एसईसीएल में फर्जी नियुक्ति की कोल मंत्रालय से शिकायत

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कोरबा@M4S: कोल इंडिया की अनुषंगी और मिनी महारत्न कंपनी एसईसीएल जो पहले डब्ल्यूसीएल के नाम पर संचालित थी, कंपनी में फर्जी तरीके से भर्ती का खेल चल रहा है। सही तरीके से जांच के अभाव में नाम बदलकर व फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे लोग पूरी तरह बेनकाब नहीं हो पा रहे हैं और न ही इन्हें नौकरी देने वालों पर कोई कार्रवाई हो रही है। फर्जी नियुक्ति के मामले में कोल मंत्रालय को शिकायत प्रेषित कर कंपनी के दागदार अधिकारियों के चेहरे बेनकाब करने की मांग की गई है।
इस तरह के फर्जीवाड़ा की शिकायत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार तपन चक्रवर्ती ने बताया कि कभी भू-विस्थापित तो कभी पिछले दरवाजे से लेनदेन कर फर्जी नौकरी का खेल दशकों से चला आ रहा है और जांच के नाम पर उच्चाधिकारी गुमराह कर रहे हैं। 80-90 के दशक में श्रमिक नेता आरएन श्रीवास्तव द्वारा अधिकारियों की मदद से सैकड़ों फर्जी नियुक्ति डब्ल्यूसीएल में करा दी गई। मामला सामने आने पर कर्मचारी बाहर किए गए व श्रीवास्तव को बर्खास्त होना पड़ा लेकिन मास्टर माइंट डब्ल्यूसीएल के अधिकारी बचे रहे। राष्ट्रपति से शिकायत पर आला अधिकारियों ने ऐसा कोई भी प्रकरण होने से इंकार कर दिया। 80-90 की दशक में कोरबा में नई खदानें खुल रही थी तब जिनकी जमीनें अधिग्रहित की गई उनके नाम पर हजारों बाहरी प्रान्त के लोगों ने अपने रिश्तेदारों को भर्ती कर स्थानीय लोगों की नौकरी हथिया ली। उस समय सेंट्रल वर्कशॉप में केमिस्ट एचएमएस नेता आर एन श्रीवास्तव ने 200 से अधिक लोगों को पूर्व अस्थायी कर्मचारी बताकर स्थायी नौकरी दिला दी। पूर्व सैनिक बताकर सुरक्षा गार्ड की नौकरी दी गई। मामले की जांच में 276 फर्जी कर्मियों को बर्खास्त किया गया। श्री चक्रवर्ती ने सवाल उठाया है कि जब कोयला कंपनी ने 276 लोगों को बर्खास्त किया है तो वर्तमान में एसईसीएल प्रबंधन इस तरह के किसी भी प्रकरण के होने से इंकार क्यों कर रहा है? डब्ल्यूसीएल मुख्यालय नागपुर से कोरबा तक के जिम्मेदार अधिकारी फर्जी भर्ती में संलिप्त हैं जिन्हें बचा लिया गया। अब एसईसीएल इस फाईल को दोबारा खोलने रुचि नहीं दिखा रहा। परिणामत: 80-90 के दशक के बाद भी कोयला कंपनी में फर्जी तरीके से लोगों की भर्ती का काम चलता रहा। इक्का-दुक्का लोगों के खिलाफ कार्रवाई के अलावा प्रबंधन ने कुछ भी नहीं किया और जिन मामलों में फर्जी नौकरी पाई गई, उसके अधिकारी कार्रवाई से बचे रहे।

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