नहाय खाय के साथ शुरु होगा सूर्योपासना का पर्व छठ 31 अक्टूबर को उगते सूर्य को दिया जाएगा अध्र्य

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कोरबा@M4S: सूर्य उपासना का महापर्व छठ 28 अक्टूबर को नहाए खाए के साथ शुरू होगा ।36 घंटे निर्जला कठिन व्रत रखकर व्रतधारी 31 अक्टूबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पारण करेंगे। पूर्वांचल के लोगों में महापर्व छठ के प्रति अगाध आस्था सदियों से बनी हुई है।
इस बार रविवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार का छठ महापर्व हर तरह से शुभकारक है। रविवार को विशेष संयोग के कारण षष्ठी तिथि खास है। रविवार को भगवान सूर्य का दिन माना जाता है। भगवान सूर्य व्रतियों की हर मनोकामनाएं पूरी करेंगे। षष्ठी तिथि रविवार को सुबह से शुरू होकर 31 अक्टूबर की सुबह 5.53 बजे तक है। सोमवार की कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी में सूर्योदय हो रहा है। व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर सप्तमी तिथि में व्रत का पारणा करेंगी।पूजा को लेकर शहर समेत उपनगरों के छठ घाटों को व्यवस्थित किया जाने लगा है, ताकि पूजा में शामिल होने वाले लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। पूजा का दूसरा दिन खरना प्रसाद का होगा। इस दिन शाम को अपनों के बीच खरना प्रसाद बांटा जाएगा और व्रत रखने वाली महिलाएं या पुरुष खरना प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही अपना व्रत शुरू करेंगे। व्रतधारी 30 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने छठ घाट पहुंचेंगे।

छठ घाटों में चल रही तैयारी
नगर निगम क्षेत्र में छठ पूजा के लिए कई अस्थाई घाट हैं। जिन्हें व्यवस्थित किया जाने लगा है। शहर में खासकर ढेंगुरनाला, मुड़ापार तालाब, सुभाष ब्लाक स्थित शिवमंदिर, मानिकपुर पोखरी, सर्वमंगला मंदिर के समीप हसदेव नदी, दर्री स्थित हसदेव नदी, बालकोनगर का बेलाकछार राममंदिर छठ घाट के अलावा कुसमुंडा, बाकीमोंगरा के अलावा उपनगरों में कटघोरा, गेवरा-दीपका, पाली आदि स्थानों पर छठ घाट हैं, जहां व्रती अर्घ्य देने पहुंचेंगे।

छठ पूजा में प्रसाद का होता है विशेष महत्व
चार दिवसीय पूजा में खरना प्रसाद का विशेष महत्व होता है। खरना के दिन पूजा करने वाले परिवार की महिलाएं जुट जाएंगी। इसके पहले दिन पूरे घर की साफ सफाई की जाती है। शाम में व्रती मिट्टी के चूल्हा बनाकर प्रसाद तैयार करेंगी। गाय के दूध में अरवा चावल की खीर बनाई जाएगी। सूर्यास्त के बाद भगवान सूर्य व छठी मइया को अर्पण करने के बाद केले के पत्ते या पीतल की थाली में प्रसाद ग्रहण करेंगी। परंपरा के अनुसार प्रसाद घर के सभी सदस्य खाएंगे। उसके बाद अपनों में बांटकर व्रत सफलता पूर्वक पूरा करने की कामना करेंगे।

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