे जांच कराए जा रहा है।
लंबे समय से पदस्थ हैं गोपालपुर में
सीमा भारद्वाज विगत 2010 से सरकारी हाई स्कूल गोपलपुर में पदस्थ हैं। जबकि नियमानुसार 3 साल में स्थानांतरण किया जाना चाहिए। प्राचार्यों के स्थानांतरण के मामले में आचार संहित व चुनाव आयोग का भी डंडा नहीं चलता। जिसकी जितनी अधिक पहुंच व धनबल वह उतने अच्छे स्थान पर सालों से बने रहते हैं। लंबा कार्यकाल होने के बाद भी गोपालपुर का परीक्षा परिणाम बेहद निराशाजनक है। सत्र 2017-18 में 10वीं कक्षा का बोर्ड परीक्षा परिणाम 47 प्रतिशत रहा। पिछले वर्ष परीक्षा परिणाम महज 38 प्रतिशत था। गांव वाले भी इन्हें हटाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन शासन अब भारद्वाज को प्रतिनियुक्ति दे दी है। अब वह स्कूल और लोक शिक्षा समिति दोनो स्थानों पर घोटाला कर सकेंगी।