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कोरबा@M4S:मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की महत्वाकांक्षी संचार क्रांति योजना में मोबाइल वितरण को तमाम निर्देशों के बाद भी कुछ अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे। कोरबा जिले में 5 अगस्त से मोबाइल तिहार का आगाज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा किए जाने के बाद 6 अगस्त से सभी 6 जोन में वार्डवार मोबाइल बांटे जा रहे हैं। जोन प्रभारियों, नोडल व सहायक नोडल अधिकारियों के भरोसे वितरण में कई अव्यवस्था कायम है। निरंतर फटकार के बाद भी कोई फर्क इन्हें नहीं पड़ रहा बल्कि अपनी खीझ हितग्राहियों की बात अनसुनी कर निकालते नजर आते हैं। कुछ जोन में वहां के भाजपा जनप्रतिनिधि मौजूद रहकर व्यवस्था संभाल रहे हैं।
कोरबा सहित अन्य जोन दफ्तरों में अव्यवस्था का आलम है। हितग्राहियों की पूरी सूची स्काई पोर्टल से लेकर टेबल तक पांचवे दिन भी नहीं पहुंच सकी थी। स्काई पोर्टल में तकनीकी त्रुटियों का खामियाजा हितग्राही भुगत रहे हैं। त्रुटियों को समझने, सुधारने की बजाय काम चलाऊ व्यवस्था पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इस बारे में कुछ भी कहने से बचते हुए कोरबा जोन प्रभारी श्रीधर बनाफर का कहना था कि जैसा चल रहा है, सब ठीक है और ऐसे ही चलते रहेगा। सहायक नोडल अधिकारी डीसी सोनकर अपना काम करने की नसीहत देते हैं तो जोन कमिश्नर को मीडिया से परहेज है।
तिथि निकल गई पर पर्ची नहीं मिली, नाम नहीं आने से लौटे
घर और वार्ड में समय पर ई-पावती आज तक नहीं बंटवाई जा सकी है जबकि उस वार्ड की वितरण तिथि भी निकल चुकी है। हम बात करें कोरबा शहर के पानी टंकी जोन की तो यहां वार्ड, 1, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 व 2 के लिए मोबाइल बांटा जा रहा है। वार्ड 1 के लिए 6 अगस्त, 1 व 4 के लिए 7 अगस्त, 4 व 5 वार्ड के लिए 8 अगस्त, 5 व 6 के लिए 9 अगस्त, वार्ड 7 के लिए 10 अगस्त, 7 व 8 के लिए 11 अगस्त और इसी तरह दूसरे वार्ड के लिए तिथि तय कर चस्पा किया गया है (समय सारिणी परिवर्तनीय भी है) किंतु आज भी इन वार्डों के पहुंचने वाले वाल्मिकी मिश्रा, हमीदा बेगम, कमला बाई, बुन्दकुंवर, शकुन बाई, शहजादी खान, देवनारायण, रामकुमारी, शैलेन्द्री, पूनम, दुर्गा, मंजू सहित अधिकांश हितग्राहियों को ई-पावती नहीं मिलने व नाम नहीं आने की शिकायत थी। पुरानी पावती लेकर वे कतार में लगकर ई-पावती लेते रहे, कुछ लोगों के पास ई-पावती थी वे सीधे अपना पंजीयन कराने पहुंचे मगर अधिकांश को पंजीयन सूची में नाम न होने पर लौटना पड़ा। यह बड़ी त्रुटि नहीं तो और क्या कि स्काई पोर्टल, ई-पावती में नाम है किंतु लिस्ट में नहीं? इसका जवाब न देकर सीधे 21-22 अगस्त को आने, पुनरू आवेदन देने की बात कहकर चलता कर दिया जा रहा है। नाम न होने से तो कई लोग फिंगर मैच नहीं करने, आधार मैच नहीं करने, स्काई कोड मैच नहीं करने से 3-4 घंटे की मशक्कत के बाद मायूस लौट रहे हैं। ऐसे में इनका सवाल जायज है कि जब 2007-08 की सर्वे सूची में नाम था, आवेदन पूरी फार्मेल्टी के साथ जमा किया, जांच कर पावती दी तो नाम क्यों नहीं बता रहा? कमोबेश यह समस्या हर जोन में है। भाजपा के कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा कहा जा रहा है कि एक परिवार में 2-3 राशन कार्ड होने से ऐसे लोगों का नाम स्थगित रखा गया है, जिन्हें बाद में शासन के निर्देश अनुसार मोबाइल मिलेगा। लेकिन दूसरी ओर जिनके घर में एक ही राशन कार्ड है, उनका भी नाम आवेदन के बावजूद स्काई पोर्टल व सूची में नहीं होने का कारण नहीं बता पा रहे।
दुर्व्यवहार से असहज होती महिलाएं
आज पानी टंकी में काफी भीड़ रही व मुख्य सड़क तक कतार लगी थी, जिन्हें संभालने मुख्य गेट बंद कर दिया गया था। 11 बजे तक किसी को आने-जाने नहीं दे रहे थे। भीड़ के बाद भी जोन ने पर्याप्त पुलिस कर्मी नहीं बुलाए। एसआई चंद्रशेखर बारीक व आरक्षक पैकरा ही थे। महिला पुलिस कर्मी नहीं थी जिसके लिए एक जागरुक युवक द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम फोन करने पर महिला आरक्षक व प्रधान आरक्षक को भेजा गया। इससे पहले जोन का एक बड़ा अधिकारी खुद गेट पर रहकर महिलाओं से अभद्रता कर उन्हें धकियाते रहा जिससे उनके साथ आए पुरूष व परिजन नाराज हुए व महिलाएं असहज महसूस करती रहीं। आरक्षक पैकरा ने तो एक हितग्राही व साथ जा रही महिला को यहां तक कह दिया कि वो मरेगी तो साथ में तू भी मरेगी क्या? भीतर कुछ अवांछित लोग घूमते रहे परन्तु वृद्ध, अनपढ़ महिला के साथ गए उसके पति, पुत्र को गेट पर ही रोका जाता रहा। यहां पहुंची नायब तहसीलदार करूणा आहेर ने मौजूद रहकर व्यवस्था संभाली।
मुनादी के अभाव में वृद्ध, अशक्त भी पहुंच रहे
7 अगस्त को जोन पहुंचे निगम आयुक्त ने मोबाइल वितरण की धीमी गति पर नाराजगी जताते ई-पावती घर-घर वितरण पर जोर दिया वहीं ऐसे हितग्राही जो बेड रेस्ट पर हैं, चलने-फिरने में अक्षम, बीमार, वृद्ध हैं उन्हें शिविर में नहीं आने व घर पहुंचाकर मोबाइल देने की बात कही थी। पावती बांट रहे निगम कर्मियों, पार्षद अथवा मुनादी के माध्यम से यह बात वार्डों में ऐसे असक्षम लोगों तक पहुंचाई नहीं जा रही है जिसके कारण ऐसे लोग घंटों कतार में लगकर परेशान हो रहे हैं।
आवेदन लिखने भटक रहे, मददगार नहीं
जोन में ऐसे हितग्राही जिनका आधार नंबर, स्काई नंबर मैच नहीं कर रहा व आवेदन के बाद भी नाम नहीं आया है, उन्हें एक आवेदन देने कहा जा रहा है। आवेदन के लिए कोरा कागज, अनपढ़ होने पर लिखने वाला मददगार से लेकर पुनरू आधार कार्ड, राशन कार्ड, पासबुक की फोटोकॉपी कराने हितग्राही भटक रहे हैं। जोन अधिकारियों को आवेदन लिखने की फुरसत तो नहीं परंतु कोई ऐसा शख्स भी नहीं बिठाए हैं जो इनका आवेदन लिख दे। इसमें निरक्षर ज्यादा परेशान हो रहे हैं।
9 से 6 बजे तक ड्यूटी पर पानी तक नसीब नहीं, हवा तो दूर
सुबह 9 बजे से कर्मियों को जोन बुला लिया जाता है जो शाम 6 बजे तक तैनात रहते हैं। दोपहर 2रू30-3 बजे खाने का पैकेट व पानी का पाऊच मिलता है। इस बीच चाय-बिस्किट, पानी तक नसीब नहीं होता है। हितग्राहियों व कर्मियों को पूरे शिविर स्थल में पीने का पानी नजर नहीं आता। हवा के नाम पर सहायता केन्द्र में दो पंखे भीतर लगे हैं। भीतर अलग-अलग डेस्क के करीब 12 कर्मियों के लिए मात्र दो पंखे लगाए हैं। उमस भरी गर्मी में बेचौनी की शिकायत हितग्राहियों व महिला कर्मियों को होने पर पंखा के लिए कई बार सहायक नोडल डीसी सोनकर व अन्य को कहा जाता रहा पर वे टालते रहे।
भोजन की गुणवत्ता भी ठीक नहीं
मोबाइल वितरण शिविरों में ड्यूटीरत कर्मियों के लिए भोजन की व्यवस्था तो है किंतु दोपहर 2रू30-3 बजे मिलने वाला ठंडा खाना रास नहीं आ रहा। भोजन की गुणवत्ता भी कई निगम व अन्य कर्मियों ने ठीक नहीं बताई। नाम न छापने की शर्त पर एक निगम कर्मी ने बताया कि व्यवस्था पूरी तरह काम चलाऊ है, खाना खाने के बाद उसकी सेहत बिगड़ गई। अन्य ने भी चावल अधपका, पूड़ी कच्ची व ठंडी होने, तेल से लबालब होना, बेस्वाद सब्जी, पानी जैसी दाल होने की बात कही। शिकायत के बारे में कहा कि अधिकारी सुनते नहीं तो किसे बताएं और बताकर कौन इनसे पंगा ले!