मुंबई(एजेंसी):शराब व्यवसायी और किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या के किंगफिशर हाउस की गुरूवार को मुंबई में ई-नीलामी का आयोजन किया गया। लेकिन किंगफिशर हाउस को एक भी खरीदार नहीं मिला। सूत्रों के मुताबिक दोपहर दो बजे तक नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने तक किसी ने बोली नहीं लगाई। किंगफिशर हाउस मुंबई के विले पार्ले उपनगर में डोमेस्टिक एयरपोर्ट के पास है।
जिंदा दिली और शानो-शौकत से जिंदगी जीने वाले माल्या ने अपने कारोबार को भी अपनी हैसियत के अंदाज में रखा था। लेकिन कर्ज में डूबने के बाद अब उनकी संपत्ति नीलाम हो रही है। किंगफिशर हाउस की नीलामी का आयोजन स्टेट बैंक आफ इंडिया की अगुवाई वाला बैंकों का कंसोर्टियम ने कराया। यह नीलामी सेक्यूटराइजेशन एंड रिकंसट्रक्शन आफ फाइनेंशियल असेट्स एंड एनफोर्समेंट आफ सिक्योरिटी इंट्रेस्ट एक्ट 2002 के तहत कराई गई।
किंगफिशर हाउस के बाहर लगे नीलामी के नोटिस के मुताबिक कंपनी पर तकरीबन 6963 करोड़ रुपए बकाया है जिसे अब नीलामी के जरिए वसूलने की कोशिश हो रही है। माल्या ने 17 बैंकों से हजारों करोड़ का कर्ज ले रखा है। अकेले स्टेट बैंक आफ इंडिया से माल्या ने 1600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया हुआ है।
किंगफिशर हाउस 17000 वर्ग फीट क्षेत्र में बना कॉमर्शियल बिल्डिंग है। इसमें किंगफिशर एयरलाइंस का कारोबार चलता था। इस समय यह बिल्डिंग एसबीआईकैप्स ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड ने इसे 24 फरवरी 2015 को सील कर दिया था। तब से यह दफ्तर बंद पड़ा हुआ है। अब इसकी नीलामी से मिलने वाली रकम से कर्ज की वसूली होगी।
ई-नीलामी के लिए इसका बेस प्राइज 150 करोड़ रूपए निर्धारित किया गया है जो मूल कीमत से ज्यादा बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि 12 कंपनियों ने बोली के लिए जरूरी 15-15 करोड़ रुपए डिपाजिट किए थे। लेकिन किसी ने ऊंची कीमत नहीं लगाई। बैंक का कहना है कि वह जल्द ही नीलामी के लिए नई तारीख का ऐलान करेगा।
किंगफिशर हाउस के लिए बोली क्यों नहीं लग सकी। इस बारे में प्रॉपर्टी डीलरों की अपनी राय है। उनके मुताबिक किंगफिशर हाउस का बेस प्राइज बाजार भाव से कहीं अधिक है। विले पार्ले इलाके में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी का भाव इस समय 28 हजार रूपए प्रति वर्ग फुट का है। इससे कई गुना ज्यादा बेस प्राइज है। इसके अलावा यह भी तर्क दिया जा रहा है कि किंगफिशर हाउस को खरीदने वालों को प्रॉपर्टी टैक्स, इनकम टैक्स के अलावा किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों के बकाए वेतन और अन्य दावेदारों के कर्ज भी चुकाने पड़ सकते हैं। इससे कानूनी अड़चनें आ सकती हैं।
प्रॉपर्टी के जानकारों का कहना है कि किंगफिशर हाउस को खरीदने वाले इसका इस्तेमाल होटल या विदेशी कंपनियों के दफ्तर के लिए कर सकते हैं। लेकिन उन्हें होटल चलाने में तकलीफ होगी क्योंकि ग्राहक कम मिलेंगे और विदेशी कंपनियों से भाड़े कम मिलेंगे। ऐसे में खरीदार के लिए यह महंगा सौदा हो सकता है।