कोरबा@M4S: जिले में रेत तस्करों की सक्रियता बढ़ गई है। तस्करों को खनिज विभाग की कार्यवाही का तनिक भी डर नहीं रह गया है। यही वजह है कि अब लोगों की भावनाओं को भी तार-तार करने में भी पीछे नहीं है। तस्करों ने श्मशान ही खोदना शुरू कर दिया है, जिससे कई कब्रें गायब हो गई जिसे लेकर लोगों का आक्रोश भडक़ने लगा है।
कोरबा में रेत तस्करों की सक्रियता किस हद तक बढ़ गई है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घाट पर मौजूद लोगों की कब्रें गायब होने लगी है। घाट के बंद होने के बावजूद दिन रात रेत निकला जा रहा है। जिसके कारण कई कब्रें जर्जर होकर लटकने लगी है।
सब जानने के बाद भी पुलिस और खनिज विभाग आंख मूंद बैठा है जिससे लोगों का आक्रोश अब बढऩे लगा है। बंद रेतघाट से रोज दिन रात रेत की चोरी की जा रही है लेकिन कार्यवाही के नाम पर कुछ नहीं होने होनें से उनके हौंसले दिन ब दिन बुलंद होते जा रही है। इस तरह की तस्वीर सीतामणी रेतघाट में देखी जा सकती है। जहां रेत तस्करों के चलते मौत के बाद कब्र में मौजूद लोगों की लाशें गायब होने लगी है। लोगों का कहना है कि 30 से 40 की संख्या में कब्र गायब हो चुकी है। वहीं लगातार रेत की निकासी के कारण कई कब्रें जर्जर होकर लटकने लगी है। वार्ड पार्षद का कहना है कि रेत तस्करों के खिलाफ अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो उनके द्वारा कोतवाली थाने का घेराव किया जाएगा। रेत तस्करों ने जिस तरह से लोगों की भावनाओं के ठेंस पहुंचाते हुए उनके परिजनों की कब्रों को खोद दिया है उससे वे काफी दु:खी है। उनका कहना है कि हर साल उनके द्वारा परिजनों की समाधि पर पूजा पाठ की जाती है मगर जिस तरह से कब्र ही गायब हो गई है, तो पूजा पाठ कैसे करें। उन्होंने प्रशासन से इस दिशा में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे है। रेत तस्करों के कारण ही आज मौत के आगोश में समाने वाले लोगों को चैन नहीं मिल पा रहा है। खनिज विभाग और पुलिस की मनमानी के कारण आज यह स्थिती निर्मित हुई है। रेत तस्करों के खिलाफ अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो लोगों का आक्रोश सडक़ों पर उतरने में देरी नहीं लगेगी।
बंद रेत घाटों के संचालन की मांग
मानसून का सीजन खत्म होने के महीनेभर बाद भी जिले के बंद रेत घाटों का संचालन शुरू नहीं हो सका है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव मो. कलीम सिद्दीकी ने कलेक्टोरेट में ज्ञापन देकर बंद रेत घाटों के संचालन की मांग की है। रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन को रोकने रेत घाटों के संचालन की जरूरत बतायी है। उन्होंने कहा कि जिले में सक्रिय रेत माफियाओं के अवैध उत्खनन व परिवहन से एक ओर जहां शासन को राजस्व की क्षति हो रही है वहीं महंगे दामों पर लोग रेत खरीदने को मजबूर हैं। स्वीकृत रेत खदान अब तक चालू नहीं पाया है। बरमपुर, भिलाई बरबसपुर, सीतामणी, राताखार, ढेंगुरनाला के रेत घाटों से अवैध उत्खनन व परिवहन जारी है। इस रोक लगाने में संबंधित विभाग विफल साबित हो रहा है।