कोमा में जिंदगी और मौत से जूझ रहे दादू के जीवन रक्षा के लिए आगे बढ़े हाथ:मिला दुर्लभ बॉम्बे ब्लड की पांच यूनिट

- Advertisement -
घायल की बहन सरिता और अरविंद ने दिया दुलर्भ बॉम्बे ब्लड
EXCLUSIVE:विशेष संवाददाता

बिलासपुर@M4S: जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे दादू सिंह कंवर की जान बचाने डोनर आए सामने,थिंक फाउंडेशन के विनय शेट्टी के सहयोग से शुक्रवार को दो यूनिट ब्लड मुंबई में दो डोनरों ने किया डोनेट, आज एयर कूरियर से मुंबई से होगा डिस्पैच,सिर में गंभीर चोट से कोमा की हालत में अपोलो अस्पताल के आई सी यू में भर्ती दादू के ऑपरेशन के लिए पांच यूनिट दुलर्भ  बॉम्बे ब्लड की जरुरत डॉक्टरों ने बताई, कोरबा जिला के हरदीबाज़ार निवासी २४ वर्षीय दादू सिंह कंवर २७ सितंबर की रात ड्यूटी जाते समय उनकी मोटर साइकिल दूसरे मोटर साइकिल से भिड़ंत होने से गंभीर रूप  घायल हो गया था,हादसे में दादू को सिर और जबड़े में गंभीर चोट आई है,दादू सिंह एस ई सी एल गेवरा के सेंट्रल वर्कशॉप में गार्ड के पद पर तैनात है,कुसमुंडा पुलिस ने हादसे के बाद घायल ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया था,जहा हालत नाजुक होने पर बिलासपुर के अपोलो रेफर किया गया,कोमा में पहुंच चुके दादू जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है,अपोलो के न्यूरो सर्जन डॉ.सुनील शर्मा के देख रेख में उपचार जारी है,अपोलो के डॉक्टर तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी है,लेकिन दादू के सामने सबसे बड़ी समस्या ब्लड की जो बेहद दुर्लभ है जो  बॉम्बे ब्लड ग्रुप है,

बहन का ब्लड निकला बॉम्बे ब्लड

दादू की छोटी बहन १९ वर्षीय सरिता कंवर का रक्त साहू चेक किया गया तो उसका रक्त समूह बॉम्बे ब्लड निकला,अपने भाई की जान बचाने सरिता से सबसे पहले एक यूनिट ब्लड डोनेट किया,एक यूनिट रायपुर से अपोलो हॉस्पिटल की ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ.प्रेरणा मोहन के सहयोग से प्राप्त हुआ ।

दादू को ब्लड और दवा तो मिला गया अब दुआ की जरुरत

दादू की जिंदगी बचाने मुंबई की संस्था थिंक फाउंडेशन सामने आई है,संस्था के कर्मठ सहयोगी विनय शेट्टी के सहयोग से शुक्रवार की रात बॉम्बे ब्लड डोनर सूरज उटेकर और हरिकेश ने दो यूनिट ब्लड डोनेट किया है,जो आज एयर कोरियर से बिलासपुर अपोलो के लिए डिस्पैच किया गया,वही डॉ.प्रेरणा मोहन की सहयोग से रायपुर के ब्लड बैंक से एक यूनिट मिला है,दादू की छोटी बहन सरिता और अरविंद का दो यूनिट ब्लड मिलकर कुल पांच यूनिट हो गया है,दादू की जिंदगी ऑपरेशन के साथ दुआ की जरुरत है।

अरविंद ने पहली बार दिया अपना दुर्लभ बॉम्बे ब्लड
जरहाभाठा ओमपुर निवासी  १८ वर्षीय अरविंद कुमार बघेल  ने अपने पहली बार घायल दादू के जान बचाने ब्लड डोनेट किया,गौरतलब है की ये वही मासूम अरविंद  है जिसके दिल में बचपन से छेद था,जिसका उपचार वर्ष २००६-२००७   भी बिलासपुर अपोलो में ही हुआ था,लेकिन दुर्लभ बॉम्बे ब्लड होने के कारण अपोलो के डॉक्टर बड़ी मुश्किल से मिले तीन यूनिट ब्लड के मिलें के बावजूद ऑपरेशन से इंकार कर दिया था,चेन्नई अपोलो रेफर कर दिया था,वहा पहुंचने पर डॉक्टरों ने बिलासपुर अपोलो में रखे तीन यूनिट ब्लड को उपयोग करने से साफ इंकार कर दिया था,और तीन यूनिट ब्लड ३५ दिन बाद ख़राब हो गया,फिर ब्लड की तलाश शुरू की गई,लगातार मीडिया में प्रकाशित खबरों के बाद एक बार फिर डॉनर अरविंद की जान बचाने सामने आये, बंगलुरु के नारायणा हृदयालय हॉस्पिटल में वर्ष २००७ में अरविंद के दिल का सफल ऑपरेशन हुआ,वो भी केवल दो यूनिट ब्लड में,अरविंद की जान बचाने अहम भूमिका  टाटा जमशेदपुर के अमिताभ कुमार सिंह और रायगढ़ के सतीश सिंह ठाकुर खुद बंगलुरु पहुंचकर ब्लड डोनेट कर नई जिंदगी दी,अरविंद को नई जिंदगी देने में शिक्षिका शिव कुमारी,अपोलो हॉस्पिटल की ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ.प्रेरणा मोहन,रायपुर निवासी ए के पौराणिक,शिक्षक राकेश बाटवे,पत्रकार अब्दुल असलम अहम् भूमिका रही।
क्या आपने कभी कोई दुर्लभ रक्त समूह के बारे में सूना है,शायद नहीं,तो चलिए हम आपको बताते है,बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या है ?
बॉम्बे रक्त समूह रक्त का एक दुर्लभ रक्त समूह है, इस रक्त समूह की खोज सबसे पहले मुंबई  में १९५२ में डा.वाई एम भेंडे द्वारा की गई थी
इसलिए इस रक्त समूह का नाम बॉम्बे  रक्त समूह पड़ा,इस रक्त समूह को hh और oh रक्त समूह भी कहते है, इस रक्त समूह में h प्रतिजन खुद को अभिव्यक्त नही कर पाता जो की O रक्त समूह में होता है,इसके कारण ही यह रक्त समूह अपनी लाल रक्त कोशिकओं में A और B प्रतिजन नही बनाता,A और B प्रतिजन न बनाने के कारण ही इस रक्त समूह के लोग किसी भी रक्त समूह के लोगो को अपना रक्त दे तो सकते है पर किसी और रक्त समूह से रक्त ले नही सकते। बंबई रक्त समूह उन लोगो में पाया जाता है जिन्हें विरासत में २ प्रतिसारी एलील मिलते है H अनुवांश के,इस रक्त समूह के मनुष्य H कार्बोहायड्रेट नही बना पाते जो की A और B प्रतिजन के अग्रगामी है,इसका यह मतलब है की इस रक्त समूह में A और B प्रतिजन के एलील मौजूद तो है पर वह खुद को अभिव्यक्त नहीं कर पाते,यह रक्त समुह उन बच्चों में देखने को मिलता है, जिन्हें वंश परम्परा से दोनों ही एलील ऐसे मिले जो की प्रतिसारी हो।
रेयर ऑफ द रेयरेस्ट ब्लड ग्रुप है बॉम्बे ब्लड
बॉम्बे ब्लड टाइप रेयर ऑफ़ द रेयरेस्ट ब्लड टाइप है,विश्व में कुल जनसंख्या में सिर्फ 0.0004 फीसदी लोगों के भीतर ये ब्लड टाइप पाया जाता है। 
बॉम्बे ब्लड:दुनिया के  सबसे बड़े  ब्लड बैंक न्यूयोर्क में भी नहीं  
जब हमने वर्ष २००७ में मासूम अरविंद के लिए बॉम्बे ब्लड के लिए दुनिया के सबसे बड़े ब्लड बैंक न्यूयोर्क से संपर्क किया था,तो मेल में जवाब मिला”यू बेटर ट्राई इन इंडिया ओनली”.
पूरे भारत में केवल ६४  लोग ही चिन्हांकित

 वर्ष २००७ में जब अरविंद के लिए इस रक्त समूह के लिए प्रयास किया जा रहा था,कोलकत्ता के हेमोटोलॉजिस्ट प्रशांत चौधरी के अनुसार वर्ष २००७ तक केवल ५८   लोग पुरे देश में बॉम्बे रक्त समूह के चिन्हांकित थे,अब इस रक्त समूह के कुल ६४   चिन्हाकित,जिसमे छत्तीसगढ़ में केवल ६ बॉम्बे ब्लड रक्त समूह के  है।
बॉम्बे ब्लड ग्रुप हेल्पलाइन  की मुहीम जारी 
 अरविंद बघेल के जीवन रक्षा के बाद बॉम्बे ब्लड ग्रुप हेल्प लाइन का गठन किया गया,वर्ष २००७ से लेकर अब तक २० से अधिक जरुरतमंदो को निःशुल्क निःस्वार्थ भाव से इस दुर्लभ बॉम्बे ब्लड डोनेट कर मानव जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
बॉम्बे ब्लड ग्रुप  हेल्प लाइन से जरुरतमंद संपर्क कर सकते है।
  9302413646

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!