किसानों से रकम मांगने के मामले में शुरु हुई जांच किसानों ने आपरेटर पर लगाया था आरोप, लिए गए बयान

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कोरबा@M4S: धान खरीदी केन्द्र में किसानों से भेंट चढ़ावा मांगने की शिकायत सामने आने पर इसे प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। धान उपार्जन केन्द्र पठियापाली करतला के ऑपरेटर द्वारा रुपए देने पर ही पंजीयन करने संबंधी शिकायत पर जांच दल ने खरीदी केंद्र पहुंचकर पूछताछ करते हुए कई लोगों के बयान कलमबद्ध किए। जांच प्रतिवेदन के आधार पर आगामी दिनों में कार्यवाही तय होगी।


धान उपार्जन केंद्र पठियापाली के ऑपरेटर शशिकांत सांडिल्य द्वारा नए किसान के पंजीयन के लिए रुपए मांगने की शिकायत पर कोरबा एसडीएम  सीमा पात्रे के द्वारा जांच के निर्देश दिए गए हैं। निर्देश पर जांच दल में शामिल बरपाली तहसीलदार  आराधना प्रधान, खाद्यान्न निरीक्षक  उर्मिला गुप्ता, सहकारिता निरीक्षक  जायसवाल, राजस्व निरीक्षक के द्वारा खरीदी केंद्र पहुंचकर जांच-पड़ताल की गई। यहां शिकायतकर्ताओं, ग्रामवासियों, ऑपरेटर, समिति प्रबंधक एवं फड़ प्रभारी का बयान कलमबद्ध किया गया। तहसीलदार आराधना प्रधान ने बताया कि जांच प्रतिवेदन एसडीएम को सौंपा जाएगा और उनके द्वारा इस मामले में कार्यवाही की जाएगी। श्रीमती प्रधान ने कहा कि धान खरीदी के मामले में किसी तरह की शिकायत न होने पाए और किसान अपना धान आसानी से बिना किसी बाधा के बेच सकें, इसके लिए प्रशासन प्रयासरत है। गौरतलब है कि किसान भागवत पटेल घाटाद्वारी, तिहार सिंह निवासी दमखांचा ने शिकायत की थी कि धान उपार्जन केंद्र पठियापाली के ऑपरेटर शशिकांत शांडिल्य द्वारा नए किसान के पंजीयन के लिए 500 से एक हजार रुपए की मांगी जा रही है और राशि नहीं देने पर किसानों के दस्तावेजों को उनके मुंह पर फेंक दिया जाता है और ऑपरेटर के द्वारा कहा जाता है कि पांच सौ रुपये या एक हजार रुपये चढ़ावा दोगे तभी पंजीयन होगा, नहीं तो जाओ अपने घर से लेकर आना कहकर वापस घर भेज दिया जाता है और यह भी उनके द्वारा कहा जाता है कि मेरा कोई भी अधिकारी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। शिकायत में कहा गया है कि पिछले साल 2021-22 में भी इसकी शिकायत जिला स्तर पर किया गया था, परन्तु जिला स्तर के अधिकारियों के द्वारा मिली भगत करके दोष मुक्त कर देने के कारण हौसला और बुलंद हो गया। इनके द्वारा आस-पास के बिचौलियों को भी शरण दिया जाता है और उनसे मोटा रकम मिलने के कारण उनका टोकन पहले काट दिया जाता है और किसानों का टोकन बाद में काटा जाता है। किसानों के विरोध पर अपने ऊँचे पहुंच का हवाला देकर किसानों को धमकाया-चमकाया जाता है।

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