क्यों कांगड़ा का किला जीतने वाले को मिलता है हिमाचल का ताज, जानें- शिमला की लड़ाई का रिवाज

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न्यूज़ डेस्क@M4S: हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। सत्ताधारी बीजेपी जहां दो दशक की सियासी परंपरा को खत्म कर लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है, वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस पांच साल बाद दोबारा शिमला की गद्दी पाने के लिए हाथ-पैर मार रही है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में 1990 के दशक से ही सत्ता हर पांच साल पर बदलती रही है।

राजनीतिक समीकरणों और चुनावी प्रदर्शनों के लिहाज से राज्य को दो हिस्सों में बांटा जाता रहा है। पश्चिमी हिमाचल प्रदेश जिसे पहाड़ी इलाका भी कहा जाता है और पूर्वी हिमाचल प्रदेश, जिसे मैदानी इलाका कहा जाता है। दोनों हिस्सों में विधानसभा की 34-34 सीटें आती हैं। दोनों ही हिस्सों में दोनों पार्टियां पारंपरिक तौर पर मजबूत रही हैं लेकिन चुनावी बयार के मुताबिक दोनों दलों के वोट परसेंट में उतार चढ़ाव होता रहा है।

क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े?

आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य के पूर्वी हिस्से यानी पहाड़ी इलाकों में कांग्रेस 1993  के चुनाव से ही से लगातार अच्छा प्रदर्शन करती आ रही है। सिर्फ 2007 में बीजेपी को कांग्रेस से महज एक फीसदी अधिक वोट मिले हैं। 1993 में कांग्रेस को 52% जबकि बीजेपी को 34%, 1998 में कांग्रेस को 45%, जबकि बीजेपी को 32%, 2003 में कांग्रेस को 39%, जबकि बीजेपी को 39%, 2007 में कांग्रेस को 41%, जबकि बीजेपी को 42%, 2012 में कांग्रेस को 43%, जबकि बीजेपी को 38% और 2017 में कांग्रेस को 41% जबकि बीजेपी को 48% वोट मिले हैं.

राज्य के पहाड़ी हिस्से पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहे हैं।  इन इलाकों से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, ठाकुर रामलाल और यशवंत सिंह परमार समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हुए हैं। इनके अलावा पूर्वी हिस्से में कांग्रेस की मजबूती का एक बड़ा कारण अनुसूचित जाति और जनजाति वोट बैंक का समर्थन भी रहा है। राज्य में इन दोनों वर्गों का करीब 30 फीसदी वोट शेयर है।

जिसने जीता किला, उसकी बनी सरकार:

अब बात पश्चिमी हिस्से की। कहा जाता है कि जिसने कांगड़ा का किला जीता, शिमला में उसकी सरकार बनी। कांगड़ा, ऊना और चंबा इसी इलाके में आता है। यह मैदानी क्षेत्र है। इन तीन जिलों से ही विधानसभा की 25 सीटें आती हैं। इस इलाके में बीजेपी का वोट शेयर कांग्रेस से ज्यादा है। बीजेपी लगातार इस इलाके में 40 फीसदी वोट पर कब्जा बनाए हुए है।

कांगड़ा इलाके ने बड़े नेता कौन-कौन?

इनके अलावा बीजेपी के लगभग सभी बड़े नेता प्रेम कुमार धूमल से लेकर शांता कुमार तक इसी इलाके से ताल्लुक रखते रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इसी क्षेत्र से आते हैं। इस इलाके में कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी की अधिक मजबूत पकड़ की एक वजह 1990 से पहले यहां कम विकास होना भी है। 2017 में बीजेपी ने कांगड़ा की 15 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी और राज्य में अपनी सरकार बनाई थी.

इस बार कांग्रेस का शिथिल चुनाव प्रचार अभियान और आम आदमी पार्टी की एंट्री से चुनाव रोचक हो गया है। बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता कब्जाने की कोशिश में है, हालांकि पार्टी बागियों से जूझ रही है।

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