कोरबा@M4S:अनियंत्रित ढंग से बढ़ती कोरोना महामारी के प्रकोप के बावजूद जिले में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और भूमि अधिकार आंदोलन के आह्वान पर केंद्र सरकार द्वारा जारी किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ और ग्रामीण जनता की आजीविका बचाने की मांग पर अनेकों गांवों में किसानों ने संसद सत्र के पहले दिन गांव में विरोध प्रदर्शन किया । आज ही छत्तीसगढ़ प्रदेश समेत दिल्ली में समन्वय समिति से जुड़े संगठन हजारों की उपस्थिति वाले एक विशाल धरना की भी अगुआई कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर ने आरोप लगाया कि इन कृषि विरोधी अध्यादेशों का असली मकसद न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था से छुटकारा पाना है। उन्होंने कहा कि देश का जनतांत्रिक विपक्ष और किसान और आदिवासी इन कानूनों का इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे खेती की लागत महंगी हो जाएगी, फसल के दाम गिर जाएंगे, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी बढ़ जाएगी और कार्पोरेटों का हमारी कृषि व्यवस्था पर कब्जा हो जाने से खाद्यान्न आत्मनिर्भरता भी खत्म जो जाएगी। यह किसानों और ग्रामीण गरीबों की बर्बादी का कानून है।
प्रदेश और जिले में आज किसान प्रदर्शनों के जरिये केंद्र सरकार से पर्यावरण आंकलन मसौदे को वापस लेने, कोरोना संकट के मद्देनजर ग्रामीण गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न और नगद राशि से मदद करने, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने, व्यावसायिक खनन के लिए प्रदेश के कोल ब्लॉकों की नीलामी और नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण रद्द करने, किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सी-2 लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने और उन्हें बैंकिंग तथा साहूकारी कर्ज़ के जंजाल से मुक्त करने, आदिवासियों और स्थानीय समुदायों को जल-जंगल-जमीन का अधिकार देने के लिए पेसा कानून का क्रियान्वयन करने की भी मांग की गई। इसी तरह राज्य की कांग्रेस सरकार से भी सभी किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद उपलब्ध कराने, बोधघाट परियोजना को वापस लेने, हसदेव क्षेत्र में किसानों की जमीन अवैध तरीके से हड़पने वाले अडानी की पर्यावरण स्वीकृति रद्द करने और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, किरंदुल की आलनार पहाड़ी को आरती स्पॉन्ज को न सौंपने, पंजीकृत किसानों के धान के रकबे में कटौती बंद करने, सभी बीपीएल परिवारों को केंद्र द्वारा आबंटित प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज वितरित करने, वनाधिकार दावों की पावती देने, हर प्रवासी मजदूर को अलग मनरेगा कार्ड देकर रोजगार देने और भू-राजस्व संहिता में कॉर्पोरेटपरस्त बदलाव न करने की मांग की गई।
किसान सभा ने ग्राम सभा के फ़र्ज़ीकरण के जरिये दंतेवाड़ा की आलनार पहाड़ को बेचे जाने के खिलाफ आदिवासियों के संघर्ष का समर्थन भी किया है और उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिसिया दमन की निंदा की है।
⬛ गांव में हो रहे प्रदर्शन को किसान नेताओं जवाहर सिंह कंवर, मुखराम, के साथ माकपा पार्षद सुरती कुलदीप, माकपा जिला सचिव प्रशांत झा,डी एल टंडन , जनक दास ,नरेंद्र साहू,हुसैन,ने भी किसानों को संबोधित किया
नेताओं ने “वन नेशन, वन एमएसपी” की मांग करते हुए कहा कि मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के कारण देश आज गंभीर आर्थिक मंदी में फंस गया है। इस मंदी से निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि आम जनता की जेब मे पैसे डालकर और मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाई जाए, ताकि बाजार में मांग पैदा हो। लेकिन इसके बजाए यह सरकार अध्यादेशों के जरिये कृषि कानूनों में कॉर्पोरेटपरस्त बदलाव करने पर तुली है। सरकार की इन किसान-आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में संघर्ष तेज किया जाएगा।