सत्तरघाट पुल पर सियासत शुरू, विपक्षियों के साथ-साथ सत्तापक्ष ने भी उठाए सवाल, जानें किसने क्या कहा?

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पटना(एजेंसी): बिहार के सत्तरघाट पुल को लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है। इस पुल को लेकर जहां विपक्षी पार्टियां नीतीश सरकार पर हमलावार हो गई है वहीं सत्तारूढ़ एनडीए के ही घटक दल के नेता भी सवाल उठाए हैं।

सरकार पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने जहां आरोप लगाया है कि सत्तरघाट पुल बनने से कुछ ही दिनों में ध्वस्त हो गया, वहीं लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने पुल का एक हिस्सा टूटने पर नाराजगी जाहिर करते हुए मामले की जांचकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। हालांकि राज्य सरकार ने इसे पूरी तरह गलत करार दिया है। पथ निर्माण विभाग ने सत्तर घाट पुल को सुरक्षित होने का दावा किया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि मीडिया में सत्तर घाट पुल के क्षतिग्रस्त होने की झूठी खबर चल रही है।
नंद किशोर का इस्तीफा लें मुख्यमंत्री : तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने आरोप लगाया है कि गोपालगंज का सत्तर घाट स्थित पुल बनने ही 29 दिनों में ही ध्वस्त हो गया। मांग की कि मुख्यमंत्री अविलंब पथ निर्माण मंत्री से इस पुल निर्माण में हुई गड़बड़ी को लेकर इस्तीफा लें और ज़रूरी कार्रवाई करें। गुरुवार को जारी बयान में कहा कि 15 साल में कई गड़बड़ी हुई मगर एक में भी दोषियों को पकड़ा नहीं गया है। आरोप लगाया है कि इससे पहले कहलगाँव, भागलपुर में भी 1000 करोड़ की लागत से निर्मित एक बांध टूट गया था। सरकार को जनता के सामने स्पष्टीकरण देना चाहिए कि क्यों गोपालगंज में पुल निर्माण में गड़बड़ी हुई।

पुल का एक हिस्सा टूटने की हो जांच : चिराग
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने सत्तरघाट पुल का एक हिस्सा टूटने पर नाराजगी जाहिर की है। कहा कि इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। ट्वीट कर चिराग ने कहा कि 264 करोड़ की लागत से बने पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया है। जनता के पैसे से किया कोई भी कार्य गुणवत्ता पूर्ण होना चाहिए था। इस तरह की घटनाएं जनता की नजर में शून्य भ्रष्टाचार पर सवाल उठाती हैं। चिराग में कहा को लोजपा मांग करती है की इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो। मामले की जांच रिपोर्ट भी जल्द आए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
एक महीने में ढह गया पुल, यह कैसा सुशासन: गोहिल
गोपालगंज में मुख्य पुल के पहुंच पथ के ध्वस्त होने पर कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने ट्वीट कर कहा कि 264 करोड़ के खर्च से निर्मित पुल एक महीने में ढह जाता है, यह कैसा सुशासन है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने ट्वीट कर तंज कसा है कि अब इसका आरोप चूहों पर मत लगा देना। वहीं, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने अपने बयान में कहा है कि राज्य में 15 साल के सुशासन को बहने में एक महीना भी नहीं लगा।

सत्तर घाट पुल सुरक्षित है : मीणा
पथ निर्माण विभाग ने सत्तर घाट पुल को सुरक्षित होने का दावा किया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि मीडिया में सत्तर घाट पुल के क्षतिग्रस्त होने की झूठी खबर चल रही है। इस मामले में सही तथ्य कुछ और है।
सत्तर घाट मुख्य पुल से लगभग दो किमी दूर गोपालगंज की ओर एक 18 मी लम्बाई के छोटे पुल का पहुंच पथ कट गया है। यह छोटा पुल गंडक नदी के बांध के अन्दर अवस्थित है। गंडक नदी में पानी का दबाव गोपालगंज की और ज़्यादा है । इस कारण पुल के पहुंच की सड़क का हिस्सा कट गया है। उन्होंने कहा कि यह अप्रत्याशित पानी के दबाव के कारण हुआ है। हालांकि इस कटाव से छोटे पुल की संरचना को कोई नुक़सान नहीं हुआ है। मुख्य सत्तर घाट पुल जो 1.4 किमी लंबा है वह पूर्णतः सुरक्षित है। पानी का दबाव कम होते ही यातायात चालू कर दिया जाएगा। इस योजना में कोई अनियमितता का मामला नहीं है। यह प्राकृतिक आपदा है। विभाग पूरी तरह मुस्तैद है

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