कोरबा@M4S:कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापितों के लिए रोजगार की मांग इस क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने पर मजबूर है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा ग्राम नरईबोध,गंगानगर समेत सभी विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को गेवरा खदान में कार्य कर रही सभी आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100% रोजगार उपलब्ध कराने की मांग लगातार की जा रही है लेकिन प्रबंधन और आउट सोर्सिंग कंपनी विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर नहीं है। किसान सभा द्वारा प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की मांग को लेकर कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट गेवरा में 5 सितंबर को खदान बंद आंदोलन की घोषणा की है।
इस आंदोलन को टालने के लिए किसान सभा नेताओं के साथ एसईसीएल गेवरा प्रबंधन ने बैठक कर उनसे आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया इस बैठक में शामिल एसईसीएल की और से एपीएम एस.परीडा प्रोजेक्ट जीएम एस. पी.भाटी,अमिताभ तिवारी ने कहा कि एसईसीएल द्वारा सभी कार्यों में भू विस्थापितों को रोजगार दिलाने का प्रयास किया जायेगा और जिन भू विस्थापितों का वीटीसी कंप्लीट हो गया है उन्हें जल्द सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसलिए आंदोलन स्थगित कर दे जिस पर किसान सभा के प्रतिनिधि मंडल की ओर से जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, प्रशांत झा,दामोदर,जय कौशिक, राजू,मन्नू,रेशम,रघु,सुमेन्द्र सिंह, मोहन कौशिक, नरेंद्र यादव ने प्रबंधन के आंदोलन स्थगित करने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि एसईसीएल के किसी भी झूठे आश्वाशन में अब प्रभावित गांव के बेरोजगार आने वाले नहीं है अब केवल रोजगार चाहिए और आउट सोर्सिंग कंपनी में कार्य कर रहे ड्राइवर, हेल्पर, सुपरवाइजर एवं अन्य कर्मचारियों ने नाम गांव को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए रोजगार के लिए संघर्ष को और तेज करने की घोषणा की है।
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि प्रभावित गांव के बेरोजगारों ने गेवरा एसईसीएल के अधीनस्थ कार्य कर रही सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य विस्थापित बेरोजगारों को उपलब्ध कराने की मांग की लेकिन प्रबंधन ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। उनका आरोप है कि विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों द्वारा इन कंपनियों में रोजगार के लिए जाते हैं तो उन्हें घुमाया जाता है और अंत मे कहा जाता है यहाँ कोई रोजगार नहीं है, और उन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। किसान सभा का कहना है कि प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल की है, लेकिन वह इसे पूरा करने से इंकार कर रही है, जिसके कारण उन्हें खदान बंदी आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने बताया की गंगानगर, नरईबोध गांव के किसान खेती किसानी पर आश्रित थे लेकिन एसईसीएल में जमीन अधिग्रहण के बाद गांव से अधिकांश विस्थापित परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एसईसीएल पर आश्रित है आश्रित परिवार के बेरोजगार युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे है आस पास कहीं रोजगार की व्यवस्था नहीं है कंपनी के अधीनस्थ कार्यरत आउट सोर्सिंग एवं वैकल्पिक कार्यों में भू विस्थापित युवाओं को प्राथमिकता नहीं दिया जा रहा है।
किसान सभा ने कहा कि जो किसान परिवार अपनी जमीन से हाथ धो चुके हैं, उन विस्थापित परिवारों की सुनिश्चित आय और बेहतर जीवन के लिए किसान सभा सभी बेरोजगारों के लिए रोजगार की मांग पर संघर्ष को तेज करेगी।