गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2018 : राज्यपाल बलरामजी दास टण्डन का छत्तीसगढ़ की जनता के नाम संदेश

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प्रिय बहनों, भाइयों और प्यारे बच्चों,
रायपुर@M4S:छत्तीसगढ़ के समस्त निवासियों को गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
इस महान राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर मैं उन समस्त विभूतियों को सादर नमन करता हूं, जिन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में अमूल्य योगदान दिया और देश को आजादी दिलाई।
मैं भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के उन अमर शहीदों को भी नमन करता हूं, जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देकर देश की रक्षा की और उन तमाम जवानों का भी अभिनंदन करता हूं, जो सीमाओं पर तैनात रहकर हमारे देश की एकता और अखण्डता की रक्षा कर रहे हैं।
मुझे यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संविधान निर्माताओं और विशेषकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी तथा डॉ. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी की भावनाओं के अनुरूप भारतीय गणतंत्र को असीम ऊंचाइयों पर पहुंचाने का संकल्प लिया है। उन्होंने हमारी संघीय शासन व्यवस्था में राज्यों को मान-सम्मान और महत्वपूर्ण विषयों पर भागीदारी देकर देश में एकजुटता, सक्रियता और विकास का उत्साहजनक वातावरण बनाया है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने ‘एक राष्ट्र-एक कर-एक बाजार’ की अवधारणा को जमीनी हकीकत में बदलते हुए देश में ‘जी.एस.टी.’ लागू कर भारत को विकसित देशों की कर-प्रणाली में खड़ा कर दिया। नई खनिज नीति के साथ ऐसी अनेक नीतियां और योजनाएं लागू की गईं, जिससे भारत का आर्थिक, सामाजिक आधार मजबूत हुआ है।
मुझे खुशी है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में देश की जो नई विकास यात्रा शुरू हुई है, उसमें हमारा छत्तीसगढ़ राज्य भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राष्ट्र निर्माण में खनिज संपदा का योगदान बढ़ाने के लिए नई नीति के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ राज्य ने अग्रणी योगदान किया है। सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउण्डेशन ट्रस्ट के गठन से लेकर खनिज ऑनलाइन वेबसाइट शुरू करने तक देश में छत्तीसगढ़ प्रथम रहा है। ऐसे विभिन्न प्रयासों के कारण प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने देश में एवं आदिवासी तथा आर्थिक रूप से पिछड़े अंचलों में तीव्र विकास के लिए संसाधन प्राप्त हुए हैं। डी.एम.एफ. मद से करीब 26 सौ करोड़ रूपए की विकास योजनाओं की स्वीकृति दी गई है।
वास्तव में गणतंत्र की मजबूती एक-एक व्यक्ति के सशक्तीकरण पर निर्भर करती है और इस दिशा में राज्य शासन द्वारा अनेक सराहनीय कदम उठाए गए हैं। हमारे प्रेरणा-स्त्रोत, एकात्म मानववाद तथा अन्त्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय के सपनों को साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार पूरी तरह संकल्पबद्ध है और प्रदेश सरकार के ऐसे विशेष प्रयासों से समाज के अंतिम तबके के अंतिम व्यक्ति का सशक्तीकरण अर्थात् ‘अन्त्योदय’ हो रहा है।
प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य को नई पीढ़ी के निर्माण का मुख्य माध्यम बनाया गया है। शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई, जिसके परिणामस्वरूप प्रवेश दर में वृद्धि हुई (विशेषकर बालिकाओं की दर्ज संख्या में) शालात्यागी दर में कमी आई, गुणवत्ता में सुधार हुआ। रोजगारपरक शिक्षा के लिए युवाओं में आकर्षण बढ़ा है।
उत्तम स्वास्थ्य की सौगात प्रत्येक व्यक्ति को देने के लिए राष्ट्रीय तथा मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निःशुल्क उपचार की राशि 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रूपए की गई है। मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना से लेकर मुख्यमंत्री बाल मधुमेह सुरक्षा योजना तक अनेक योजनाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं। मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर में कमी तथा संस्थागत प्रसव में वृद्धि जैसे तथ्य स्वास्थ्य योजनाओं की सफलता की कहानी स्वयं बयान करते हैं।
प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा से बेहतर रोजगार की ओर ले जाने के प्रयास सफल हो रहे हैं। छात्रावासों, आश्रम शालाओं, प्रशिक्षण केन्द्रों तथा उनकी सीटों की संख्या में वृद्धि के साथ ही शिष्यवृत्ति की दर भी बढ़ाई गई है। ‘प्रयास’ संस्था में पढ़े-लिखे इन वर्गों के करीब 700 बच्चे आई.आई.टी., एन.आई.टी., मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश पा चुके हैं। वहीं ‘उत्कर्ष आदिवासी यूथ हॉस्टल’ नई दिल्ली में रहकर तैयारी करने वाले 21 युवाओं का चयन यू.पी.एस.सी., पी.एस.सी. तथा अन्य सेवाओं में हुआ है।
अधिसूचित की गई अनुसूचित जनजातियों तथा अनुसूचित जातियों के नाम अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद के कारण उनके हिन्दी उच्चारण में कुछ अंतर आ गया था, जिसके कारण इनके जाति प्रमाण पत्र जारी होने में समस्या आ रही थी। राज्य सरकार ने उच्चारणगत अंतर को मान्य करते हुए इस समस्या का भी हल कर दिया है। अन्य पिछड़ा वर्गों के आरक्षण हेतु निर्धारित आय-सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रूपए प्रतिवर्ष किया गया है।
वनवासियों के लिए तेन्दूपत्ता संग्रहण आय का मुख्य जरिया रहा है। राज्य में तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर को 450 रूपए से बढ़ाकर गत वर्ष 18 सौ रूपए प्रति मानक बोरा किया गया था। इस वर्ष पुनः वृद्धि करते हुए यह दर 25 सौ रूपए की गई है। इसके अतिरिक्त 274 करोड़ रूपए से अधिक का बोनस भी वितरित किया गया है।
विगत एक वर्ष में लघु वनोपज संग्राहकों के करीब 22 हजार बच्चों को लगभग 9 करोड़ रूपए की छात्रवृत्ति दी गई है।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्गों के 21 हजार से अधिक किसानों की पड़त भूमि पर लगभग 3 करोड़ पौधे लगाए गए हैं, जिससे इन परिवारों की आय में वृद्धि होगी। इन्हें डेयरी व्यवसाय से जोड़ने के लिए 50 से लेकर 67 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है, ताकि दुग्ध उत्पादन, उन्नत चारा के साथ इनकी आमदनी में भी वृद्धि हो।
हमारी नीतियों और योजनाओं की सफलता की कसौटी, किसान भाई-बहनों की समृद्धि और खुशहाली में होती है। किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की अच्छी व्यवस्था, बोनस का भुगतान तथा विभिन्न योजनाओं से किसानों के स्वावलंबन में मदद मिली है। इस वर्ष शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर 38 सौ करोड़ रूपए कृषि ऋण वितरण का बड़ा लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से लगभग 33 सौ करोड़  रूपए के कृषि ऋण का उठाव अभी तक हो चुका है। 10 लाख से अधिक किसानों को ‘रूपे केसीसी कार्ड’ दिए गए हैं, जिससे वे किसी भी स्थान के, किसी भी बैंक के एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं। प्रदेश में अल्पकालीन सहकारी साख संरचना को मजबूत बनाने के लिए जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों का संविलयन छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक में किया जा रहा है, जिससे पुनर्गठित सहकारी बैंक किसानों को व्यवसायिक बैंकों की तरह बेहतर सुविधाएं दे सकेगी।
कृषकों को उपज का सही दाम दिलाने के लिए प्रदेश की 14 मण्डियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार ‘ई-नाम ;म्.छ।डद्ध’ से जोड़ दिया गया है, जिससे देश के प्रचलित बाजार भाव की जानकारी का लाभ हमारे किसानों को मिलने लगा है। उद्यानिकी फसलों के भण्डारण के लिए 7 नए ‘कोल्ड-स्टोरेज’ निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिससे उद्यानिकी फसलों की भण्डारण क्षमता 35 हजार मीट्रिक टन बढ़ जाएगी।
प्रदेश में सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी के लिए चलाए जा रहे अभियान ‘लक्ष्य भागीरथी’ को बड़ी सफलता मिली है। प्रसन्नता का विषय है कि इस अभियान की सराहना करते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसे अन्य राज्यों को भी अपनाने की सलाह दी है। राज्य गठन के समय प्रदेश की सिंचाई क्षमता लगभग 23 प्रतिशत थी, जो शासन के प्रयासों से बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है और जिसे 2028 तक 32 लाख हेक्टेयर में विस्तार का बड़ा लक्ष्य रखा गया है।
वर्ष 2017 में अल्पवर्षा के कारण प्रभावित किसानों को राहत दिलाने के लिए राज्य सरकार ने संवेदनशीलता व तत्परतापूर्वक कदम उठाए। 21 जिलों की 96 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया। सूखा प्रभावित तहसीलों में भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के अनुसार राजस्व वसूली माफ की गई। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधानों के अनुसार ‘फसल क्षति अनुदान सहायता राशि’ का वितरण किया जा रहा है। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत प्राप्त होने वाली राहत भी किसानों को शीघ्र मिलेगी।
अन्त्योदय का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए श्रमिकों के जीवन में आशा और खुशियों के दीप जलाना आवश्यक है। प्रसन्नता का विषय है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अनेक योजनाओं के माध्यम से श्रमिकों तथा उनके परिवारों की बुनियादी आवश्यकताएं पूरी की हैं। उनके बेहतर प्रशिक्षण तथा शिक्षा सुविधाओं के माध्यम से अच्छे भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त किया गया है। हाल ही में प्रारंभ की गई ‘पं. दीनदयाल श्रम अन्न सहायता योजना’ के अंतर्गत मजदूरों के एकत्र होने के स्थान, ‘चावड़ी’ में राज्य सरकार द्वारा एक केन्द्र बनाकर 5 रूपए में गरम पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की जा रही है। 4 जिलों- रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव तथा बिलासपुर में 7 केन्द्र खोले जा चुके हैं। इस योजना में टिफिन में रखकर अपना भोजन ले जाने की व्यवस्था भी है।
पर्यावरण संरक्षण और सुविधाजनक परिवहन के साथ सायकल व ऑटो रिक्शा चालकों की बेहतरी हेतु ‘मुख्यमंत्री ई-रिक्शा सहायता योजना’ शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत अनुदान की राशि 30 हजार रूपए से बढ़ाकर 50 हजार रूपए कर दी गई है। कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं के अंतर्गत रायपुर, कोरबा, भिलाई में 100 बिस्तरयुक्त अंतःरोगी अस्पताल का निर्माण शुरू किया गया है। आगामी वर्ष में सारंगढ़-चंद्रपुर, अंबिकापुर तथा कबीरधाम में नए औषधालय प्रारंभ करने की तैयारी है।
रोजगार सृजन को लेकर प्रदेश में अपनाई गई सुनियोजित कार्यप्रणाली के कारण इस वर्ष 748 लाख मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया। प्रदेश में लगभग 1 लाख 13 हजार परिवारों को 100 दिन का रोजगार दिया गया। 50 दिवस अतिरिक्त रोजगार देने की व्यवस्था के तहत 22 लाख मानव दिवस अतिरिक्त रोजगार का सृजन किया गया। ‘महिला किसान सशक्तीकरण’ योजना के तहत डेढ़ लाख से अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया गया है।
‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के अंतर्गत 3 वर्षों में लगभग 11 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिसे प्राथमिकता से पूरा किया जा रहा है।
‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत ग्रामीण अंचलों में 33 लाख 61 हजार व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण करते हुए स्वच्छता कवरेज 100 प्रतिशत करने में सफलता मिली है तथा नगरीय निकायों में 3 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण पूर्ण किया गया है। प्रदेश के सभी 168 नगरीय निकायों तथा 18 हजार 851 ग्रामों को ओ.डी.एफ. घोषित किया जा चुका है। इस तरह राज्य सरकार अपने संकल्प के मुताबिक इस वर्ष शत-प्रतिशत ओ.डी.एफ. राज्य बनाने की ओर सफलतापूर्वक बढ़ रही है।
पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए पॉलीथिन, फ्लैक्स के उपयोग एवं खेतों में फसल के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। बड़े शहरों में दिसम्बर से जनवरी के मध्य पटाखे जलाने पर भी रोक लगाई गई है। ऐसे विभिन्न प्रयासों के कारण रायपुर शहर में ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’ 266 से घटकर 84 तक पहुंच गया है, जो बड़ी सफलता का प्रतीक है। ऐसे प्रयासों से ‘जलवायु परिवर्तन’ की रोकथाम की वैश्विक चिंता में भी राज्य सरकार का योगदान दर्ज होगा।
‘मिशन स्मार्ट सिटी’ के अंतर्गत रायपुर, नया रायपुर तथा बिलासपुर का चयन एक अहम उपलब्धि है। ‘मिशन अमृत’ के अंतर्गत रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर और जगदलपुर में 1700 करोड़ से अधिक की लागत के कार्य चल रहे हैं। अंबिकापुर मॉडल पर राज्य के सभी नगरीय निकायों में ‘मिशन क्लीन सिटी योजना’ संचालित की जा रही है, जिससे 8 हजार से अधिक महिलाओं को रोजगार भी मिला है। ‘प्रधानमंत्री जन-धन योजना’ के तहत 1 करोड़ 28 लाख नए खाते खोलकर छत्तीसगढ़ देश में अव्वल स्थान पर है। ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ से लगभग साढ़े 9 लाख तथा ‘प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना’ के तहत 44 लाख से अधिक व ‘अटल पेंशन योजना’ के अंतर्गत 1 लाख से अधिक लोगों को जोड़ा गया है, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। दूरस्थ अंचलों में आर्थिक गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए नक्सल प्रभावित जिलों में 86 नई बैंक शाखाएं खोली गई हैं।
‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ ने अपना नया मॉडल अपनाया और 35 लाख गरीब परिवारों की रसोई को धुंआमुक्त करने का निर्णय लिया, जिसमें से 18 लाख परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन, डबल बर्नर का चूल्हा, पहला भरा सिलेण्डर दिया जा चुका है। ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना-सौभाग्य’ के तहत प्रदेश का हर घर इस वर्ष रोशन हो जाएगा। ‘मुख्यमंत्री ऊर्जा प्रवाह योजना’ के अंतर्गत 306 नए विद्युत उपकेन्द्र बनाकर एक ही दिन में 36 उपकेन्द्रों के लोकार्पण का नया कीर्तिमान रचा गया है। ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, मुख्यमंत्री मजरा टोला योजना, शहर सौंदर्यीकरण योजना, कृषक जीवन ज्योति योजना’ जैसी विशेष योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ को बिजली कटौती मुक्त राज्य से भी आगे बढ़कर गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति वाला राज्य बनाने में सफलता मिली है।
विगत डेढ़ दशकों में छत्तीसगढ़ राज्य, विरासत में मिले अंधेरे, क्षेत्रीय असंतुलन, कमजोर अधोसंरचना तथा सम्पर्क सुविधाओं के अभाव को दूर करने में बहुत हद तक सफल हुआ है। दूरदर्शी तथा प्रभावी रणनीतियों, जनहितकारी नीतियों, नवाचार तथा सुधार की दृढ़ इच्छाशक्ति का सकारात्मक असर जनजीवन में दिखाई पड़ता है।
संवेदनशील शासन, जवाबदेह प्रशासन तथा गुणवत्तापूर्ण अधोसंरचना के कारण विकास के मापदण्डों पर छत्तीसगढ़ देश के अव्वल राज्य के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ है। 30 हजार किलोमीटर से अधिक अच्छी सड़कों का संजाल, हर जिले में हेलीपैड तथा रायपुर के अलावा अंबिकापुर, जगदलपुर, बिलासपुर, बलरामपुर, जशपुर में विमान तल/हवाई पट्टी का विकास किया गया है, ताकि ‘उड़ान योजना’ के अंतर्गत सस्ती घरेलू विमान सेवा शीघ्र प्रारंभ की जा सके।
अब टेलीकॉम कनेक्टिविटी के लिए त्रिस्तरीय वृहद कार्ययोजना शुरू की गई है। इसके तहत सभी पंचायतों को ‘भारत नेट’ के माध्यम से एवं बस्तर संभाग के सभी जिलों को ‘बस्तर नेट’ के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इसी प्रकार स्काय (संचार क्रांति योजना) के माध्यम से 56 लाख परिवारों को स्मार्टफोन दिये जाएंगे तथा मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी।
इस तरह राज्य में सम्पर्क-क्रान्ति का निर्णायक दौर शुरू हो चुका है, जिसके कारण राज्य का कोना-कोना एक-दूसरे से जुड़ा होगा। मुझे आशा है कि सुरक्षा और विकास के साथ संचार-क्रान्ति से नक्सलवाद जैसी समस्या को भी शीघ्र समाप्त करने में मदद मिलेगी।
भारतीय संविधान लागू होने के इस महापर्व के अवसर पर मैं  कहना चाहता हूं कि देश की एकता और अखण्डता की रक्षा तथा आंतरिक सुरक्षा के लिए दी गई शहादतों का सम्मान करना हमारा परम कर्तव्य है। वामपंथी उग्रवादी हमारे संविधान और लोकतंत्र का सम्मान करें और हथियार डाल दें, तो उनसे वार्ता के रास्ते भी खुले हुए हैं, लेकिन किसी भी हालत में हिंसा और संविधान विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जनहितकारी तथा चहुंमुखी विकास की नीतियों और योजनाओं की वजह से छत्तीसगढ़ की विकास-यात्रा नई-नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी। सकारात्मक नीतियों और सहयोगी वातावरण के कारण प्रदेश में उद्योग-व्यापार तथा आर्थिक गतिविधियों का विस्तार भी बहुत तेजी से हो रहा है। इस तरह गांवों से लेकर शहरों तक विकास की लहर दिखाई पड़ रही है। इस विकास-यात्रा में आप सबका सहयोग और भागीदारी सुनिश्चित होगी, ऐसा मुझे विश्वास है।

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