इशरत मामले में हलफनामों पर कांग्रेस, भाजपा में ठनी

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नई दिल्ली(एजेंसी):इशरत जहां मुठभेड़ मामले में हलफनामों को लेकर मंगलवार को आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। भाजपा ने जहां कांग्रेस पर इस सनसनीखेज मुठभेड़ मामले में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया और जांच की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा पर राजनीतिक फायदे के लिए दुष्प्रचार का आरोप लगाया।

भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने इशरत जहां केस में हो रहे खुलासों पर राज्य सभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उधर संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि इस मामले पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और तत्कालीन गृह मंत्री को बयान देना चाहिए।

कांग्रेस ने पूछा कि क्या मोदी सरकार दोषी पुलिसकर्मियों के अभियोजन को रोकने के लिए मामले में हस्तक्षेप कर रही है।

गृह मंत्रालय में अवर सचिव रहे आर वी एस मणि के एक साक्षात्कार से यह बहस शुरू हुई जिन्होंने दो हलफनामे दाखिल किये थे। इंटरव्यू में मणि ने आरोप लगाया कि उन्हें मामले में वरिष्ठ आईबी अधिकारियों को फंसाने के लिए प्रताड़ित किया गया था, ताकि यह पेश किया जा सके कि इशरत और अन्य तीन लश्कर आतंकवादियों के साथ 2004 में अहमदाबाद में हुई मुठभेड़ फर्जी थी।

मणि का कहना था कि दूसरा हलफनामा दाखिल करने के फैसले के पीछे चिदंबरम थे। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन एसआईटी प्रमुख, जो एक सीबीआई अधिकारी हैं, उनके पीछे पड़े थे और इशरत तथा अन्य आतंकवादियों पर खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई पेशेवर जानकारी की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करने का प्रयास किया गया।

यह बात ऐसे समय में सामने आई जब दो पूर्व गृह सचिवों ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय में दूसरा हलफनामा तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम के कहने पर दाखिल किया गया था।

भाजपा ने शाम को तुरत फुरत मीडिया ब्रीफिंग की और दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा जिन्होंने आरोप लगाया कि चिदंबरम ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे अमित शाह को फंसाने के लिए कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों पर यह किया था।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भाजपा पर अमेरिकी-पाकिस्तानी आतंकवादी डेविड हेडली के बारे में झूठ प्रचारित करने का आरोप लगाया और कहा कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि सत्तारूढ़ पार्टी दुष्प्रचार कर रही है।

उन्होंने कहा, पूरी कांग्रेस का रुख था कि दोष साबित होने के बाद भी किसी दोषी व्यक्ति की हत्या नहीं की जा सकती या कानून की उचित प्रक्रिया के बिना उसे मारा नहीं जा सकता जो कि गुजरात में मोदी के निरंकुश शासन के दौरान हुआ था।

सिंघवी ने कहा कि भारत एक गौरवान्वित लोकतंत्र है जहां अफजल गुरू और अजमल कसाब ने उच्चतम न्यायालय के स्तर तक पूरे मुकदमे की कार्यवाही का सामना किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने संसद पर हमले के दोषी या 26-11 के साजिशकर्ता को फर्जी मुठभेड़ में नहीं मार गिराया।

उन्होंने कहा कि यह कहने का प्रयास किया जा रहा है कि मोदी सरकार के दौरान जांच के बाद मामला अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन अदालत गया और अदालत की जांच से साबित होता है कि यह फर्जी मुठभेड़ थी।

सिंघवी ने कहा कि तत्कालीन राज्य सरकार ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी लेकिन निष्फल रही।

दूसरी तरफ प्रसाद ने कथित फर्जी मुठभेड़ में सीबीआई जांच पर सवाल खड़ा किया और कहा कि केंद्र सरकार की मशीनरी का दुरुपयोग किया गया था।

भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने पिल्लई और मणि के बयानों का उल्लेख किया और जांच की मांग की।

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