बिलासपुर@M4S:रमज़ान के पूरे महीने में भूख और प्यास को बर्दाश्त करने के बाद ईद की ख़ुशी इस बाद की मिसाल है कि ज़िन्दगी की मुसीबतों पर सब्र करने का नाम हैं. रमज़ान का सही मतलब यही है कि जिस भूख प्यास को हमने महसूस किया है, उसपर हम अपने आस पास व समाज के गरीब, यतीम, बेवा, लाचार व ज़रूरतमंद लोगों की हमेशा मदद करते रहना सिखाता है, यदि इन बातों पर हमने अमल नही किया तो हमें सोचना चाहिये कि क्या हमें रोज़े से कुछ हासिल हुआ कि नहीं! मुहम्मद सलल्लाहु अलैहिस्सल्लम की शिक्षाओ से हमे यह पता चलता है कि ईद का यह भी पैगाम है कि आपसी रंजिशों को मिटा कर एक दुसरे को खुशियाँ बाँटने का मौका है, एक दुसरे की गलतियों और अपने हक़ को माफ़ कर सब को गले लगाने का त्यौहार है, इसलिए सब पिछली बातें, मन मुटाव को भुला उनकी तरफ दोस्ती का हाथ बढाइये कर अपने देश व समाज मे प्रेम , सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाये रखने की कोशिशें करते रहना चाहिये!
इसी यह साबित होगा कि आप ने रमज़ान में सब्र करना सीख लिया था. आप सभी प्रदेश वासियों को ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद!
ये बातें मुहम्मद वाहीद सिद्दीकी , प्रदेश सचिव, मिल्ली और मुल्की विभाग जमाअत ए इस्लामी हिन्द , छत्तीसगढ़ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा!
ईद आपसी रंजिशों को मिटा कर एक दुसरे को खुशियाँ बाँटने का मौका है : सिद्दीकी
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