कोरबा@M4S:प्रभावित ग्रामो में हस्ताक्षर अभियान चलाएगी ऊर्जाधानी संगठन*कोरबा जिला में संचालित कोयला खदानों से विस्थापित होंने वाले परिवारों की दो प्रमुख मांगो *हर खाते में रोजगार हर परिवार को रोजगार तथा पुरानी अर्जित जमीन की वापसी* की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा और उस हस्ताक्षरित मांगपत्र के आधार पर संसद में याचिका लगाकर नियमो को बदलने की मांग की जाएगी ।
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने बयान जारी करते हुए बताया है कि संगठन की बैठक में तय किया गया है कोल इंडिया पालिसी को रद्द कराने और पूर्व में अर्जित जमीन मूल खातेदारों को वापसी व्यापक स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाकर संसद में पिटीशन दर्ज कराएंगे ।
उन्होंने कहा है वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रभारी मंत्री श्री चन्द्रशेखर साहू जी की अध्यक्षता में आयोजित जिला पुनर्वास समिति की बैठक की गयी थी जिसके सन्दर्भ में परियोजना प्रभावित ग्राम सभाओं को स्पष्ट जानकारी नही दी गयी और कोल इंडिया पालिसी 2012 को लागू करते हुए प्रति दो एकड़ में एक रोजगार लागू कर मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के हर खाते रोजगार के नियम को समाप्त कर दिया गया । इसमे सबसे आपत्तिजनक बात यह था कि बैठक से पूर्व वर्ष 2004,2007,2009 में अर्जन मामले में भी जबरिया लागू कर छोटे खातेदारो को रोजगार के अधिकार से वंचित कर दिया गया । कोल इंडिया पालिसी के कारण छोटे खातेदारों को रोजगार से वंचित होना पड़ रहा है अतः मूल खातेदारों को रोजगार प्राप्त हो , इसके लिए पालिसी को रद्द किया जाना चाहिये । कोरबा जिले में वर्ष 1960 से कोयला खदान का संचालन आरम्भ हुआ है । भूमि अर्जन कोल बेयरिंग एक्ट 1957 एवं मध्यप्रदेश पुनर्वास नीति के तहत किया गया । भूमिगत खदानों में सीमित क्षेत्र को ही उपयोग में लिया गया और अधिकतम भूमि पर किसान पूर्ववत कृषि कार्य कर रहे हैं तथा गांव के मकानो में निवास कर रहे हैं । अब सभी पुराने खदान बन्द किया जा रहा है । अतः ऐसे सभी अर्जित भूमि पर मूल खातेदारों को मालिकाना हक वापस करायी जाये । उन्होंने बताया कि कोल बेयरिंग एक्ट से अर्जित जमीन किसी अन्य उपयोग में नही लिए जा सकने के बावजूद रेल लाइन और सड़क निर्माण के लिए दिया गया है जो सीबीए के प्रावधानों का उलंघन है । इसको भी चैलेंज किया जाएगा । इन दोनों मांगो पर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर पक्षो को रखी जायेगी और उसी आधार पर राज्य सरकार से प्रस्ताव पारित कराने की मांग की जाएगी तथा लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष पिटीशन सम्मिलित कर संसद में नियमो में संशोधन कराने की मांग किया जाएगा