नई दिल्ली(एजेंसी):आज सावन महीने का पहला सोमवार है, लेकिन अन्य व की तुलना में यह फर्क है कि इस बार देवालयों, शिवालयों में पहले जैसी नहीं धूम नहीं है और न ही शिवालयों में भक्तों के बम-बम भोले के स्वर गूंज रहे हैं। इस बार सावन के महीने की शुरूआत सोमवार से ही हो रही है और आमतौर पर शिव भक्तों के लिए वैसे भी सोमवार का दिन काफी शुभ माना जाता है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास के इस पहले सोमवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और प्रतिपदा तिथि के कारण इस दिन को साधना एवं पूजन की दृष्टि से मनुष्य जीवन में आने वाले अनिष्ट कारका’शमन करने वाला माना गया है। यह भी माना गया है कि आज का दिन अभीष्ट लाभकारी है, इसलिए शिव भक्तों में खासा उत्साह है, लिहाजा शिवालय में चुनिंदा सेवादारों भक्तों के प्रवेश की अनुमति के बावजूद शिव भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है और वे मंदिरों में जाने के बजाए अपने घरों पर ही शिवलिंग का श्रृंगार करके अभिषेक कर रहे हैं।
कल गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व के साथ ही इस महीने के पहले सोमवार के साथ शुरू हुए श्रावण महीने का इस बार महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि शिव भक्तों की इष्ट दिवस सोमवार के साथ शुरू हुआ और इसका समापन भी तीन अगस्त को सोमवार के साथ ही होगा। इस दौरान श्रावण माह में पूरे पांच सोमवार आएंगे और शिव भक्त यह उम्मीद लगा रहे हैं कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब केंद्र और राज्य सरकारें लॉकआउट की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है तो मंदिरों के पट भी खुल सकते हैं। हालांकि अब संक्रमण के प्रति सावधानी आम आदमी को अपनी जिम्मेदारी मानते हुए पूरी करनी पड़ेगी।
कोराना के विश्वव्यापी संकट के चलते जनहित में सरकार ने मंदिरों के पट खोलने पर रोक लगा रखी है और आमजन को भीड़भाड़ वाले इलाकों में नजदीक आने से रोकने के लिए सावधानी के लिए उठाए गए कदम स्वागत योग्य ही माना जाना चाहिए, लेकिन शिव भक्तों की पीड़ा यह है कि सोमवार से ही शुरू हुए इस सावन में वह शिवालयों में जाकर शिवलिंग का अभिषेक नहीं कर पा रहे हैं। शिवालयों, देवालयों के पुजारियों ने जनहित में शिव की शिव भक्तों से दूरी बनाए रखी है और वहां के प्रमुख पुजारियों ने कुछ चुनिंदा लोगों के साथ भगवान भोलेनाथ के तीन आहार माने जाने वाले भांग धतूरे के चढ़ावे के साथ दूध से शिवलिंग का अभिषेक किया, लेकिन शिवालयों में इस बार शिवभक्तों की पहले जैसी गहमागहमी न थी, वे पूजा अर्चना के साथ भगवान शिव का अभिषेक भी नहीं कर पाए।
राजस्थान के हाड़ौती संभाग में हर साल विभिन्न प्रसिद्ध शिव पूजा स्थलों के लिए माने जाने वाले स्थानों पर मेले लगते हैं, लेकिन इस बार न शिवालयों में धूम है और न ही उनके बाहर मेलों की गहमागहमी।आज सावन महीने का पहला सोमवार है, लेकिन अन्य व की तुलना में यह फर्क है कि इस बार देवालयों, शिवालयों में पहले जैसी नहीं धूम नहीं है और न ही शिवालयों में भक्तों के बम-बम भोले के स्वर गूंज रहे हैं। इस बार सावन के महीने की शुरूआत सोमवार से ही हो रही है और आमतौर पर शिव भक्तों के लिए वैसे भी सोमवार का दिन काफी शुभ माना जाता है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास के इस पहले सोमवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और प्रतिपदा तिथि के कारण इस दिन को साधना एवं पूजन की दृष्टि से मनुष्य जीवन में आने वाले अनिष्ट कारका’शमन करने वाला माना गया है। यह भी माना गया है कि आज का दिन अभीष्ट लाभकारी है, इसलिए शिव भक्तों में खासा उत्साह है, लिहाजा शिवालय में चुनिंदा सेवादारों भक्तों के प्रवेश की अनुमति के बावजूद शिव भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है और वे मंदिरों में जाने के बजाए अपने घरों पर ही शिवलिंग का श्रृंगार करके अभिषेक कर रहे हैं।
कल गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व के साथ ही इस महीने के पहले सोमवार के साथ शुरू हुए श्रावण महीने का इस बार महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि शिव भक्तों की इष्ट दिवस सोमवार के साथ शुरू हुआ और इसका समापन भी तीन अगस्त को सोमवार के साथ ही होगा। इस दौरान श्रावण माह में पूरे पांच सोमवार आएंगे और शिव भक्त यह उम्मीद लगा रहे हैं कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब केंद्र और राज्य सरकारें लॉकआउट की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है तो मंदिरों के पट भी खुल सकते हैं। हालांकि अब संक्रमण के प्रति सावधानी आम आदमी को अपनी जिम्मेदारी मानते हुए पूरी करनी पड़ेगी।
कोराना के विश्वव्यापी संकट के चलते जनहित में सरकार ने मंदिरों के पट खोलने पर रोक लगा रखी है और आमजन को भीड़भाड़ वाले इलाकों में नजदीक आने से रोकने के लिए सावधानी के लिए उठाए गए कदम स्वागत योग्य ही माना जाना चाहिए, लेकिन शिव भक्तों की पीड़ा यह है कि सोमवार से ही शुरू हुए इस सावन में वह शिवालयों में जाकर शिवलिंग का अभिषेक नहीं कर पा रहे हैं। शिवालयों, देवालयों के पुजारियों ने जनहित में शिव की शिव भक्तों से दूरी बनाए रखी है और वहां के प्रमुख पुजारियों ने कुछ चुनिंदा लोगों के साथ भगवान भोलेनाथ के तीन आहार माने जाने वाले भांग धतूरे के चढ़ावे के साथ दूध से शिवलिंग का अभिषेक किया, लेकिन शिवालयों में इस बार शिवभक्तों की पहले जैसी गहमागहमी न थी, वे पूजा अर्चना के साथ भगवान शिव का अभिषेक भी नहीं कर पाए।
राजस्थान के हाड़ौती संभाग में हर साल विभिन्न प्रसिद्ध शिव पूजा स्थलों के लिए माने जाने वाले स्थानों पर मेले लगते हैं, लेकिन इस बार न शिवालयों में धूम है और न ही उनके बाहर मेलों की गहमागहमी।