विधायक की शिकायत सही निकली, 800 पेटी अवैध शराब ज़ब्त

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कोरबा@ बिलासपुर से कथित तौर पर अंबिकापुर के लिए ले जाई जा रही एक ट्रक में लदी 800 पेटी देसी प्लेन शराब यानी करीब 40000 पाव शराब को गंतव्य तक पहुंचाने में सत्ता पक्ष की चालाकी, पुलिस और आबकारी विभाग की मदद काम नहीं आई। कोरबा विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल की शिकायत और पूरी जांच होने तक डटे रहने के दबंग रवैए ने आबकारी विभाग के उस दावे की पोल खोल दी जिसमें उसके द्वारा इस शराब को सरकारी और परमिट वाला बताकर निकालने की कोशिश की जा रही थी ।
दरअसल 10 नवंबर की रात कांग्रेसजनों की शिकायत और पहल पर एक ट्रक में लदी शराब को कटघोरा थाना लाया गया। रात में आबकारी विभाग की उप निरीक्षक सोनल अग्रवाल कटघोरा पहुंची, उनके द्वारा ट्रक चालक की ओर से दिखाए गए दस्तावेजों के आधार पर परमिट सही होना और शराब को सरकारी बताकर क्लीन चिट दे दिया गया। दूसरी तरफ विधायक जय सिंह अग्रवाल इस शराब को अवैध बताकर पूरी तरह थाना में ही डटे रहे और शराब की पेटियों को निकलवा कर जांच करने की मांग पर अड़े रहे। हालांकि इस दौरान थोड़ी-बहुत कहा-सुनी अधिकारियों के साथ विधायक की हुई किंतु वे जांच पूरी कराए बगैर थाना से उठने का नाम नहीं लिए और समर्थकों के साथ रात में ही धरने पर बैठ गए। अंततः जिला प्रशासन को संज्ञान लेना पड़ा और दूसरे दिन 11 नवंबर को जिला आबकारी अधिकारी मंजूश्री कसेर ने मौके पर पहुंचकर ट्रक से शराब की पेटियों को बाहर निकलवाया। चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि प्लेन शराब की बोतलों में ना तो सरकारी मार्का था, ना ही किसी तरह का लेबल लगा था और ना ही यह सील- मोहर युक्त थे। बिल्टी में भी ₹4 की शराब बताई गई थी जबकि इसकी कीमत लगभग ₹50 होती है, इस तरह परमिट को भी अवैध पाया गया। कुल मिलाकर जहां 10 नवंबर की रात 800 पेटी शराब को आबकारी उपनिरीक्षक सोनल अग्रवाल वैध बताती रही वहीं दूसरी ओर दिन के उजाले में हुई जांच में जिला अधिकारी ने इस शराब को अवैध बताया।
यहां सब से अहम बात यह कि बिलासपुर से अंबिकापुर जाने से पहले कटघोरा के मध्य तक कई जांच नाकों से होकर यह ट्रक गुजरी। इस रास्ते में निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार स्थैतिक निगरानी समितियां भी नाकों पर जांच करने डटी रही लेकिन किसी ने भी इस गड़बड़ी को नहीं पकड़ा। स्थैतिक निगरानी समिति की दूरदर्शिता, उनकी समझ और उनकी काबिलियत पर भी यह पूरा मामला सवाल उठाता है। यहां तक कि जब इस शराब के अवैध होने का दावा किया जा रहा था तब जिस तरीके से और पूरे विश्वास के साथ आबकारी उपनिरीक्षक सोनल अग्रवाल इसे सही बताने पर तुली थी, वह भी उनकी कार्यशैली और निर्वाचन आयोग की निष्पक्ष व बिना किसी लालच के कराए जाने वाले चुनाव हेतु दिए गए दायित्व के निर्वहन पर भी संदेह उत्पन्न करता है। हालांकि यह राहत वाली बात रही कि विधायक की दबंगई व उनके पूरी जांच करने तक डटे रहने के कारण पूरे प्रदेश में एक सनसनीखेज मामला सामने आया जिसमें इतने बड़े पैमाने पर ले जाई जा रही अवैध शराब पकड़ी जा सकी।

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