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बढ़ाया भारत और छत्तीसगढ़ का मान
कोरबा@M4S: कोरबा के आशीष अग्रवाल ने आयरनमेन ट्रायथलॉन का ख़िताब जीत कर भारत और छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है,५-६ जून२०१६ को फ्रांस में आयोजित विश्वस्तरीय प्रतियोगिता नॉन स्टॉप १४ घंटे ४० मिनट तीन इवेंट्स को पूरा कर भारत के पांचवे और छत्तीसगढ़ के पहले खिलाडी बन गये है,क्या है आयरनमेन ट्रायथलॉन और कैसे जीता खिताब आशीष अग्रवाल ने पढ़िए पूरी ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
गले में आयरनमेन फ्रांस नइस का मैडल पहने ये है कोरबा बालकोनगर निवासी ३२ वर्षीय आशीष अग्रवाल,पेशे से व्यवसायी है,लेकिन शौक और जुनून ने आयरनमेन का खिताब सात समुंदर पार फ्रांस की धरती में बनकर भारत और छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है,आशीष की उपलब्धि से पहले हम आपको आयरनमेन ट्रायथलॉन क्या है बता देते है,ट्रायथलॉन तीन खेल का एक समूह है जो सबसे पहले तैराकी,साइकलिग और मैराथॉन एक साथ बिना रुके किया जाता है,इसमें भाग लेने वाले को ट्रायथालेट्स कहा जाता है,१९२० फ्रांस में इसकी शुरुआत हुए थी,ये खेल यूरोपियन देशो में शुरू किया गया,भारत में १९९० के बाद आया.वर्ष २००० में ओलिंपिक में भी जगह दी गई.चलिए अब हम आपको बताते है आशीष अग्रवाल ने आयरनमेन ट्रायथलॉन प्रतियोगिता में क्यों और कैसे भाग लिया,दरअसल वर्ष २०१० -२०११ में इंजीनिरिंग की पढ़ाई भिाली से पूरी करने के बाद आशीष ने ई डी एच ई सी बिजनेस स्कूल फ़्रांस से एम बी ए की पढ़ाई करने के दौरान आयरनमेन ट्रायथलॉन को देखा,इस खेल को विदेशी नागरिक भारतीयों के बस से बाहर का खेल मानते है,बस ये ही कारण है की आशीष ने इसकी तैयारी बालकोनगर में रह कर साल भर प्रैक्टिस की और दुनिया भर के ६० देशो के प्रतिभागियों के साथ मैदान में उतर गए, और ३.८६ किलोमीटर तैराकी,१८०.२५ किलोमीटर साइकिलिंग और ४२.२ किलोमीटर मैराथन दौड़ को बिना रुके १६ घंटे के समय सीमा से पहले १४ घंटे ४० मिनट में पूरा कर आयरनमैन का ख़िताब जीता है। वर्ल्ड ट्रायथलॉन कारपोरेशन द्वारा आयोजित प्रतियोगिता फ्रांस में ५ जून-६ जून २०१६ को संपन्न हुई.
आशीष की माने तो ये खेल बहुत ही कठिन होता है,घंटो की प्रैक्टिस,साल-दो साल की मेहनत के बाद ही भाग लिया जा सकता है,तैराकी,साइकलिंग और मैराथॉन की कन्टिनुेस प्रैक्टिस के लिए हर दिन ५ से १० घंटे करता था जिसके बाद ही ये खिताब हासिल कर सका.
बहुत महंगे खेलो में शामिल होने के बावजूद सात समुंदर पार विदेश की धरती पर दूसरे देशो के लोगो को पछाड़ना बहुत कठिन कार्य है लेकिन हौसला अगर आपमें है तो जीतने से कोई नहीं रोक सकता है,आशीष के उपलब्धि के गवाह उनकी पत्नी रचना अग्रवाल,बहन तमन्ना छपाडिया और बहनोई मोहन छपाडिया खुद फ्रांस में रहकर हौसला बढ़ाया।
बैडमिंटन के नेशनल खिलाडी रह चुके आशीष के उपलब्धि पर उनके पिता अशोक अग्रवाल माता मंजू अग्रवाल और पूरा परिवार खुश है,जो देश का नाम उनका बेटा फ्रांस की धरती पर रौशन किया है। भारत में इस खेल का प्रचार-प्रसार बड़े इसके लिए ज्यादा से ज्यादा युवा इस खेल से जुड़े,भारत सरकार इन खेलो को बढ़ावा दे,जिससे अच्छे खिलाडी देश का नाम आगे भी रौशन करते रहे।