कृषि सलाह: कम वर्षा वाले क्षेत्रों में धान की सीधी बुवाई करें

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कोरबा@M4S: वर्तमान में जिले में वर्षा का पानी कम है। इसे देखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र कटघोरा कोरबा के संस्था प्रमुख एवं वैज्ञानिक आर के महोबिया द्वारा कृषकों को धान की नर्सरी डालने के बजाय धान की सीधी बुवाई करने की सलाह दी जाती है। कृषक अपनी खेत की शीघ्र जुताई कर धान की सीधी बुवाई से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। वर्तमान में कोरबा जिले में 122 मिमी वर्षा हो चुकी हैए इस वर्षा जल का उपयोग धान की रोपाई के बजाय धान की सीधी बुवाई करने के लिये किया जा सकता है। 03 दिन बाद धान के अंकुरण के पूर्व खरपतवारों नियंत्रण हेतु पेण्डीमिथलीन 1200 मिलीध्एकड़ या बूटाक्योर 1200 मिलीध्एकड़ अथवा पायरेजोसल्फ्यूरान 10 प्रतिषत डब्ल्यूण् सीण् 80 ग्रामध्एकड़ की दर से छिड़काव करने की सलाह दी जाती है इससे अधिकतर सकरी पत्ती वाली घास व कुछ चैड़ी पत्ती वाले खरपतवार नष्ट हो जायेंगे। इसके बाद पुनः 20.25 दिन में बिसपायरोबिक सोडियम 100 ग्रामध्एकड़ की दर से खरपतवारनाषी दवा का छिड़काव करेंए जिससे पूर्व में बचे घास कुल के सकरी पत्ती वाले एवं चैड़ी पत्ती वाले खरपतवार नष्ट हो जायेंगे। इस पद्वति से कम खर्चे में धान का उत्पादन संभव होगा। जैसा कि रोपा पद्वति हेतु पहले धान नर्सरी की बोनी करते हैंए उसके 21.25 दिन बाद नर्सरी को उखाड़कर रोपाई हेतु तैयार खेत में रोपा लगाते है।
इस पद्वति में किसानों को लागत ज्यादा आती है साथ ही वर्षा जल की ज्यादा आवष्यकता पड़ती है। इसके अलावा यदि वर्षा अच्छी नहीं होती है तो नर्सरी ज्यादा दिनों की हो जाती हैए जिसे रोपित करने पर उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है साथ ही यदि वर्षा नही हुई तो नर्सरी खराब भी हो जाती है। धान की सीधी बुवाई करने से प्रारंभ के वर्षा जल का सीधा लाभ मिल जाता है। रोपाई के दौरान सिंचाई के संकट से किसान बच जाता है। धान की सीधी बुवावई हेतु 110 से 115 दिनों में पकने वाली किस्मों जैसे . डज्न्ण्1010ए प्त्ण्36ए इंदिरा ऐरोबिकए प्त्.64 का प्रयोग कम वर्षा वाले क्षेत्रों में किया जा सकता है। जिले में वर्तमान वर्षा को देखते हुये कृषकों को उच्चहन खेतों में नमी का लाभ लेते हुये शीघ्र जुताई कर दलहनी फसलें जैसे . अरहरए उड़दए मूँग की बोनी करना चाहिए साथ ही मक्का एवं तिल की बुवाई करें। कृषकों को उच्चहन खते ों मंे परम्परागत खेती की मिश्रित विधि को अपनाने की सलाह दी जाती है। जैसे . अरहर की दो लाईन के बीच में उड़द व लोबिया की फसल लेना चाहिए। मक्का के साथ लोबियाए मूंग व उड़द की मिश्रित खेती करने की सलाह दी जाती हैए जिससे वर्षा की अनिष्चित्ता से कृषकों को कुछ न कुछ लाभ हो सके। कृषकों को सलाह दी जाती है किए बीज बुवाई के पूर्व धान बीज को बाविस्टिन दवा 03 ग्रामध्किलो बीज की दर से बीजोप्चार करना चाहिए। इसके बाद ऐजोस्पाइरीलम 03.05 ग्रामध्किलो बीज की दर से एवं पीण्एसण्बीण् कल्चर 10.15 ग्रामध्किलो बीज की दर से उपचार
करने हेतु सलाह दी जाती है।

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