बीजिंग(एजेंसी):भारत और अन्य देशों में स्वीकृत जेनरिक दवाएं चीन में अब तक प्रतिबंधित थी और उसने फेक मेडिसिन की कैटेगरी में रखा था। मगर अब भारतीय दवा कंपनियों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि चीन ने भारतीय जेनरिक दवाओं को फेक लिस्ट की कैटेगरी से हटा दिया है। चीन ने भारत की कुछ जेनरिक दवाओं को “नकली दवा” की सूची से हटा दिया है और 1 दिसंबर से कम मात्रा में रोगियों द्वारा उपयोग किया जा सकता है। चीन के नए संशोधित दवा प्रशासन कानून से यह संभव हुआ है। अब तक चीन में सभी विदेशी जेनेरिक दवाओं पर प्रतिबंध था और इन्हें नकली दवाओं की श्रेणी में डाला गया था और ये सभी यहां उपयोग करने के लिए अवैध थे।
1 दिसंबर से इन दवाओं का उपयोग चीनी रोगियों द्वारा किया जा सकता है और यदि थोड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है तो उन्हें ऐसा करने के लिए दंडित भी नहीं किया जाएगा। बता दें कि संशोधन से पहले इसके लिए दंड का प्रावधान था। सोमवार को देश की शीर्ष विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के सत्र के अंत में संशोधन को मंजूरी दी गई और इसकी घोषणा की गई।
चीन के इस कानून में बदलाव उन चीनी रोगियों के लिए अच्छी खबर है जो कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित हैं। इस संशोधन के बाद वे अब विशेष रूप से कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भारत से प्रभावी और सस्ती जेनेरिक दवाओं का उपयोग कर सकेंगे। हालांकि, आधिकारिक घोषणा में यह नहीं कहा गया है कि मरीज कैसे मरीज दवा खरीद सकते हैं क्योंकि फार्मेसियों में यह दवा उपलब्ध नहीं है।
चीनी सरकार द्वारा संचालित एक न्यूज पोर्टल thepaper.cn के मुताबिक, इस कानून में संशोधन का मतलब है कि अन्य देशों में जेनरिक दवाएं लीगल हैं, मगर चीन में अब भी इस पर हरी झंडी मिलना बाकी है, क्योंकि चीन ने सिर्फ इन्हें फेक मेडिसिन की कैटेगरी से हटा दिया है।
समाचार पोर्टल की रिपोर्ट में कहा गया है कि नए संशोधित ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कानून के अनुच्छेद 124 में कहा गया है कि कम संख्या में ऐसी दवाओं के आयात को कानूनी तौर पर (चीन में) बिना मंजूरी के इस्तेमाल को माइनर केसों में सजा से अलग रखा जाएगा।
हालांकि, कानून में संशोधन का मतलब यह नहीं है कि “चीन आयातित जेनेरिक दवा पर प्रबंधन को आराम देने के लिए तैयार है। जो लोग लाभ के लिए जेनेरिक दवाओं का आयात करना चाहते हैं, उन्हें अभी भी पंजीकृत करने के लिए चीनी कानूनों का पालन करना होगा और अग्रिम में एक अप्रूवल प्राप्त करना होगा।