कोरबा@M4S: स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था ने एक बार फिर प्रसूता की सांसे छिन ली। गर्भस्थ शिशु भी दुनिया में आने से पहले काल के गाल में समा गया। प्रसूता को अस्पताल लाने न तो संजीवनी और न ही महतारी एक्सप्रेस का साथ मिला। निजी वाहन में महिला को अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। मामले में सीएमएचओ ने जांच करा लापरवाही पर कार्रवाई की बात कही है।
जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर कोरबा विकासखंड अंतर्गत वनांचल ग्राम डूमरडीह में बालेन्द्र सिंह निवासरत है। उसकी 37 वर्षीय पत्नी फूलवती गर्भवती थी। चिकित्सकों ने प्रसव के लिए दिसंबर माह का समय दिया था। बालेन्द्र गांव की मितानिन विमला बाई के साथ पत्नी को लेकर उप स्वास्थ्य केन्द्र बासीन पहुंचा था। उप स्वास्थ्य केन्द्र में मौजूद महिला कर्मी ने परीक्षण उपरांत प्रसव के लिए हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी। पति बालेन्द्र ने बताया कि पत्नी को हायर सेंटर ले जाने उसने डायल 102 और डायल 108 में कॉल किया, लेकिन उसे संजीवनी और महतारी एक्सप्रेस की व्यस्त होने की जानकारी दी जाती रही। आखिरकार घंटों इंतजार के बाद बालेन्द्र किसी तरह निजी वाहन की व्यवस्था कर पत्नी को प्रसव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करतला लेकर पहुंचा। जहां डाक्टरों ने परीक्षण उपरांत प्रसूता की हालत ठीक नहीं होने की जानकारी दी। उन्होंने प्रसूता को मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। जब तक परिजन मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचते प्रसूता की वाहन में ही मौत हो गई थी। शिशु का एक हाथ भी बाहर आ गया था। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने परीक्षण उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया। जिले में यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें सही समय पर एम्बुलेंस सेवा और उपचार नहीं मिलने के कारण जान जा चुकी है। मामले में चौकाने वाली बात तो यह है कि परिजन प्रसूता को लेकर अस्पताल का चक्कर काटते रहे। उसकी मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचने से पहले मौत हो गई। लेकिन मातहत अधिकारियों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जानकारी देना भी मुनासिब नहीं समझा। मामला संज्ञान में लाए जाने पर उन्होंने मामले में जांच के आदेश जारी कर दिये हैं।