फर्जी हस्ताक्षर से सचिव ने 3 लाख किया गबन …

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जनपद सीईओ से लिखित शिकायत, पूर्व में भी लग चुके हैं कूटरचना के आरोप
कोरबा@M4S:  ग्राम पंचायत सचिव द्वारा पंचायत चुनाव के दौरान लागू आदर्श आचार संहिता में तत्कालीन सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर से 14 वे वित्त के 3 लाख की राशि का आहरण कर और गबन किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। इसकी शिकायत तत्कालीन सरपंच द्वारा जनपद सीईओ के पास लिखित रूप से कर तथा उचित कार्यवाही का मांग किया गया है।
मामला पाली जनपद पंचायत अंतर्गत दूरस्थ एवं बीहड़ पहाड़ी वनांचल ग्राम पंचायत रतखंडी का है जहाँ चंद्रिका प्रसाद तंवर सचिव कार्यरत है।बीते 2020 पंचायत चुनावकाल के दौरान सचिव द्वारा कूटरचना करते हुए तत्कालीन सरपंच  सरस्वती देवी का फर्जी हस्ताक्षर कर और 14 वे वित्त योजना के खाते से 16 जनवरी को 2 लाख एवं 03 फरवरी को 1 लाख का आहरण कर गबन कर दिया गया जबकि उक्त राशि आहरण अवधि में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के अलावा आदर्श आचार संहिता लागू था। ऐसे में संबंधित बैंक के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे है।क्योंकि ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान पंचायत खाते से राशि आहरण पर प्रशासनिक रोक लगी रहती है।इस प्रकार सचिव द्वारा शातिराना तरीके से चुनावकाल के दौरान लागू आदर्श आचार संहिता में 03 लाख की राशि आहरित कर सीधे तौर पर गबन कर दिया गया। वर्तमान में जब तत्कालीन सरपंच श्रीमती सरस्वती देवी को इस मामले की जानकारी हुई तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई और वे सीधे पाली जनपद कार्यालय पहुँची तथा बीते 30 जून 2020 को सीईओ एम आर कैवर्त को सचिव के कारनामे की लिखित शिकायत देकर उचित कार्यवाही किये जाने का मांग किया गया है।
ज्ञात हो कि शातिर सचिव चंद्रिका प्रसाद तंवर द्वारा पूर्व में भी इस प्रकार के कूटरचना को अंजाम दिया जा चूका है।जहाँ पाली जनपद के ही ग्राम पंचायत लाफा में दूसरे सचिव के कार्यकाल के दौरान में गत 04 फरवरी 2015 को पंचायत निर्वाचन के ठीक एक दिन पूर्व गत 3 फरवरी को कटघोरा स्थित ग्रामीण बैंक शाखा के पंचायत खाता से निर्मल ग्राम योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए शासन से स्वीकृत 08 लाख की राशि का दो किश्तों में क्रमश प्रथम 3 लाख 90 हजार एवं द्वितीय 4 लाख 10 हजार आहरित कर गबन किया जा चुका है।जिस मामले की भी शिकायत 28 मई 2019 को जिला पंचायत के पूर्व सीईओ इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल के पास हुई थी।जहां मामले में 04 जून 2019 को पाली जनपद के पूर्व प्रभारी सीईओ एम एस नागेश को जांच का जिम्मा सौंपा गया था।लेकिन जांचकर्ता अधिकारियों द्वारा मिलकर सचिव को क्लीन चिट दे दिया गया।और बाद में इसी दोषी सचिव को लाफा पंचायत के प्रभारी सचिव का जिम्मा भी सौंप दिया गया।इस प्रकार शातिर सचिव चंद्रिका प्रसाद वर्तमान में ग्राम पंचायत रतखंडी एवं लाफा (दो पंचायत) की जिम्मेदारी सम्हालते हुए अपनी हरकतों से बाज नही आ रहे तथा गत वर्ष 2015 में लाफा पंचायत में किये गए कारनामे पर शिकायत पश्चात भी प्रशासनिक कार्यवाही ना किये जाने का ही नतीजा है कि सचिव द्वारा रतखंडी पंचायत में भी वही कूटरचना पुन: दोहराया गया।देखने वाली बात है कि वर्तमान गंभीर शिकायत को लेकर सचिव पर क्या कार्यवाही होती है या फिर पहले की भांति दोबारा क्लींनचिट दे दिया जाता है…?  

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