केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का सर्जरी के कुछ दिनों बाद 74 वर्ष की उम्र में निधन

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नई दिल्ली:पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे केंद्रीय मंत्री रामविलास का पासवान का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। चिराग पासवान ने ट्वीट किया, ”पापा…अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है, आप जहां भी हैं, हमेशा मेरे साथ हैं। आपक बहुत याद आ रही है पापा।”

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के 74 वर्षीय संरक्षक पासवान का कुछ दिन पहले दिल्ली के एक अस्पताल में हार्ट का ऑपरेशन हुआ था। पासवान उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्री थे। पासवान ऐसे दूसरे केंद्रीय मंत्री हैं, जिनका दो महीने के अंदर निधन हुआ है। इससे पहले कोरोना संक्रमण के चलते सितंबर में रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का निधन हो गया था।

रामविलास पासवान के निधन की खबर से राजनीतिक जगत में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए कहा कि यह मेरे लिए निजी क्षति है, मैंने अपना दोस्त और एक मजबूत सहयोगी खो दिया है। मोदी ने कहा, “दुख बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं। हमारे देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है, जो शायद कभी नहीं भरेगा। मैंने एक ऐसा मित्र खोया है, जो पूरे जुनून के साथ हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहता था कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करे।” राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदृष्टा नेता खो दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, बीजेपी नेता देवेन्द्र फडणवीस ने एलजेपी चीफ चिराग पासवान को फोन कर रामविलास पासवान के निधन पर सांत्वना व्यक्त किया।
खगड़िया के शहरबन्नी में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान पांच दशक से अधिक समय तक सक्रिय राजनीति में रहे। पिता जामुन पासवान की तीन संतानों में रामविलास पासवान सबसे बड़े थे, उनके बाद पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान। उन्होंने एम.ए. के साथ एल.एल.बी. भी की। उनकी शादी 1960 में राजकुमारी देवी के साथ हुई थी। उन्होंने 1983 में रीना शर्मा से दूसरी शादी की, जो एयर होस्टेस थीं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के समय जब उनकी दो शादियों को लेकर विवाद खड़ा हुआ तो उन्होंने डॉक्यूमेंट्स दिखाए, जिसके मुताबिक उन्होंने 1981 में राजकुमारी देवी को तलाक दे दिया था। दोनों पत्नियों से तीन पुत्रियां और एक पुत्र है।
उनके राजनीतिक जीवन का आगाज संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के विधायक के रूप में हुआ। 1969 में वह बिहार विधानसभा के लिए रिजर्व सीट से चुने गए थे। इसके बाद 1974 में वह लोकदल से जुड़ गए। 1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी का ऐलान किया तो रामविलास भी गिरफ्तार कर लिए गए। 1977 में जेल से छूटने के बाद उन्होंने जनता पार्टी की सदस्यता ले ली और 1977 में हुए चुनाव में वह हाजीपुर सीट से करीब 89% वोट पाकर लोकसभा पहुंचे और लंबे समय तक सबसे अधिक अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड उनके नाम रहा।

इसके बाद उन्होंने 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 के चुनावों में भी यहां से जीत हासिल की। हालांकि हाजीपुर से ही उन्हें 2009 में बिहार के पू्र्व मुख्यमंत्री और जेडीयू के राम सुंदर दास से हार का सामना करना पड़ा। इस तरह वह कुल आठ बार लोकसभा के और एक बार राज्यसभा के सांसद रहे। वर्ष 2000 में उन्होंने जनता दल से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी बनाई थी। हालांकि, एलजेपी के गठन से काफी पहले 1983 में ही उन्होंने दलित सेना की स्थापना की थी।

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