मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण योजना को पलीता लगाने में कसर नहीं
कोरबा@M4S:छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की महत्वपूर्ण संचार क्रांति योजना (स्काई) का लाभ बीपीएल सर्वे सूची वर्ष 2007-08 के आधार पर हितग्राहियों को दिया जा रहा है। योजना का शुभारंभ पश्चात अब समापन भी होने जा रहा है कि किन्तु अब भी ऐसे सैकड़ों हितग्राही शेष रह गये हैं जो पात्र होने के बाद भी मोबाइल से वंचित हैं। सरकारी तंत्र की लापरवाही और सही रूप से तकनीकी ज्ञान का अभाव कहें या सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्य को पूरा करने की होड़ में लीपापोती, हितग्राहियों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। कोरबा नगर निगम क्षेत्र के पानी टंकी जोन कार्यालय में मोबाइल लेने पहुंचे ऐसे ही हितग्राहियों के जरिए खुलासा हुआ कि उनका नाम ही स्काई पोर्टल से डिलीट कर दिया गया है जबकि इससे पहले नाम दर्ज था।
हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जिले में 5 अगस्त को मोबाइल वितरण का शुभारंभ किया और 6 अगस्त से जोन कार्यालयों में वितरण का कार्य शुरू किया गया। इससे पहले योजना के लिए 2007-08 की बीपीएल सर्वे सूची के आधार पर जोन दफ्तरों में दस्तावेजों के साथ हितग्राहियों से आवेदन जमा कराए गए। आवेदन स्वयं निगम कर्मियों ने भरे व प्राप्त आवेदनों को स्काई पोर्टल में एंट्री किया गया। इसके बाद शेष लोगों के घर तक जाकर आवेदन भरवाए गए। आवेदन लेने के साथ ही आवेदकों को फॉर्म की पावती दी गई तो अधिकांश को बाद में पावती देना कहा गया। स्काई पोर्टल में एंट्री में भी गड़बड़ी कि कईयों के नाम के आगे पिता-पति का नाम ही दर्ज नहीं किया गया। जैसे-तैसे मोबाइल वितरण का दिन भी आया और 6 अगस्त से जोन दफ्तरों में यह कार्य प्रारंभ हुआ। मोबाइल देने के लिए हितग्राहियों को उनकी बस्ती व घर जाकर ई-पावती दिया जाना था जो अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। दिक्कत यहीं से शुरू हुई क्योंकि अधिकांश हितग्राहियों के पास फार्म की पावती नहीं थी और न ही ई-पावती मिली। हालांकि सूचनाओं के आधार पर लोगों ने जोन दफ्तर आकर ई-पावती हासिल की और जांच की प्रक्रियाओं से गुजर कर मोबाइल प्राप्त किया। दूसरी ओर 6 अगस्त से लेकर 20 अगस्त तक ऐसे कई हितग्राही जोन का बार-बार चक्कर लगाते रहे जिन्होंने फार्म भरा लेकिन उनका नाम जांच टेबल की लिस्ट से गायब मिलता रहा। कम्प्यूटर से प्रिंट निकलवाने के बाद भी अधिकांश के नाम नहीं मिलने पर उन्हें दस्तावेजों के साथ आवेदन लिखवाकर लेने बाद 21-22 अगस्त को आने कहा गया। इस बीच अपरिहार्य कारणों से 21-22 अगस्त से मोबाइल वितरण स्थगित कर दिया गया। हालांकि जो हितग्राही जोन दफ्तर पहुंचे, उन्हें उनके आधार कार्ड नंबर से कम्प्यूटर से पावती निकाल कर दी गई व आश्वस्त किया गया कि अगली बार जब भी मोबाइल वितरण होगा, आकर ले जाएंगे। इसके बाद 30 अगस्त से पुनः शेष हितग्राहियों को मोबाइल वितरण शुरू किया गया किन्तु वही खामियां अब भी मौजूद हैं जिससे पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति संदिग्ध है।
वार्ड क्रमांक-4 निवासी शीला दीवान पति क्रांति दास को 21 अगस्त को स्काई पोर्टल से नाम निकाल कर कम्प्यूटर से पावती प्रिंट कर दी गई। इस पावती को लेकर वह पति के साथ 31 अगस्त को जब वह जोन दफ्तर पहुंची तो बाहर जांच टेबल पर उसका नाम नहीं मिला। कम्प्यूटर ऑपरेटर से नाम दिखवाने पर बताया गया कि शीला का नाम ही नहीं दिखा रहा। पूर्व में प्राप्त कम्प्यूटर पावती दिखाने के बाद छानबीन कर एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जितने हितग्राहियों को मोबाइल मिल चुका है, उनके बाद के शेष लोगों के नाम की लिस्ट निकाली तो गई थी लेकिन उसमें भी छंटनी करके कल और आज कई लोगों के नाम पोर्टल से डिलीट कर दिए गए हैं, इसलिए पहले वाले नाम अब नहीं दिखा रहे। पोर्टल से नाम क्यों और किसने डिलीट किया, यह नहीं मालूम। इसी तरह सीतामणी वार्ड क्र. 7 निवासी शांति बाई पति भगवान भी 6 अगस्त से आज तक जोन का चक्कर ही काट रही है। टेन्ट कर्मी भगवान का कहना है कि जब उसका नाम बीपीएल सूची में है, उससे फॉर्म भरवाया गया और पावती भी मिली तब उसका नाम कैसे गायब हो गया?
भगवान के मुताबिक सर्वे सूची में उसका नाम था और निगमकर्मी के कहने पर उसने पत्नी के नाम से आवेदन जमा कराया। जब मोबाइल लेने 6 अगस्त से कई बार जोन कार्यालय पहुंचा तो कोई पावती नहीं मिली, कंप्यूटर में चेक कराने पर बोले कि आधार नंबर गलत बता रहा है, आवेदन दे दो । उसने आवेदन भी दिया और दस्तावेज जमा किए तब कहा गया की आवेदन भगवान के नाम से भरना था जो पत्नी के नाम से जमा कर दिया गया, लेकिन सुधार कर मोबाइल मिल जाएगा । अब तक ना तो सुधार हुआ है और ना ही मोबाइल मिल रहा है क्योंकि लिस्ट और स्काई पोर्टल दोनों से भगवान का नाम गायब है। इसी प्रकार धनवार पारा निवासी श्रीमती अश्वनी सागर पति राजेश सागर ने बताया कि उसे फार्म भरने के बाद पावती भी नहीं दी गई और शुरू दिन से मोबाइल के लिए आज तक भटकाया जा रहा है। ऐसे दर्जनों हितग्राही हैं जो पावती लेकर भटक रहे हैं। इनमें से कई तो सरकार व अधिकारियों को कोसते हुए मोबाइल की उम्मीद ही छोड़ दी।
इन हितग्राहियों के नाम मौजूदा लिस्ट में नहीं दिखाए जाने व स्काई पोर्टल से नाम डिलीट होने के संबंध में जब जोन में उपस्थित प्रभारी श्रीधर बनाफर से जानने का प्रयास किया गया तब सीधे सहायक नोडल अधिकारी डीसी सोनकर या जोन कमिश्नर ग्यास अहमद से बात करने कहा गया। इन दोनों अधिकारियों के फोन कवरेज से बाहर मिलते रहे। निगम आयुक्त के भी मोबाइल की घंटी बजती रही, रिसीव नहीं हुआ। कुल मिलाकर जोन दफ्तर में 6 अगस्त से लेकर अब तक कोई भी ऐसा जिम्मेदार व तकनीकी जानकार नहीं मिला जो इस तरह की विसंगतियों, त्रुटियों के बारे में संतोषजनक जानकारी निराश हितग्राहियों को प्रदान कर सके। अब भला आम हितग्राही की इतनी बखत कहाँ कि वह जवाब के लिए किसी बड़े साहब के पास जाए और जोन के कर्मचारी हम नहीं जानते, कहकर चलता कर रहे हैं।
निःसंदेह गरीब वर्ग के लोगों को संचार क्रांति से जोडऩे की मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की योजना बेहतर है किन्तु कतिपय अधिकारियों की उदासीनता के कारण हितग्राहियों के मध्य सरकार की छवि बिगड़ रही है। वंचित लोगों को इस बात का मलाल है कि उन्हें कोई सही जानकारी देने की बजाय सिर्फ और सिर्फ घुमाया जा रहा है। वे अपनी रोजी-मजदूरी छोड़कर मोबाइल लेने अधिकारियों द्वारा बताए गए दिन पर पहुंचते हैं और सारा दिन भटकने केे बाद खाली हाथ लौटा दिया जाता है। जो कर्मचारी त्रुटियों को समझ रहे हैं, उनका भी मानना है कि लिस्ट से तो नाम डिलीट करना ही नहीं था।
नाराज लोगों ने कहा- वोट नहीं देंगे
इसमें कोई संदेह नहीं कि ऐन विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने मोबाइल वितरण के जरिए खासकर गरीब वर्ग के मतदाताओं के बीच अपना जनाधार बढ़ाने का काम किया है लेकिन दूसरी ओर अधिकारियों के रवैये से निराश व असंतुष्ट होकर लौट रहे पात्र हितग्राहियों के कारण यह जनाधार घट भी सकता है। निराश अश्वनी सहित अन्य लोगों ने यह कहने में संकोच नहीं किया कि अधिकारी लोग ही मोबाइल बेच खाएंगे, हम तो वोट नहीं देंगे। वोट लेने के लिए मतलब से फार्म भरा लिये और अब लिस्ट में नाम नहीं है। लिस्ट में नाम होने के बाद भी मोबाइल नहीं दे रहे हैं। इस तरह का आक्रोश किसी एक हितग्राही का नहीं बल्कि वंचित सभी लोगों से सुनने को मिल रहा है।
नाम क्यों डिलीट हुआ, चिप्स वाले बता पाएंगे: सोनकर
अनेक हितग्राहियों का नाम स्काई पोर्टल से डिलीट होने के संबंध में कोरबा जोन मोबाइल वितरण के सहायक नोडल अधिकारी डीसी सोनकर का कहना है कि इसके बारे में ज्यादा कुछ वे नहीं बता पाएंगे, स्काई और चिप्स वाले ही बता सकते हैं। यह कहा कि आवेदकों के द्वारा अनिवार्य पूरे दस्तावेज यथा बीपीएल कार्ड, 2007-08 के सर्वे सूची का नंबर और आधार कार्ड में से कोई भी कम होने की स्थिति में उसका आवेदन रिजेक्ट किया गया है। यह पूछने पर कि आवेदन पूरी तरह पूर्ण हैं और स्काई पोर्टल में 21 अगस्त तक नाम था व पावती भी निकालकर दी गयी फिर भी नाम क्यो डिलीट हुआ, इसका जवाब वे चिप्स पर टाल गए। पूरे दस्तावेज के साथ आवेदन जमा करने और कुछ तकनीकी त्रुटि 6 से 20 अगस्त के बीच होने पर संबंधित आवेदक से कोरे कागज में पुनः आवेदन पूरे दस्तावेजों के साथ जमा कराए जाने के प्रकरणों का निराकरण के बारे में कहा कि उनका कुछ नहीं होगा। सिर्फ जो नाम पोर्टल में हैं, उन्हें ही मोबाइल मिलेगा।