खदानों में 3 दिन के हड़ताल से कोयला संकट का खतरा संयंत्रों में कोल स्टाक कम, प्रबंधनों की बढ़ी चिंता

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कोरबा@M4S: कोल इंडिया में तीन दिवसीय हड़ताल का व्यापक असर एसईसीएल की खदानों में भी नजर आएगा। श्रमिक संगठनों के हड़ताल ने पावर प्लांट प्रबंधनों की चिंता बढ़ा दी है। हड़ताल से संयंत्रों में कोयला संकट गहरा जाएगा। संयंत्रों में कोल स्टाक कम बचा है, ऐसे में अगर 3 दिनों तक प्लांट में कोयला नहीं पहुंचा तो स्थिति संकट भरी हो सकती है।
एचटीपीपी में छह दिन, कोरबा पूर्व संयंत्र व डीएसपीएम प्लांट में आठ-आठ दिन का कोयला शेष रह गया है। विद्युत कंपनी के हसदेव ताप विद्युत संयंत्र एचटीपीपी 1,340 मेगावाट, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह डीएसपीएम 500 मेगावाट व कोरबा पूर्व संयंत्र 240 मेगावाट में एसईसीएल की खदानों से कोयला आपूर्ति किया जाता है। पूर्व संयंत्र में मानिकपुर ओपन कास्ट खदान से कोयला विभागीय मालगाड़ी के माध्यम से आता है। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से पर्याप्त कोयला नहीं मिल रहा। इसकी मुख्य वजह मालगाड़ी में कोयला लोडिंग स्थल पर गड़बड़ी है, जिसे एसईसीएल दूर नहीं कर पा रहा है। वहीं रेलवे स्टेशन यार्ड में मालगाड़ी का परिचालन प्रभावित हो रहा है। इससे कोयला सप्लाई बाधित हो रहा है। संयंत्र में फिलहाल 45 हजार टन कोयला स्टॉक है। यहां प्रतिदिन चार हजार टन खपत होती है। इसी तरह डीएसपीएम प्लांट में कुसमुंडा व गेवरा खदान से रेलवे की मालगाड़ी से कोयला आता है। कुसमुंडा से कोयला नहीं मिलने के बाद आपूर्ति प्रभावित हुई है। एक अधिकारी ने बताया कि यदि कुसमुंडा के पास कोयला उपलब्ध हो जाए तो रेलवे रैक उपलब्ध नहीं करा पाता। इससे समस्या लगातार बढ़ रही है। यहां प्रतिदिन आठ हजार टन कोयला खपत होता है और वर्तमान में संयंत्र में 85 हजार टन स्टॉक शेष रह गया है। उधर एचटीपीपी में सभी इकाइयों के परिचालन में रहने पर 20 हजार टन कोयला खपत होता है। कोयला 13 किलोमीटर लंबे कन्वेयर बेल्ट से कुसमुंडा खदान से पहुंचता है। पूरे जून माह 15 हजार टन से ज्यादा कोयला नहीं मिल सका। इससे स्टॉक से प्रतिदिन लगभग पांच हजार टन कोयला प्लांट में खपत किया गया। संयंत्र में 2.40 लाख टन स्टॉक पहुंच गया था, पर खपत के कारण घट कर 1.20 लाख टन शेष रह गया है। यहां कन्वेयर बेल्ट में आगजनी से भी सप्लाई बाधित हुई। अब खदान कर्मी 72 घंटे की हड़ताल करेंगे और कोयला डिस्पैच भी प्रभावित किया जाएगा। इससे संयंत्र में कोयला आपूर्ति भी बाधित होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
लगातार बारिश से भी पड़ रहा असर
मानसून के आने के साथ ही इस बार लगातार बारिश हो रहा है। पिछले दस दिन से बारिश का असर कोयला उत्पादन व डिस्पैच पर भी पड़ा है। खदान की सड़क फिसलन भरी होने में उत्पादन प्रभावित हुआ है। पर्याप्त कोयला नहीं निकल रहा है। तो दूसरी तरफ डिस्पैच नहीं कर पा रहे हैं। अभी बारिश शुरुआत में है और तीन माह लगातार पानी गिरना है, ऐसी स्थिति में पावर प्लांट में कोयला संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है। यही वजह है कि बारिश के पहले ही संयंत्रों में पर्याप्त 21 दिन का स्टॉक कर लिया जाता है।

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