नई दिल्ली(एजेंसी): जरा खुद से पूछिए.. क्या आपने कभी पानी बचाने की कोशिश की? नहीं! तो आज से कीजिए। क्योंकि जब दुमका के छोटे से गांव का श्यामल एक तालाब के लिए अपने जीवन के 29 साल दे सकता है, कभी पानी के लिए मोहताज बेंगलुरु की कॉलोनी आज दूसरों की प्यास बुझा सकती है, तो आप भी प्रेरणा बन सकते हैं।
जान लें, दुनिया के करीब 35 लाख लोग स्वच्छ पानी के अभाव में हर साल जान गंवा देते हैं। ऐसे में आपकी बचाई हर बूंद अनमोल है। जल दिवस पर पेश हैं कुछ ऐसे प्रयास जो मिसाल बन गए।
अकेले ही पूरा तालाब खोद दिया
बिहार के दशरथ मांझी ने 22 साल में पहाड़ को तोड़कर रास्ता बनाया था। झारखंड के इस ‘मांझी’ ने तालाब को खोद गांव की प्यास बुझाई। दुमका के जरमुंडी विशनपुर के श्यामल चौधरी ने 29 साल पहले तालाब खोदने का बीड़ा उठाया। तब श्यामल 45 साल के थे।
गांव के खेतों को पानी मिले इसलिए उन्होंने 100 फुट लंबा और इतना ही चौड़ा तालाब खोद दिया। जिस गांव में कभी पानी की किल्लत रहती थी। अब इस तालाब से पूरे गांव के खेतों को पानी मिल रहा है।
वर्ष 2013 में गुजरात में ग्लोबल एग्रीकल्चर मीट में भी सरकार ने उन्हें भेजा था। श्यामल ने कहा कि जब तक जीवन है वे खेतों के लिए पानी की व्यवस्था में जुटे रहेंगे। राज्य के हर गांव में तालाब और छोटे ‘चेकडैम’ बनाए जाएं तो खेत नहीं सूखेंगे।
बेंगलुरु की कॉलोनी मिसाल बनी
बेंगलुरु की सरजापुर रोड पर स्थित रिहायशी कॉलोनी ‘रेनबो ड्राइव’ के 250 घरों में पानी की सप्लाई तक नहीं थी। आज यह कॉलोनी पानी के मामले में आत्मनिर्भर है और यहां से दूसरी कॉलोनियों में भी पानी सप्लाई होने लगा है।
यह संभव हुआ है पानी बचाने, संग्रह करने और पुन: इस्तेमाल लायक बनाने से। वर्षा जल संग्रहण के लिए कॉलोनी के हर घर में रिचार्ज कुएं बनाए गए हैं। स्ट्राम वाटर ड्रेनेज बनाया गया है। अब कॉलोनी वाले जितना पानी धरती से लेते हैं उतना जल संचयन के जरिये लौटा भी देते हैं।
पानी का प्रयोग 25% कम किया
छह साल से जल संकट से जूझ रहे कैलिफोर्निया के लोगों ने पानी की खपत में 25% की कटौती की है। लोगों ने घर के लॉन में घास उगानी बंद कर दी। कुछ ने तो कृत्रिम घास लगा दी। पानी का वाष्पीकरण रोकने के लिए राज्य के जलाशय, तालाबों में ढेरों प्लास्टिक की बॉल डाली गईं। स्कूल, कॉलेज से लेकर गोल्फ के मैदानों में पानी बचाने वाले उपकरण लगाए गए हैं।