गोबर बेचकर हो रही अतिरिक्त आय से ग्रामीण खुश गोधन न्याय योजना शुरू होने से पशुपालन को लेकर आमजनो में उत्साह जिले मे दो दिनो में लगभग 11 हजार किलो गोबर बेचकर किसानो ने 21 हजार रूपए से अधिक कमाये

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कोरबा@M4S:आमदनी के अतिरिक्त साधन के रूप में गोधन न्याय योजना पशुपालको के लिए वरदान साबित हो रही है। हरेली के पावन पर्व से शुरू हुए गोधन न्याय योजना के अंतर्गत ग्रामीणों से दो रूपए प्रतिकिलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। मवेशियों का गोबर आय का जरिया बन जाने से ग्रामीण बहुत खुश नजर आ रहे है। पशुपालक आर्थिक स्थिति मजबूत करने पशुपालन को लेकर उत्साहित है तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने आ रहे है। गौठानो मे स्थित गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने के लिए सभी हितग्राहियों को गोबर क्रय पत्रक दिया गया है। क्रय पत्रक में गोबर खरीदी की मात्रा, राशि रजिस्टर किया जा रहा है। गोबर को दो रूपए प्रतिकिलो की दर से खरीद कर प्रत्येक 15 दिनो में भुगतान हितग्राही के बैंक अकाउंट में सीधे ही किया जाएगा। गोबर बिक्री का पैसा सीधे खाता में आने से पशुपालक बढ़-चढ़ कर गोधन न्याय योजना का लाभ उठा रहे है।

जिले मे गोधन न्याय योजना शुरू होने के दो दिनों मे ही किसानो नेे लगभग 11 हजार किलो गोबर बेच दिए है। गोबर बेचने से 21 हजार रूपए से अधिक की आवक पशुपालको को हुई है। जनपद कोरबा में सर्वाधिक गोबर की बिक्री हुई है। किसानो ने तीन हजार 975 किलोग्राम गोबर बेचकर सात हजार 950 रूपए की आवक प्राप्त की है। जनपद करतला मे किसानो से एक हजार 817 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई जिससे तीन हजार 634 रूपए की आमदनी किसानो को हुई। जनपद कटघोरा के किसानो ने एक हजार 753 किलोग्राम गोबर बेचकर तीन हजार 306 रूपए कमाए। जनपद पाली के किसानो ने एक हजार 216 किलोग्राम गोबर बेची और दो हजार 433 रूपए का लाभ प्राप्त किए। इसी प्रकार जनपद पोड़ी-उपरोड़ा में कुल दो हजार 130 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई जिससे किसानो को चार हजार 260 रूपए का लाभ मिला।
विकासखंड पाली के ग्राम रैनखुर्द की महिलाएं गोधन न्याय योजना से बहुत ही संतुष्ट नजर आ रही है तथा इस योजना को किसान हितैषी और आय का अतिरिक्त साधन जुटाने का जरिया बताया। ग्राम रैनखुर्द की श्रीमती नंदनी यादव ने बताया कि उनके पास सात मवेशी है जिससे वह लगभग 35 किलो गोबर एक दिन में बेच रही है। श्रीमती यादव बताती है कि पहले गोबर को बिना उपयोगी समझकर फेंक देते थे अब गोबर के दो रूपए प्रतिकिलो पैसा मिलने से और अधिक संख्या में मवेशी रखने को प्रोत्साहित हो रही है। रैनपुर खुर्द गांव के ही श्रीमती चंद्रिका बाई ने बताया कि उनके पास अभी दो मवेशी है जिनका 10 किलो गोबर गौठान में बेच रही है। गांव के ही मधन बाई और सुनिश्चित लता ने बताया कि दो-दो मवेशी रखकर लगभग 10-10 किलो गोबर गोधन न्याय योजना के तहत बेच रही है। महिलाओ ने बताया कि पहले गोबर से खाद बनाने मे तीन महीने लग जाते थे जिससे गोबर खाद का उपयोग बेहतर तरीके से नहीं हो पाता था। अब गौठानो मे गोबर बेचने से 45 दिनो में ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जायेगा और किसान अपनी सुविधाजनक समय में उपयोग कर सकेंगे। गोधन न्याय योजना से महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ होगा। गौठान मे खरीदे गये गोबर से जैविक खाद बनायेंगे जिसको आकर्षक पैकिंग में तैयार करके आठ रूपए किलो की दर से सहकारी समितियों के माध्यम से बेचा जाएगा। जैैविक खाद से तैयार किये गये फसल से शुद्ध उत्पादन होगा और बिना रसायन के जैविक खाद्य उत्पाद लोगो को मिलेगा। ग्रामीणों ने बताया कि गोधन न्याय योजना से खुले में मवेशी चराई पर रोकथाम होगी। लोग अपने मवेशी को घर में रखकर गोबर उत्पादन को लेकर प्रोत्साहित होंगे। गोबर बेचकर आने वाले अतिरिक्त आय से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार आयेगी जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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