अर्थव्यवस्था की मजबूत की बुनियाद, तब आया बूम पर बाजार.. पिछले साल की तुलना में इस साल वाहनों की बिक्री 123 प्रतिशत बढ़ी कोरबा जिले में अभी तक साढ़े आठ हजार से अधिक मोटर साइकिलें, साढ़े तीन सौ से अधिक टेªेक्टर बिके* *जिले में छोटे-बड़े मिलाकर इस वर्ष अभी तक लोगों ने खरीदे 11 हजार 158 वाहन

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कोरबा@M4S:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अर्थव्यवस्था की जड़ों को मजबूत करने की रणनीति पूरे छत्तीसगढ़ में रंग ला रही है। अर्थव्यवस्था की बुनियाद खेती-किसानी को प्रोत्साहित करने, किसानों को वित्तीस संबल देने की योजनाओं से कोरोना के कारण हुई आर्थिक मंदी की काली छाया से छत्तीसगढ़ आज भी अछूता है। प्रदेश में खेती-किसानी को बढ़ाने वाली योजनाओं का असर अब अन्य आर्थिक क्षेत्रों में भी दिख रहा है। आॅटोमोबाईल सेक्टर इनमें से एक है। कोरबा जिले में आटोमोबाईल सेक्टर में पिछले पूरे साल की तुलना में इस वर्ष जुलाई तक ही अच्छी वृद्धि रही है। इस वर्ष अभी तक जिले में छोटे-बड़े, चारपहिया, तीन पहिया, दो पहिया सभी मिलाकर 11 हजार 158 वाहन लोगों ने खरीदे हैं जोकि पिछले पूरे वित्तीय वर्ष से 123 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष केवल नोै हजार 067 वाहन खरीदे गये थे। अब तक जिले में हल्के मोटरयान की बिक्री 136 प्रतिशत, छोटी नौ सीटर बसों की बिक्री 179 प्रतिशत, आटो रिक्शा की बिक्री 353 प्रतिशत, मोटर सायकलों की बिक्री 129 प्रतिशत, कारों की बिक्री 133 प्रतिशत, टेªक्अरों की बिक्री 207 प्रतिशत तक बढ़ी है।
जिला परिवहन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक कोरबा जिले में इस वर्ष अब तक 246 हल्के मोटरयानों का पंजीयन हुआ है। पिछले वर्ष केवल 180 हल्के वाहन पंजीकृत हुए थे। इसी तरह इस वर्ष अभी तक 152 हल्की नौ सीटर बसों का पंजीयन किया जा चुका है जोकि पिछले वर्ष केवल 85 ही था। इस वर्ष जिले में आटो रिक्शा की बिक्री में लगभग साढ़े तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले वर्ष जहां केवल 26 आटो बिके थे, वहीं इस वर्ष अभी तक 92 आटो का पंजीयन जिले के आरटीओ कार्यालय से हो चुका है।
कोरोना संक्रमण के कारण एक ओर वैश्विक स्तर पर जहां अर्थव्यवस्था में मंदी हैं, पूरे देश में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है तो छत्तीसगढ़ में बाजार का यह चढ़ाव दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर तेजी से आगे बढ़ाने वाली नीतियों पर अमल किया है। अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ खेती को आगे रखने के लिए किसानों को भरपूर मदद दी है। सरकार ने जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन सुदृढ़ किया है। किसानों को उनकी धान की फसल का वाजिफ दाम 2500 रूपये प्रति क्विंटल देने के साथ, कर्जमाफी और किसान न्याय योजना से खेती हब छत्तीसगढ़ में लाभ का व्यवसाय बनने की राह पर है। सरकार के गोबर खरीदी के निर्णय ने भी गांवों की अर्थव्यवस्था को स्थानीय स्तर पर मजबूत करने का विश्वास लोगों में जगाया है। इन सबका सीधा असर अन्य गतिविधियों पर भी दिख रहा है। कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों के बाद जिले में बड़ी संख्या में युवा वर्ग भी अब स्थानीय स्तर पर ही खेती के प्रति आकर्षित हो रहा है। अपने गांव-घर में परिवार के साथ रहकर आधुनिक तरीकों से खेती करने की मंशा को छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं से ही पंख लगे हैं।
कई राज्यों से वापस लौटे प्रवासी मजदूरों और कामगारों का भी अब बाहर जाकर काम करने से मोह भंग हो गया है ऐसे में कोरोना काल से सबक लेते हुए लोग विशेषकर युवा वर्ग खेती को ही आज निवेश का सबसे बेहतर क्षेत्र मान रहा है। आधुनिक खेती के लिए जरूरी बीज-खाद-दवा, तकनीकी मार्गदर्शन के साथ आधुनिक कृषि यंत्रों तक अपनी पहुंच बनाने में प्रयासरत हें। खेती में अधिकांश कोमों में उपयोग होने वाले ट्रेक्टरों की बिक्री का बढ़ना जिले में इसी बात का संकेत है। कोरबा जिले में पिछले साल 169 ट्रेक्टर बिके थे। ज्यादातर किसान ट्रेक्टर अपे्रल, मई, जून माह में ही खरीदते हैं ताकि जून जुलाई में खेतों की तैयारी, बुआई-जुताई में इनका उपयोग किया जा सके। इस वर्ष अभी तक जिले में 351 ट्रेक्टर बिक चुके हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दो गुना है।
पिछले सालों में खेती की बढ़ती लागत, उपज का कम दाम से लेकर मौसम की मार तक ने किसानों को खेती से लाभ कमाने की संभावनाओं को क्षीण कर दिया था। नई सरकार ने आते ही कर्जमाफी से किसानों को जो संबल दिया उसी संबल में 2500 रूपये प्रति क्विंटल धान की खरीदी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती की नींव रखी गई और राजीव किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना से लेकर अब गोधन न्याय योजना तक से किसानों को गांवों मेे रहकर खेती से आर्थिक समृद्धि का नया रास्ता दिखने लगा है। खेती-किसानी में आर्थिक स्वावलंबन के बढ़ते अवसरों से ही बाजार में भी बूम है। जिले में पिछले वर्ष जाहं छह हजार 641 मोटर साइकले लोगों ने खरीदी थी वहीं इस वर्ष केवल जून माह तक ही आठ हजार 569 मोटर साइकिलें बिक चुकी है। यह दोनों सालों की तुलना पर लगभग 130 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह कारों की बिक्री पिछले वर्ष जहां 777 थी इस वर्ष अभी तक 133 प्रतिशत बढ़कर एक हजार 36 हो गई है। वाहनों की बिक्री और पंजीयन से भी राज्य सरकार को लाखों रूपये का राजस्व मिला है। जो अन्य विकास योजनाओं के लिए उपयोगी होगा।
‘कोरबा जिले में इस वर्ष अभी तक 11 हजार से अधिक वाहनों की बिक्री हो चुकी है। वाहनों के पंजीयन में 123 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मोटरसाइकलों, कारों से लेकर ट्रेक्टर आदि की बिक्री में तेजी से इजाफा हुआ है, जो कोरोना काल के बाद भी कोरबा के बाजार के लिए अच्छा संकेत है।‘

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